जिस पटेल ने देश की आज़ादी के बाद सियासतों के बीच रियासतों को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाया, जिसने एक श्रेष्ठ भारत का सपना दिखाया, जिसने देश को अखंड बनाया, ऐसे वीर सपूत प्रणेता सरदार पटेल को देश याद करते हुए उनके सम्मान में विश्व की सबसे बड़ा मूर्ति का निर्माण हुआ, लेकिन जो विश्व में अनोखी है, जो दुनिया में कहीं नहीं है, जिसने मूर्तियों के सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए, सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ स्थापित करने के लिए सरकारी कंपनियों से मिली रकम पर ही सीएजी ने सवाल खड़े कर दिए है।
बड़े पैमाने पर सरकारी तेल कंपनियों ने अपने सीएसआर फंड का यहाँ दुरूपयोग किया है, सारे नियमों को ताक पर रखकर माननीय नरेंद्र मोदी जी को खुश करने के लिए सरकारी कंपनी का खजाना खोल दिया, सीएसआर फंड इस्तेमाल समाज के विकास और उन तबकों के विकास और उत्थान के लिए होना चाहिए जिससे कुछ बदलाव लाया जा सकें लेकिन सरकारी कंपनियों ने तो सीएसआर फंड का इस्तेमाल सीएसआर के नियमों के विरुध्द ही कर डाला।
दरअसल गुजरात में नर्मदा के मुहाने पर स्थापित सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 फुट ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर कैग ने घोटाला खोला है। कैग ने स्टेच्यू के लिए सरकारी कंपनियों की ओर से कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी यानी सीएसआर के तहत धनराशि उपलब्ध कराने को गलत बताया है और इसे निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन करार दिया है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2017 को खत्म हुए वित्त वर्ष में प्रतिमा और संबंधित स्थल का निर्माण करने के लिए पांच केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों ने 146.83 करोड़ रुपए की फंड सीएसआर के तहत मुहैया कराई है। इनमें से तेल व प्राकृतिक गैस निगम ने 50 करोड रुपए, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम निगम लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए, भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए, इंडियन ऑयल निगम लिमिटेड ने 21.83 करोड़ रुपए, और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए की रकम दी है।
कैग रिपोर्ट के अनुसार सभी कंपनियों ने इस सीएसआर फंड को राष्ट्रीय ऐतिहासिक परिसंपत्तियों, कला व संस्कृति का संरक्षण के तहत दर्शाया है। कैग का कहना है कि इस परियोजना में कंपनियों के योगदान को कंपनी अधिनियम 2013 की सातवीं अनुसूची के अनुसार सीएसआर नहीं माना जा सकता क्योंकि यह ऐतिहासिक परिसंपत्ति नहीं है।
गुजरात सरकार ने सरदार पटेल की याद में प्रतिमा बनाने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट संगठन की स्थापना की है। इस संगठन ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी परियोजना की शुरुआत की। 30 अक्टूबर 2018 को एक भव्य कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मूर्ति का अनावरण किया। 2989 करोड़ की लागत वाली इस मूर्ति को बनाने के लिए ठेका अक्टूबर 2014 में लार्सन एंड टूब्रो को दिया गया।
परियोजना के तहत सरदार पटेल की 182 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का निर्माण भले ही आज देश का विदेशों में शान बढ़ा रहा है लेकिन इस परियोजना के साथ ऐसा शब्द जुड़ गया जो जब भी स्टेचू ऑफ यूनिटी का नाम लिया जाएगा तो सीएसआर फंड घोटाला का भी नाम साथ जोड़ा जाएगा।
आज देश को, समाज को सीएसआर फंड की उन इलाकों में ज्यादा जरूरत है जहां आज भी बच्चें कुपोषण से मर रहे है, जहां स्कूलों के आभाव में बच्चों को शिक्षा नही मिल पा रही है, जहां लोगों के स्वास्थ्य का सवाल है, जहां आज भी लोगों को स्वच्छ पानी की एक बूंद नही मिल रही है, ऐसे में इन सरकारी आयल कंपनियों को दुबारा सोचना चाहिए, हम और हमारा देश तभी गौरान्वित करेगा जब ये करोड़ों का फंड सही हाथ में जायेगा और इसका इस्तेमाल सही तरीके से किया जाएगा।