दिवाली से पहले एक बड़ी राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में 18 से 21 अक्टूबर के बीच Green Crackers के सीमित उपयोग की अनुमति दी है। लेकिन इस फैसले के बाद आम लोगों के मन में सवाल उठने लगा है कि आखिर ये ग्रीन पटाखे हैं क्या और ये पारंपरिक पटाखों से कैसे अलग हैं?
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखे वैज्ञानिक संस्था CSIR-NEERI (Council of Scientific and Industrial Research – National Environmental Engineering Research Institute) द्वारा विकसित किए गए हैं। इनका उद्देश्य है त्योहार की खुशी बनाए रखते हुए वायु प्रदूषण को कम करना। इन पटाखों में सल्फर, पोटेशियम नाइट्रेट और भारी धातुओं की मात्रा काफी कम की जाती है। इसके बजाय इनमे ऐसे Eco-Friendly Chemicals का इस्तेमाल होता है, जो कम धुआं और कम कण (Dust Particles) छोड़ते हैं।
पारंपरिक पटाखों से कैसे हैं अलग?
पारंपरिक पटाखों में बोरॉन, बेरियम, एल्युमिनियम और सल्फर जैसे तत्व बड़ी मात्रा में होते हैं, जो जलने पर PM 2.5 और PM 10 जैसे प्रदूषक तत्व छोड़ते हैं। यही तत्व दिवाली के बाद दिल्ली की हवा को जहरीला बना देते हैं। वहीं, ग्रीन पटाखों में यह मात्रा बहुत कम होती है। ये पटाखे जलने पर बारीक Water Droplets (पानी की बूंदें) छोड़ते हैं, जो धूल और धुएं को सोख लेते हैं। CSIR-NEERI के मुताबिक, ये पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30% तक कम प्रदूषण करते हैं।
ग्रीन पटाखों की खासियत
इन पटाखों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये कम धुआं, कम आवाज और कम कणीय प्रदूषण पैदा करते हैं। इनके फटने पर निकलने वाली गैसें और धूल हवा में जल्दी घुल जाती हैं। साथ ही, इनका शोर स्तर भी सीमित रखा गया है ताकि Noise Pollution पर नियंत्रण रहे। दिल्ली सरकार ने कहा है कि असली ग्रीन पटाखों पर QR Code होगा, जिसे स्कैन करके यह पता लगाया जा सकता है कि पटाखा असली है या नहीं। नकली ग्रीन पटाखे बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि सिर्फ ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत होगी। बाकी पारंपरिक पटाखे पूरी तरह से बैन रहेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि दिल्ली-NCR के बाहर से फटाके लाने या बेचने पर रोक रहेगी। अगर कोई नकली ग्रीन पटाखे बनाते या बेचते पाया गया तो उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा।
पूरी तरह प्रदूषणमुक्त नहीं, लेकिन बेहतर विकल्प
वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रीन पटाखे पूरी तरह pollution-free नहीं हैं, लेकिन ये पारंपरिक पटाखों से कहीं बेहतर हैं। ये हवा में प्रदूषण का स्तर कम करते हैं और लोगों के स्वास्थ्य पर असर घटाते हैं।
अगर लोग सीमित मात्रा में इनका इस्तेमाल करें, सामूहिक रूप से जलाएं और बाकी समय Eco-Friendly Celebration करें, तो त्योहार की खुशी के साथ वातावरण भी सुरक्षित रहेगा।
Green Patakhon से खुशियां भी, साफ हवा भी
इस दिवाली, अगर आप चाहते हैं कि आसमान रंगों से सजे और हवा में जहर न घुले, तो Green Crackers सबसे बेहतर विकल्प हैं। त्योहार का असली मज़ा तभी है जब हमारी खुशियां किसी और की सांसों की कीमत पर न हों।