टाटा मोटर्स, अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड और गुजरात डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने एक उल्लेखनीय सहयोग के तहत साणंद और इसके आस-पास के क्षेत्रों में एक नई ‘श्वेत क्रांति’ की लौ जगाई है। Tata Motors, Ahmedabad District Co-Operative Milk Producers and Gujarat Dairy Development Board के संयुक्त पहल ने अपने लाभार्थियों के लिये सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव को प्रेरित किया है। यह पहल लोगों के जीवन को समृद्ध बना रही है और उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा सुविधाओं तक बेहतर पहुंच दे रही है। समाज के भीतर उनका रुतबा भी बढ़ रहा है। टेक्नोलॉजी और को ऑपरेटिव का फायदा उठाकर साणंद के सुदूर इलाकों की 1600 से ज्यादा महिलाओं ने ग्रामीण गुजरात की सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों में शानदार बदलाव किया है।
टाटा मोटर्स के सीएसआर से गुजरात के लोगों के जीवन में आया सकारात्मक बदलाव
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है (India is the world’s largest milk producer), लेकिन प्रति व्यक्ति के लिहाज से उसका उत्पादन कम है। साणंद में भारवार और कोली पटेल समुदायों की महिलाएं पारंपरिक रूप से डेयरी फार्मिंग करती है और यह उनकी आमदनी का पूरक स्रोत है। इन महिलाओं को शादी के तोहफे के तौर पर अक्सर गाय या भैंस दी जाती है। वे चारा देने से लेकर दूध की बिक्री तक डेयरी फार्मिंग के पूरे वैल्यू चेन में काम करती हैं। टाटा मोटर्स ने अपने सीएसआर (Tata Motors CSR) पहल से कुछ साल पहले इन महिलाओं को डेयरी से होने वाला उत्पादन और आमदनी बढ़ाने के लिये कोऑपरेटिव्स और टेक्नोलॉजी के फायदों से परिचित कराया था। इस रणनतिक दखल से ऑटोमेटेड मिल्क कलेक्शन सिस्टम्स और बल्क मिल्क चिलिंग यूनिट्स संभव हो सकीं। इस प्रकार 32 गांवों के 4496 से ज्यादा कोऑपरेटिव सदस्यों का जीवन बदला। टाटा मोटर्स ने बुनियादी ढांचा स्थापित करने के अलावा आवश्यक प्रशिक्षण देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस तरह इन समुदायों को एक उम्मीद की किरण मिली और स्थिरता को भी बढ़ावा मिला।
Tata Motors के CSR से सशख्त हुई ग्रामीण गुजरात की महिलाएं
ज्यादा आमदनी के कारण यह महिलाएं अपने बच्चों को स्कूल भेजने और बेहतर अवसरों की आकांक्षा रखने के लिए सशक्त हुईं। उन्होंने प्रसवपूर्व देखभाल पर केंद्रित होकर माताओं और बच्चों की मौत की दर भी कम की। डेयरी के विकास के लिये टाटा मोटर्स की पहल ने इन समुदायों में जीवन की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण ढंग से सुधारा है। टाटा मोटर्स के सीएसआर हेड विनोद कुलकर्णी ने The CSR Journal से बातचीत में बताया कि, “टाटा मोटर्स में हमारा मिशन सिर्फ परियोजना के निष्पादन तक सीमित नहीं होता है। जिन समुदायों की सेवा करने का हमें सौभाग्य मिलता है, उसमें हम खुद को स्थायी परिवर्तन और विकास का प्रेरक मानकर चलते हैं। डेयरी को लेकर हमारी पहलें आशा और बदलाव को बढ़ावा देने के लिये हमारी अटूट प्रतिबद्धता का उदाहरण हैं।
गौरतलब है कि टाटा मोटर्स ने इन महिलाओं को एक आधार दिया है। उनकी अटूट प्रतिबद्धता और टेक्नोलॉजी में अत्याधुनिक प्रगति ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को तो बढ़ाया ही है, साथ ही महिलाओं में जोश भी जगाया है। यह भागीदारी सिर्फ डेयरी उद्योग को समृद्ध बनाने से बढ़कर है, टाटा मोटर्स के सीएसआर पहल से समुदायों के लिये स्थायी अवसरों का सृजन होता है और इलाके में सकारात्मक आर्थिक बदलाव भी हो रहा है। रणनीतिक गठजोड़, लगातार सहयोग और स्थायी विकास का सपना लेकर यह पहल ग्रामीण समुदायों के लिये आशा की किरण बनी हुई है।