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May 11, 2025

DGMO Who Stopped War: DGMO क्या होता है? विस्तार से समझिए इनका काम, महत्व, भूमिका और इनकी जरुरत!

DGMO Who Stopped War: भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों के DGMO (Director General of Military Operations) ने हॉटलाइन के माध्यम से बातचीत की। इस अहम वार्ता में दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर संघर्ष विराम (India Pakistan Ceasefire) का पूरी तरह पालन करने पर सहमति जताई। इसके साथ ही यह तय किया गया कि भविष्य में किसी भी तरह की सैन्य गतिविधि से पहले दोनों देश आपसी बातचीत से हालात को सुलझाने की कोशिश करेंगे। ऐसे में आइये समझते हैं कि DGMO क्या होता है? इनका काम, महत्व, भूमिका और इनकी जरुरत! DGMO meaning in Hindi

क्या होता है DGMO? What is DGMO

DGMO यानी Director General of Military Operations भारतीय सेना के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक होते हैं। ये अधिकारी सीधे सेना प्रमुख को रिपोर्ट करते हैं और देश की सैन्य रणनीति, संचालन और सीमा पर सुरक्षा से जुड़ी सभी प्रमुख गतिविधियों की निगरानी करते हैं। DGMO का कार्यक्षेत्र काफी व्यापक होता है और उसमें सैन्य अभियानों की योजना बनाना, सीमा पर हो रही गतिविधियों पर नजर रखना और किसी भी आकस्मिक स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देना शामिल होता है। इस पद पर बैठा अधिकारी पूरे देश की सैन्य गतिविधियों की निगरानी करता है, खासकर सीमा पर तैनात सेना की कार्रवाई, युद्ध की रणनीति, आतंकवाद विरोधी अभियान, और दूसरे देशों के साथ होने वाले सैन्य संवाद का संचालन। इसे सेना की ऑपरेशनल कमान का दिमाग भी कहा जा सकता है। DGMO Who Stopped War

DGMO Who Stopped War: कौन हैं DGMO ले. जनरल राजीव घई, जिनकी बातचीत से भारत-पाक के बीच थमी जंग

भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे सैन्य तनाव के बीच 10 मई 2025 को महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब दोनों देशों के डीजीएमओ (Director General of Military Operations) के बीच बातचीत हुई और युद्ध की संभावनाओं पर विराम लग गया। डीजीएमओ बातचीत के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर दस मई 2025 को शाम पांच बजे सीजफायर लागू हो गया। इससे दोनों देशों जंग के जंग टल गई है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि डीजीएमओ कौन होते हैं और उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है। डीजीएमओ यानी महानिदेशक मिलिट्री ऑपरेशन, भारतीय सेना में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और रणनीतिक पद होता है। वर्तमान में इस पद पर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई नियुक्त हैं। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने अक्टूबर 2024 को DGMO के पद पर ज्वाइन किया था। इस महत्वपूर्ण पदभार को संभालने से पहले, वह चिनार कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग GOC के पद पर कार्यरत थे। Director General Military Operations (DGMO) of Indian Army Lieutenant General Rajiv Ghai

DGMO का प्रमुख कार्य क्या होता है?

DGMO का काम सिर्फ जंग या ऑपरेशन की रणनीति बनाना नहीं होता, बल्कि उनका दायरा बहुत व्यापक होता है:

🔹 सीमा पर निगरानी (Border Surveillance):

भारत की सीमाएं पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल जैसे देशों से लगती हैं। DGMO सीमाओं पर होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखते हैं। अगर कोई घुसपैठ होती है या संघर्षविराम का उल्लंघन होता है, तो DGMO संबंधित जानकारी सेना प्रमुख को देते हैं और त्वरित कदम उठाते हैं।

🔹 हॉटलाइन संचार (Hotline Communication): DGMO India-Pakistan Hotline

भारत और पाकिस्तान के बीच एक विशेष हॉटलाइन स्थापित है जो दोनों देशों के DGMOs को जोड़ती है। जब सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण हो, तब ये अधिकारी आपसी बातचीत के जरिए हालात को संभालते हैं।

🔹 सैन्य संचालन (Military Operations):

कोई भी बड़ा सैन्य ऑपरेशन जैसे ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, आतंकवाद विरोधी अभियान, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में कार्रवाई, या प्राकृतिक आपदा में सेना की मदद – सब कुछ DGMO के निर्देशन में होता है।

🔹 युद्ध की योजना (War Planning & Strategy):

अगर देश पर युद्ध का खतरा मंडराता है, तो DGMO ही युद्ध की रणनीति, सेना की तैनाती, और लॉजिस्टिक्स (आवश्यक संसाधन) की पूरी योजना बनाते हैं।

🔹 इंटेलिजेंस और सुरक्षा समन्वय (Intelligence Coordination):

DGMO इंटेलिजेंस एजेंसियों जैसे RAW, IB, और रक्षा मंत्रालय के साथ समन्वय बनाकर सैन्य संचालन की दिशा तय करते हैं।

DGMO का महत्व क्यों है?

DGMO का पद इसलिए अहम है क्योंकि ये देश की सुरक्षा की “ऑपरेशनल रीढ़” होते हैं। युद्ध हो या शांति, DGMO हर स्थिति के लिए तैयार रहते हैं। ये अधिकारी ही सुनिश्चित करते हैं कि भारत की सीमाएं सुरक्षित रहें और समय पर सैन्य जवाब दिया जा सके।

DGMO Who Stopped War: DGMO की भूमिका युद्ध और शांति दोनों में

शांति की स्थिति में DGMO की भूमिका शांति निगरानी, संवाद, तनाव कम करना, सैन्य रणनीति बनाना होता है जबकि युद्ध के दौरान सैनिकों की तैनाती, युद्ध नीति तैयार करना, लॉजिस्टिक्स संभालना होता है।

History of DGMO: इतिहास में DGMO की भूमिका के उदाहरण

कारगिल युद्ध (1999): DGMO ने उस समय सीमा पर तेजी से सेना की तैनाती और रणनीतिक जवाब देने में अहम भूमिका निभाई थी। सर्जिकल स्ट्राइक (2016): पाकिस्तान के खिलाफ पीओके में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के संचालन और योजना DGMO के तहत ही हुई थी। पुलवामा हमला और बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019): इस पूरे घटनाक्रम में DGMO का नेतृत्व निर्णायक रहा।

DGMO Who Stopped War: DGMO का संपर्क किनसे होता है?

सेना प्रमुख, रक्षा मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA), प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और अंतरराष्ट्रीय सैन्य प्रतिनिधि (जैसे संयुक्त राष्ट्र मिशन आदि) से DGMO का संपर्क होता है।

What is the importance of DGMO: डीजीएमओ क्यों जरूरी है?

DGMO एक ऐसा पद है जो पर्दे के पीछे रहकर देश की सैन्य शक्ति को दिशा देता है। सीमाओं पर चौकसी हो या दुश्मन के खिलाफ सटीक जवाब देना, DGMO की भूमिका हमेशा केंद्रीय रहती है। यह पद सेना की रणनीति, संवाद और संचालन – तीनों के संतुलन का प्रतीक है।

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