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August 9, 2025

नोएडा के वृद्धाश्रम की भयावह तस्वीरें स्वकेंद्रित होते संकुचित समाज की कहानी कहती हैं

The CSR Journal Magazine
Noida Uttar Pradesh: नोएडा के एक वृद्धाश्रम में बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश महिला आयोग, नोएडा पुलिस और समाज कल्याण विभाग ने संयुक्त रूप से छापेमारी की और वहां दयनीय हालत में मिले 39 बुजुर्गों को बचाया जो वहां इस क़दर बुरी दशा में जी रहे थे जैसे उन्हें किसी जुर्म के लिए सख़्त उम्रकैद की सज़ा मिली हो!

किसी के हाथ बंधे, तो कोई तहख़ाने में बंद

राज्य महिला आयोग की सदस्य मीनाक्षी भराला ने बताया कि सेक्टर-55 स्थित एक वृद्धाश्रम में यह छापेमारी की गई। उन्होंने कहा, ‘‘छापेमारी के दौरान एक बुजुर्ग महिला बंधी मिली, जबकि अन्य बुजुर्गों को तहखाने जैसे कमरों में बंद किया हुआ था। पुरुषों के पास कपड़े तक नहीं थे जबकि कई महिला बुजुर्गों के शरीर पर भी आधे अधूरे कपड़े थे।’’ उन्होंने बताया कि सभी लोगों को दो से तीन दिन में सरकारी वृद्धाश्रम में स्थानांतरित किया जाएगा। भराला ने बताया कि इसी वृद्धाश्रम का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक बुजुर्ग महिला को हाथ बांधकर कमरे में रखा गया था।

वृद्धाश्रम का वीडियो हुआ था वायरल

उन्होंने बताया कि इसी वृद्धाश्रम का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक बुजुर्ग महिला को हाथ बांधकर कमरे में रखा गया था। वीडियो वायरल करने वाले का दावा था कि ये हालात सेक्टर-55 स्थित आनंद निकेतन वृद्ध सेवा आश्रम के हैं। यहां रहने वाले अधिकतर बुजुर्गों को इसी तरह दयनीय स्थिति में रखा जाता है। उन्होंने बताया कि यह वीडियो समाज कल्याण विभाग लखनऊ के पास गया जिसके बाद छापेमारी के निर्देश मिले। जब छापेमारी की गई तो पता चला कि बुजुर्गों की देखभाल के लिए स्टाफ नहीं रखा गया था। कई बुजुर्गों के कपड़े मल-मूत्र से सने मिले। खुद को नर्स बता रही महिला से सख्ती से पूछा गया तो उसने योग्यता 12वीं पास बताई। पुरुष तहखाने जैसे कमरों में बंद थे। देख कर ऐसा लग रहा था कि उनका जीवन नर्क से भी बदतर हो। जांच टीम ने संचालक से आश्रम के दस्तावेज दिखाने के लिए कहा तो वह कोई दस्तावेज नहीं दिखा सका। पता चला कि यह वृद्धाश्रम वर्ष 1994 से संचालित है, लेकिन रजिस्टर्ड नहीं है, यानी अवैध है।

वृद्धाश्रम प्रबंधक के बेतुके तर्क

निरीक्षण के दौरान टीम के सामने आश्रम प्रबंधन ने अपने तर्क दिए। उन्होंने कहा- आश्रम में कुछ बुजुर्गों के हाथ हल्के कपड़े से इसलिए बांधे जाते हैं, ताकि वह खुद को चोट न पहुंचा सकें। पहले कई बार ऐसा हो चुका है, जिसमें लोगों ने खुद को चोट पहुंचा ली हो या शौच करके उसे अन्य लोगों के ऊपर फेंक दिया हो। हालांकि आश्रम प्रबंधन का यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा है। फ़िलहाल आश्रम को सील करने का आदेश दे दिया गया है। मीनाक्षी भराला ने कहा कि आश्रम में नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। समाज कल्याण अधिकारी का कहना है कि यूपी महिला एवं बाल विकास विभाग नियंत्रण बोर्ड से आश्रम पंजीकृत मिला है। इसका पंजीकरण एक नवंबर 2023 को कराया गया है।

बुजुर्गों को रखने के लिए लिया जाता था डोनेशन

जानकारी के अनुसार इस वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को रखने के लिए प्रति व्यक्ति से 2.5 लाख रुपये का डोनेशन लिया जाता है। इसके अलावा खाने, पीने और रहने के लिए छह हजार रुपये प्रतिमाह लिया जाता है। जब इनके परिजनों से बातचीत की गई तो उन्होंने ‘सब ठीक है’ का हवाला दिया। इसमें कई ऐसे लोगों के माता-पिता भी है जो नोएडा में अमीर परिवारों में शामिल है।

सनातनी संस्कार कहते हैं-मातृ पितृ देवों भव!

पहले के जमाने में जिंदगी का आखिरी पल अपने परिवार के साथ बीतता था, लेकिन अब कई ऐसे मामले हैं जहां बुजुर्गों को अपना अंतिम समय वृद्धाश्रम में गुजारना पड़ रहा है। आज का समाज पहले के मुकाबले काफी बदल गया है। अब परिवार के भीतर बुजुर्गों के प्रति वो सम्मान और समर्पण नहीं दिखाई देता जो पहले हुआ करता था, बल्कि अब उन्हें बोझ के तौर पर देखा जा रहा है। युवा ये भूल गए हैं कि अपने बड़ों की जिम्मेदारी उठाना और देखभाल करना उनका काम है। बल्कि उनकी सुपरफास्ट ज़िंदगी में अब बड़े बुजुर्ग उन्हें बंदिश की तरह महसूस होने लगे हैं, जिनकी वजह से उनकी रफ़्तार कम होती महसूस होने लगी है। इसकी वजह से बुजुर्गों को वृद्धाश्रमों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

नोएडा का वृद्धाश्रम सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा

नोएडा के सेक्टर-55 स्थित एक वृद्धाश्रम से कल जो तस्वीरें सामने आईं, उन्होंने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। जिन बुजुर्गों को बचाया गया, उनमें से कई कमज़ोरी और बीमारी से जूझ रहे थे, और शायद उन्हें ये भी नहीं पता था कि बाहर की दुनिया में उनकी फिक्र करने वाला कोई है। उत्तर प्रदेश महिला आयोग, नोएडा पुलिस और समाज कल्याण विभाग की संयुक्त कार्रवाई में बुज़ुर्ग जिन हालातों में मिले, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक हैं।

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