बदलते मौसम की मार की वजह से पर्यावरण संरक्षण की महत्वता बहुत बढ़ चुकी है। तपती धरती और फटते बदल के विक्राल रूप से आज देश का हर नागरिक जूझ रहा है। भारत समेत विश्व भर में Climate Change संकट बन गया है। पर्यावरण स्वरूप प्राकृतिक आपदाएं इंसान को भयभीत कर चेतावनी दे रही हैं। शायद यही कारण है कि हम सब लोग अब सचेत हो रहे है और पर्यावरण को अनुकूल बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ लगा रहे है। हम अपनी धरती मां को वृक्षारोपण से फिर से हराभरा बना सकते है बस जरुरत है एक प्रयास की। इस तरह के प्रयास में आम जनता की सहभागिता के साथ Corporates की भी सहभागिता जरुरी है।
शायद इसीलिए छत्तीसगढ़ के तत्कालीन जिलाधिकारी तारण प्रकाश सिन्हा के प्रयास से रायगढ़ में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया था वो भी सीएसआर की मदद से। हम आपको बता दें कि एक साल पहले छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में (Top Bureaucrat of Chhattisgarh) तैनात तत्कालीन जिलाधिकारी तारण प्रकाश सिन्हा (Taran Prakash Sinha, IAS, Chhattisgarh) ने Corporate Social Responsibility की मदद से रायगढ़ में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया। जिसका परिणाम अब जाकर दिख रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि कि एक साल होने के बाद ये सभी के सभी पेड़ जीवित हैं और इनका लगातार ग्रोथ हो रहा है। ये जितने भी पौधे लगाए गए है वो जीएसपी फाउंडेशन और एनटीपीसी के CSR के किया गया था। (JSP Foundation News)
जीएसपी और एनटीपीसी के सीएसआर से किया गया था एक साल पहले Tree Plantation
आईएएस तारण प्रकाश सिन्हा ने Raigarh में मौजूद जिंदल स्टील एंड पावर (Jindal Steel & Power, JSP) और एनटीपीसी के CSR से Tree Plantation करने की अपील की थी जिसको स्वीकार करते हुए साल 2023 में जिले को हरभरा बनाने की शुरुआत हुई और अब ये सभी पेड़ ना सिर्फ जीवित है बल्कि बड़ी तेजी से बढ़ भी रहे है। एनटीपीसी लारा ने अपने सीएसआर से 5 एकड़ में 12500 पौधे लगाए, ये पौधे देसी प्रजाति के थे यानी नीम, करंज, शिशु और सिरस और इनकी जीवितता का प्रतिशत 100 फीसदी है और जेएसपीएल तमनार की बात करें तो 13 एकड़ में 2328 पौधे लगाए गए, यहां भी पौधों की वैरायटी देसी ही रहा जैसे नीम, आम, करंज, जामुन, अमरुद, इनकी भी जीवितता का प्रतिशत सौ था। पुसौर और तमनार इलाके में ये वृक्षारोपण (Tree Plantation) आईएएस तारण प्रकाश सिन्हा की देखरेख में किया गया।