वाराणसी के बाबतपुर क्षेत्र में स्थित Kutumb NGO परिसर में 12 अक्टूबर को “संस्कृति बाज़ार 2025” का भव्य आयोजन किया गया। यह वार्षिक सामाजिक-सांस्कृतिक आयोजन स्थानीय कारीगरों, महिला उद्यमियों और हस्तशिल्प कलाकारों को एक साझा मंच प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है।
संस्कृति बाज़ार से मिली स्थानीय महिलाओं को पहचान
संस्कृति बाज़ार का आयोजन Kutumb NGO और Young Indians ( Yi Varanasi ) के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। आयोजकों के अनुसार, इसका उद्देश्य वाराणसी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की पारंपरिक कला, हस्तनिर्मित उत्पादों और महिला सशक्तिकरण की भावना को प्रोत्साहन देना है। संस्कृति बाज़ार में हस्तशिल्प उत्पाद, महिलाओं द्वारा निर्मित सामान, स्थानीय कारीगरी, सजावटी वस्तुएं आदि प्रदर्शित और बिक्री होती हैं। आयोजन में यह अवसर मिलता है कि सामान्य बाजार से हटकर सामाजिक उद्देश्य (Women Empowerment आदि) से जुड़े उत्पाद देखें। संस्कृति बाज़ार सिर्फ खरीद-बेच का स्थान नहीं है, बल्कि स्थानीय समुदाय, कारीगरों, विकासशील कार्यक्रमों के लिए संवाद का अवसर भी है। नाम “Sanskriti Bazaar” से यही संकेत मिलता है कि सिर्फ व्यावसायिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अभिव्यक्ति भी इसमें शामिल है
स्थानीय हस्तशिल्प में दिखी महिला उद्यमियों की चमक
कार्यक्रम दोपहर 1 बजे से शाम 7 बजे तक चला, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों, विद्यार्थियों और विदेशी पर्यटकों ने भाग लिया। स्थल पर आकर्षक सजावट के साथ सजीव संगीत, पारंपरिक परिधान, और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की बिक्री ने आगंतुकों का ध्यान खींचा। मेले में विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाए गए कपड़े, मिट्टी और बांस की कलाकृतियांव जूट बैग, ऑर्गेनिक उत्पाद और पारंपरिक सजावटी वस्तुएं प्रदर्शित की गईं। कार्यक्रम में “Women Artisans Collective” और “Sanskriti Creations” जैसे सामाजिक उद्यमों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
सांस्कृतिक प्रस्तुति रही आकर्षण का केंद्र
Kutumb NGO की संस्थापक ने बताया कि यह पहल न केवल बिक्री का मंच है, बल्कि इससे स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक रोजगार की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिल रही है। शाम के समय शास्त्रीय संगीत, लोकनृत्य और बच्चों की रंगारंग प्रस्तुतियों ने पूरे वातावरण को सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया। आयोजन के समापन पर महिला कारीगरों को सम्मानित भी किया गया।
वाराणसी के अलावा पूर्वांचल में भी योजना
आयोजक संस्थाओं ने बताया कि आने वाले वर्षों में “संस्कृति बाज़ार” को वाराणसी के अलावा पूर्वांचल के अन्य शहरों में भी आयोजित करने की योजना है, ताकि और अधिक ग्रामीण कारीगरों को इससे जोड़ा जा सके। इस तरह “संस्कृति बाज़ार 2025” न केवल एक बाज़ार रहा, बल्कि यह बनारस की परंपराओं, संस्कृति और आत्मनिर्भरता की भावना का जीवंत उत्सव बन गया।
यदि आप भी संस्कृति बाज़ार का हिस्सा बनना चाहते हैं
यदि आप कारीगर हैं, महिलाओं का समूह हैं या सामाजिक उद्यम चलाते हैं, तो आयोजकों से संपर्क करके स्टॉल लेने, या उत्पाद बेचने का अवसर मिल सकता है। अगर आगंतुक (visitor) हैं, तो दिन तय करके जाकर देख सकते हैं, स्थानीय कलाकारों, उत्पादों, और कार्यक्रमों का हिस्सा बन सकते हैं। सोशल मीडिया (Instagram आदि) पर आयोजन की सूचना-अपडेट देखना उपयोगी रहेगा। जैसे 12 अक्टूबर के कार्यक्रम की इंस्टाग्राम पोस्ट में जानकारी साझा की जा रही थी।
संस्कृति बाज़ार मेले में हस्तशिल्प, गांव की कलाएं, महिलाओं के निर्मित उत्पाद प्रमुख रूप से शामिल किए जाते हैं। इस आयोजन का सामाजिक उद्देश्य है, स्थानीय कारीगरों व महिलाओं को आगे लाना और उनके उत्पादों को एक मंच देना।
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