भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिकी झटका, अब स्थायी नौकरी के बजाय ‘Train and Return’ मॉडल लागू करने की तैयारी! अमेरिका के ट्रेज़री सेक्रेटरी Scott Bessent ने दिया H1B वीज़ा को लेकर बड़ा बयान!
‘ट्रैनिंग दो और लौट जाओ’
अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट (Scott Bessent) ने कहा है कि अमेरिका अब विदेशी कुशल कर्मचारियों को केवल अस्थायी तौर पर अपने देश में काम करने देगा। उनका कहना है, “Train the US workers, then go home.” यानि ‘पहले अमेरिकी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दो, फिर अपने देश लौट जाओ।’ यह बयान सीधे तौर पर अमेरिका के H-1B वीजा कार्यक्रम से जुड़ा है, जिसे लेकर ट्रंप प्रशासन नई नीति लागू करने की दिशा में है।
क्या कहा बेसेंट ने
बेसेंट ने कहा कि अमेरिका को अभी भी शिपबिल्डिंग, सेमीकंडक्टर और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में विदेशी कौशल की जरूरत है, लेकिन यह स्थायी नहीं होगी। “हम चाहते हैं कि भारत जैसे देशों के कुशल इंजीनियर और तकनीशियन यहां आएं, अमेरिकी कामगारों को ट्रेन करें, और 3 से 7 साल में वापस लौट जाएं।” उन्होंने इसे “Knowledge Transfer Program” कहा, यानी विदेशी विशेषज्ञ यहां केवल ज्ञान और अनुभव साझा करने के लिए रहेंगे, न कि स्थायी तौर पर बसने के लिए।
H-1B वीजा क्या है
H-1B एक ग़ैर-प्रवासी (Non-Immigrant) कार्य वीज़ा है, जो अमेरिका 1990 में लाया था। इसके ज़रिए अमेरिकी कंपनियां विदेशी उच्च-कौशल वाले पेशेवरों को सीमित समय के लिए नियुक्त कर सकती हैं। हर साल लगभग 85,000 H-1B वीज़ा जारी किए जाते हैं, जिनमें 65,000 सामान्य आवेदनों और 20,000 अमेरिकी मास्टर डिग्री धारकों के लिए होते हैं। 70 प्रतिशत से अधिक वीज़ा भारतीयों को मिलते हैं। Infosys, TCS, Wipro, HCL और Tech Mahindra जैसी भारतीय कंपनियां पिछले दो दशकों से अपने हज़ारों इंजीनियरों को इसी वीज़ा पर अमेरिका भेजती रही हैं।
शुरुआत से कैसे बदलीं H1B वीज़ा नीतियां
कालखंड |
मुख्य नीति रुख |
1990–2008 |
आईटी बूम के दौर में वीज़ा सीमा
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2009–2016 (ओबामाकाल) |
इनोवेशन को बढ़ावा, STEM छात्रों को प्राथमिकता; पर
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2017–2021 (ट्रंप काल) |
America First नीति — वीज़ा जांचें सख्त
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2021–2024 (बाइडेनकाल) |
प्रवासियों के लिए राहत, H-4 पर काम की अनुमति, STEM OPT विस्तार। |
2025 (नया ट्रंप प्रशासन) |
Train and Return नीति — अस्थायी प्रवास,
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