पटना शहर में फ्लाईओवर के नीचे खाली पड़ी जमीनों का नया और आकर्षक उपयोग शुरू हो गया है। पहले यह स्थान अक्सर अतिक्रमण, अव्यवस्था और गंदगी के लिए चर्चित रहते थे, लेकिन अब नगर निकाय ने इन्हें छोटे क्रिकेट ग्राउंड, बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबॉल ज़ोन और मिनी पार्क के रूप में विकसित करना शुरू किया है। शहर के कई हिस्सों में इस पहल का काम तेजी से चल रहा है और कुछ स्थलों पर खेल गतिविधियां शुरू भी हो चुकी हैं।
फ्लाईओवर के नीचे ग्रीन बेल्ट और खेल मैदान
पटना इन दिनों बेहद तेजी से बदल रहा है। कभी भीड़, अव्यवस्था और सुविधाओं की कमी के लिए पहचाना जाने वाला यह शहर अब नई पहचान गढ़ रहा है- साफ़-सुथरे सार्वजनिक स्थान, बेहतर यातायात, नए हरित क्षेत्र, आधुनिक सड़कें, और लोगों की जरूरतों के अनुसार विकसित होते शहरी प्रोजेक्ट! शहर के कई हिस्सों में फ्लाईओवर के नीचे खेल मैदान, मिनी पार्क और ग्रीन ज़ोन जैसी पहलें यह साबित कर रही हैं कि सीमित जगह में भी बड़ा बदलाव संभव है। जहां पहले कूड़ा, अतिक्रमण या अव्यवस्था होती थी, अब वहां रोशनी, पौधे, खेल-कूद और बच्चों की आवाज़ें सुनाई देती हैं।
बच्चों-युवाओं के लिए सुरक्षित और सुलभ मैदान
शहर में बढ़ती आबादी और सीमित खुले स्थानों के कारण बच्चों को सुरक्षित खेल का मौका कम मिलता था। अधिकांश बस्तियों में पार्क या ग्राउंड दूर पड़ते थे, जिससे नियमित खेल-कूद प्रभावित होता था। ऐसे में फ्लाईओवर के नीचे बने ये नए मिनी ग्राउंड और कोर्ट बच्चों-युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। इन स्थानों पर घास, पौधों और सजावटी हरियाली लगाई जा रही है ताकि यह सिर्फ खेल स्थल ही नहीं, बल्कि परिवारों के लिए भी छोटे मनोरंजन और विश्राम क्षेत्र बन सकें। आधुनिक रोशनी और सुरक्षा व्यवस्था के साथ ये जगहें पहले की तुलना में कहीं अधिक उपयोगी रूप ले रही हैं।
क्यों ज़रूरी हैं ऐसे उपयोगी उपक्रम
शहरों में तेज़ी से कम होते खुले मैदान और व्यस्त जीवनशैली में बच्चों का खेलना धीरे-धीरे सीमित होता जा रहा है। ऐसे में यह पहल कई स्तरों पर महत्वपूर्ण बनती है-
शहरी स्थानों का बेहतर पुनःउपयोग: फ्लाईओवर के नीचे बड़ी मात्रा में भूमि खाली रहती है, जिसे अक्सर कूड़ा फेंकने या अनियमित पार्किंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन जगहों को खेल व हरियाली में बदलना समझदारी भरा शहरी प्रबंधन है।
बच्चों में खेल की आदत बढ़ाना: स्कूल के बाद बच्चों को पास ही सुरक्षित जगह मिलती है, जिससे वे सक्रिय और स्वस्थ रह सकें।
युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों की ओर मोड़ना: ऐसे सुरक्षित और मुफ्त खेल क्षेत्र युवाओं को व्यस्त और अनुशासित रखने में मदद करते हैं।
शहर के सौंदर्य और पर्यावरण में सुधार: हरियाली और साफ-सुथरी संरचना शहर की छवि को बेहतर बनाती है और धूल-प्रदूषण भी कुछ हद तक कम होता है।
अतिक्रमण और असामाजिक गतिविधियों पर रोक: जब स्थानों का नियमित खेल-कूद और सार्वजनिक उपयोग में आना शुरू होता है, तो अवांछित गतिविधियों की गुंजाइश अपने-आप घटती है।
पटना ने पेश किया उदाहरण
पटना में शुरू हुआ यह मॉडल उन सभी शहरों के लिए प्रेरक उदाहरण है, जहां जगहें सीमित हैं लेकिन बच्चे और युवा खेलना चाहते हैं। शहर के शहरी ढांचे में ऐसी छोटी-छोटी हरियाली और खेल-स्थल एक बड़े बदलाव की दिशा में कदम बन रहे हैं। यह पहल न सिर्फ शहर को सुंदर और सुरक्षित बनाती है, बल्कि नागरिकों में यह संदेश भी देती है कि बुद्धिमानी से इस्तेमाल किया गया हर छोटा स्थान समाज के लिए बड़ा लाभ ला सकता है।
नई सोच, नए प्रोजेक्ट और एक आधुनिक शहर की ओर बढ़ते कदम
नए स्मार्ट रोड, सार्वजनिक परिवहन के बेहतर विकल्प, किनारे-किनारे बन रहे फुटपाथ, क्लीन पटना के प्रयास, और पुनर्विकसित हो रहे बाजार क्षेत्र शहर को आधुनिक स्वरूप दे रहे हैं। गंगा के किनारे बन रहे नए पार्क, रिवरफ्रंट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के स्थल पटना को सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि अनुभव करने वाला शहर बना रहे हैं।
पटना बन रहा विकास का नया केंद्र
पटना का यह बदला हुआ चेहरा सिर्फ इमारतों या परियोजनाओं में नहीं दिखता, यह लोगों की सोच में भी झलकता है। नागरिक अब साफ-सफाई, सार्वजनिक स्थानों के सम्मानजनक उपयोग और शहर को बेहतर बनाने की दिशा में पहले से ज्यादा जागरूक हुए हैं। पटना आज अपने इतिहास को बनाए रखते हुए एक नए भविष्य की ओर बढ़ रहा है, जहां पारंपरिक संस्कृति और आधुनिक विकास एक साथ दिखाई देते हैं। यही है पटना का बदलता चेहरा, जो आने वाले वर्षों में और भी चमकदार होने वाला है।
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