दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकत मानी जाने वाली अमेरिका एक बार फिर शटडाउन (Shutdown in US – America) की स्थिति में पहुंच गई है। यानी अब वहां कई सरकारी सेवाएं अस्थायी रूप से बंद होंगी और लाखों कर्मचारियों की नौकरी व पगार पर असर पड़ेगा।
अमेरिका में शटडाउन क्या होता है?
जब किसी देश की सरकार के पास बजट की कमी हो जाती है और संसद में सहमति नहीं बनती, तब सरकार कई गैर-जरूरी सेवाएं (Non-Essential Services) बंद कर देती है। इसे ही शटडाउन कहा जाता है। अमेरिका में हर साल बजट पास होना जरूरी है, लेकिन अगर सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में सहमति न बने तो कई विभागों को पैसा मिलना बंद हो जाता है।
इस बार क्यों हुआ शटडाउन?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और कांग्रेस संघीय कामकाज के लिए बजट पर सहमति नहीं बना सके। इसके चलते 1 अक्टूबर से अमेरिका में आधिकारिक तौर पर शटडाउन शुरू हो गया। इसका सीधा असर लगभग 7.5 लाख संघीय कर्मचारियों पर पड़ेगा। कुछ को पगार नहीं मिलेगी और कुछ को अस्थायी छुट्टी पर भेजा जाएगा।
Shutdown in America से असर कितना बड़ा?
कई सरकारी कार्यालय, म्यूजियम और पार्क बंद कर दिए जाएंगे। सिर्फ जरूरी सेवाएं जैसे पुलिस, सेना, अस्पताल और हवाई यातायात नियंत्रण जारी रहेंगे। अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा। विश्लेषकों का मानना है कि शटडाउन का हर हफ्ता अमेरिकी GDP में 0.1% से 0.2% की गिरावट ला सकता है।
अमेरिका में शटडाउन का इतिहास
1976 के बाद से अमेरिका में 16 बार शटडाउन हो चुका है। इनमें से कई 1–3 दिन तक रहे, लेकिन सबसे लंबा शटडाउन दिसंबर 2018 में हुआ था, जो 35 दिन तक चला।
भारत में ऐसा क्यों नहीं होता?
भारत में शटडाउन जैसी स्थिति नहीं आती क्योंकि हमारे संविधान में “वोट ऑन अकाउंट” की व्यवस्था है। यानी अगर बजट पास होने में देरी हो जाए तो सरकार अस्थायी तौर पर खर्च करने की अनुमति पा लेती है। अमेरिका में बार-बार होने वाला शटडाउन सिर्फ वहां के सरकारी कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय बन जाता है।
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