हिंदू धर्म के चार धामों से मिलते हैं भविष्य की अच्छी और बुरी घटनाओं के संकेत! हाल ही में काशी विश्वनाथ मंदिर के शिखर पर माता लक्ष्मी के वाहन सफेद उल्लू को देखा गया। शयन आरती के बाद देखे गए उल्लू के बारे में बताया जा रहा है कि यह भारत और संपूर्ण विश्व के लिए बहुत ही शुभ संकेत है।
मोक्षदायिनी काशी में दिखा माता लक्ष्मी का सफेद वाहन
उत्तरप्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित प्रसिद्ध श्री काशी विश्वनाथ धाम में बीते दिन अप्रत्याशित घटना घटित हुई। मंदिर के गर्भगृह के स्वर्ण शिखर पर एक सफेद रंग का उल्लू देखा गया। यह घटना जितनी अप्रत्याशित थी, उतना ही लोगों ने इसे चमत्कार का रूप माना। सफेद उल्लू की इस उपस्थिति को भक्तों ने शुभ संकेत के रूप में लिया और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बताया। मंदिर के शिखर पर सफेद उल्लू का आना जाना एक तय वक्त में देखा गया। खासतौर पर शयन आरती के वक्त! बाबा विश्वनाथ मंदिर में शयन आरती भगवान शिव के रात्रि विश्राम से पहले की जाती है। इसी दौरान मंदिर में लगे कैमरे में सफेद उल्लू का आवागमन देखा गया।
Rare White Owl spotted on Kashi Vishwanath’s Golden Peak In Varanasi.
It is considered a symbol of auspiciousness 🚩
Har Har Mahadev 🔱 pic.twitter.com/X3r82rhShA
— Lakshay Mehta (@lakshaymehta31) August 21, 2025
बाबा के दरबार में लगाने आता है हाजिरी
इसे लेकर श्रद्धालु अधिवक्ता रविन्द्र तिवारी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से काशी विश्वनाथ धाम के शिखर पर सफेद उल्लू की उपस्थिति दर्ज रहती है। दरअसल उल्लू, बाबा की सप्तऋषि आरती के दौरान स्वर्ण शिखर के उपरी हिस्से पर आकर बैठता है और आरती के समापन के बाद उड़ जाता है। वहीं जानकार दावा करते है कि, उल्लू प्रतिदिन आरती के समय आता है और बाबा के स्वर्ण शिखर पर बैठता है। सनातन धर्म में उल्लू महालक्ष्मी का वाहन माना जाता है, ऐसे में उसका मंदिर में आना बेहद शुभ माना जा रहा है। शिवभक्त भी मानते है कि उल्लू का रंग सफेद हो, तो उसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
तीर्थों का तीर्थ है काशी विश्वनाथ मंदिर
पौराणिक मान्यताओं में धरती के 7 नगरों को मोक्षदायिनी माना गया है। इसमें काशी का स्थान पहला है। बाकी जो शहर हैं, वो हैं अयोध्या, मथुरा, उज्जैन, हरिद्वार, द्वारका और दक्षिण भारत का कांचीपुरम! काशी का स्थान इसलिए भी प्रथम है, क्योंकि अब तक मिले पुरातात्विक सबूतों के मुताबिक ये नगर 5 हजार साल से भी ज्यादा है। यूं समझिए सिंधु घाटी सभ्यता जितनी प्राचीन! इसका जिक्र दुनिया के सबसे प्राचीन लिखित ग्रंथ ऋग्वेद में भी मिलता है। काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। बाबा विश्वनाथ की पूजा-अर्चना करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर में संध्याकाल में 7 बजे से लेकर शाम 8 बजकर 15 मिनट तक सप्तर्षि आरती की जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर में नियमित संध्याकाल 7 बजे सात ऋषि, देवों के देव महादेव की आरती करने आते हैं। इस मान्यता के आधार पर रोजाना सप्तर्षि आरती की जाती है। वहीं पर आरती में सात अलग-अलग गोत्र के आचार्य एक साथ आरती करते हैं। इस दौरान सफेद उल्लू की उपस्थिति नजर आती है।
भगवान विष्णु ने भेंट की थी भोले को काशी नगरी
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, जब देवी लक्ष्मी पाताल, सूनसान, अंधेरे या किसी और दुर्गम जगह जाती हैं, तब वह उल्लू पर सवार होती हैं। इसीलिए देवी लक्ष्मी उलूक वाहिनी कहलाती हैं। देवी लक्ष्मी का एक खास रिश्ता वाराणसी से है, क्योंकि भगवान शिव को ये नगरी भगवान विष्णु ने भेट की थी। उससे पहले भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी इसी शहर के स्थाई वासी थे। काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर पर जो सफेद उल्लू दिखा, उसे देवी लक्ष्मी की इसी पौराणिक मान्यता से जोड़कर देखा जा रहा है। यहां देवों के देव महादेव रहते हैं, इसलिए यहां सभी देवता दूत के रूप में उनके दर्शन के लिए आते हैं।
सफेद उल्लू है बेहद शुभ
सनातन धर्म में सफेद उल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है, जिसका कहीं भी दिखना बेहद शुभ माना जाता है। यह मां लक्ष्मी के आशीर्वाद और समृद्धि का प्रतीक है। भक्तों ने इसे एक शुभ संकेत के रूप में लिया है, जिससे उनकी आस्था और विश्वास और भी मजबूत हुआ है। बताया जा रहा है कि यह सफेद उल्लू पिछले कई दिनों से शिखर पर बैठ रहा है। इस घटना से काशी में बाबा के भक्तों चर्चा शुरू हो गई है कि जरूर यह कोई दैवीय शक्ति है। कहा जाता है कि काशी में जो भी घटना घटती है, उसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ता है क्योंकि बाबा को विश्वनाथ कहते हैं। इसी कारण यहां होने वाली छोटी-से-छोटी घटनाएं भी भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती हैं। उल्लू की इस दिव्य उपस्थिति ने लोगों को विश्वास दिलाया है कि आने वाले समय में विश्व और भारत में शुभ और सकारात्मक परिवर्तन होंगे।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!