देश की कॉरपोरेट्स कंपनियां सरकार के नियम के मुताबिक कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility -CSR) की रकम तो खर्च कर रही हैं मगर पूर्वोत्तर राज्यों को इसका बहुत छोटा हिस्सा मिल रहा है। रविवार को Tripura, Manipur and Meghalaya Foundation Day है ऐसे में आइये जानते हैं कि त्रिपुरा मणिपुर और मेघालय में कितना सीएसआर खर्च किया जाता है। सबसे पहले आपको ये बताना जरुरी है कि अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा इन सब को मिलाकर पूर्वोत्तर राज्य कहा जाता है।
त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय में सीएसआर के ये है आकड़े
North East States में CSR के आंकड़े बताते है कि वित्त वर्ष 2021-22 में पूर्वोत्तर भारत को CSR की रकम में केवल 7.7 फीसदी हिस्सा मिला। कंपनियों को अपने मुनाफे का 2 फीसदी CSR परियोजनाओं पर खर्च करना ही होता है। लेकिन सीएसआर के मामले में देश की Corporates ने नॉर्थ ईस्ट स्टेट्स को हमेशा दरकिनार रखा है। Tripura, Manipur and Meghalaya की बात करें तो इन तीनों राज्यों में FY 2020-21 में 37.31 करोड़ ही खर्च किया गया है। लेकिन ये अकड़ा FY 2021-22 में बढ़ा है। इन तीनों राज्यों में फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में 50.7 करोड़ हुआ है।
त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय में इन Corporates ने किया है सीएसआर से विकास
फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में अकेले त्रिपुरा में 15.91 Cr. का सीएसआर खर्च हुआ है। Corporates की बात करें तो त्रिपुरा राज्य में ONGC ने 5.6 करोड़ रुपये खर्च किये है। Indian Oil, Hero MotoCorp, Apollo Tyres जैसी कंपनियों ने भी त्रिपुरा के विकास में अपना योगदान दिया है। वहीं अगर बात करें मणिपुर की (Manipuri CSR News) तो मणिपुर के 9 जिलों में 14.49 करोड़ खर्च किये गए है। 38 CSR Company ने अकेले मणिपुर में CSR Expenditutre किया है। जिनमे से सबसे ऊपर NHPC है, NHPC ने अकेले मणिपुर में 3.71 करोड़ खर्च किया है। और आखिर में बात करें मेघालय की तो 19.3 Cr का सीएसआर किया गया है। मेघालय में HDFC Bank ने 5.98 करोड़ CSR किया है वही Tata Comminucation, HCL और Bajaj जैसी Companies ने इस राज्य में काम किया है।
इन राज्यों में एजुकेशन एंड हेल्थ में सबसे ज्यादा हुए काम
त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय में सबसे ज्यादा Education and Health Sector में काम हुआ है। पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़ दिया जाए तो महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक को CSR के तहत खर्च किए गए कुल 14,558 करोड़ रुपये का 35 फीसदी से ज्यादा हिस्सा मिला। ये पांच राज्य महामारी के पहले (2018-19 में) मौजूदा कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद के लिहाज से सबसे बड़े राज्यों में शामिल थे। CSR मद में इन राज्यों को कुल 5,136.5 करोड़ रुपये मिले जबकि सभी पूर्वोत्तर राज्यों को 1,125.8 करोड़ रुपये ही मिले।
इन राज्यों में क्यों कम होता है सीएसआर
देश के अन्य राज्यों की तुलना ने पूर्वोत्तर राज्यों में कम सीएसआर खर्च होता है। जानकारों की मानें तो पूर्वोत्तर राज्यों में कम सीएसआर का एक कारण यह भी है कि अधिकतर कंपनियां देश के गिने-चुने कमर्शियल केंद्रों में स्थित हैं। इनमें मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप CSR खर्च में इनका हिस्सा ज्यादा होता है। पूर्वोत्तर जैसे राज्यों में उद्योग कम हैं, इसलिए विकास लक्ष्यों के लिए उन्हें CSR कोष से कम हिस्सा मिल पाता है।