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July 12, 2025

शिवाजी महाराज के 12 किले UNESCO की लिस्ट में शामिल, महाराष्ट्र के लिए गौरव का दिन

 मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित असाधारण किलेबंदी और सैन्य व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘मराठा सैन्य परिदृश्य’ को शुक्रवार (11 जुलाई, 2025) को प्रतिष्ठित यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया, संयुक्त राष्ट्र निकाय ने X पर एक पोस्ट में इसकी घोषणा की। महाराष्ट्र के लिए यह एक बड़ा गौरवशाली क्षण है। UNESCO ने ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ के तहत छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े 12 ऐतिहासिक किलों को अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया है।
यह निर्णय पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति (WHC) के 47वें सत्र के दौरान लिया गया। भारत की यह 44वीं संपत्ति है जिसे यह वैश्विक मान्यता मिली है।
यह उपलब्धि मराठा शासकों की मजबूत किलेबंदी प्रणाली और सैन्य रणनीति का प्रतीक है। ये किले महाराष्ट्र और तमिलनाडु में फैले हुए हैं।

विश्व धरोहर लिस्ट में शामिल किले

‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ में कुल 12 क़िले चुने गए हैं। इनमें से 11 किले महाराष्ट्र में हैं। इनके नाम- साल्हेर, शिवनेरी, लोहगढ़, खंडेरी, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजय दुर्ग और सिंधुदुर्ग हैं। तमिलनाडु का जिंजी किला (Gingee Fort) भी इसमें शामिल है।

जिंजी किला: दक्षिण में स्वराज्य की तीसरी राजधानी

तमिलनाडु का जिंजी किला यूनेस्को सूची में शामिल एकमात्र गैर-महाराष्ट्र किला है, लेकिन इसका मराठा इतिहास गहरा है। इसे ‘पूर्व का ट्रॉय’ कहा जाता है। यहीं से छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1689 से 1698 तक मुगलों के खिलाफ स्वराज्य का संचालन किया। इस किले को शिवाजी महाराज ने 1677 में एक चालाक राजनीतिक प्रस्ताव देकर जीत लिया था। इसमें किलेदार को नकद और जागीर की पेशकश कर किला बिना युद्ध जीता गया था। शिवाजी महाराज ने इस किले को शारंगगढ़, गर्वगढ़ और मदोन्मत्तगढ़ जैसे गौरवशाली नाम दिए। यह किला आज भी उनकी कूटनीतिक दूरदर्शिता का उदाहरण है।

किले और उनकी रणनीतिक स्थिति

 छत्रपति शिवाजी महाराज ने इन्हें ‘स्वराज्य’ के लिए बनवाया था। ये किले मराठा साम्राज्य की वास्तुकला (बनावट) और उनकी युद्ध कला को दर्शाते हैं। ये किले अलग-अलग जगहों पर बने हैं। ये दिखाते हैं कि मराठा सैनिक कितने समझदार थे और रणनीतिक रक्षा योजना के मामले में उनकी दूरदृष्टि कितनी कुशल थी। कुछ किले पहाड़ों पर हैं जिन्हें ‘पहाड़ी किले’ कहते हैं। जैसे- साल्हेर, शिवनेरी, लोहागढ़, रायगढ़, राजगढ़ और जिंजी।
प्रतापगढ़ क़िला, जंगल के बीच एक पहाड़ पर बना है। पन्हाला एक पहाड़ी पठार पर स्थित किला है। विजयदुर्ग समुद्र किनारे बना है। खंडेरी, सुवर्णदुर्ग और सिंधुदुर्ग पानी के बीच बने हैं। इन्हें ‘द्वीप किले’ कहते हैं। ये सभी किले मिलकर एक मजबूत सैनिक व्यवस्था बनाते हैं।

विश्व धरोहर में शामिल 12 किलों की खासियत

सालहेर किला- यह महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा किला है। यह नासिक जिले में है और यहां से बहुत सुंदर नज़ारा दिखता है।
शिवनेरी किला- यह पुणे जिले में है। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म इसी किले में हुआ था।
लोहगढ़ किला- यह पुणे जिले में है। इसका मतलब है ‘लोहे जैसा मजबूत किला’। यह मराठा साम्राज्य की रक्षा में बहुत महत्वपूर्ण था।
खंडेरी किला- यह रायगढ़ जिले में समुद्र के बीच एक द्वीप पर है। शिवाजी महाराज ने इसे समुद्री रास्तों पर नियंत्रण के लिए बनवाया था।
रायगढ़ किला- यह शिवाजी महाराज की राजधानी था। उन्हें यहीं पर 1674 में छत्रपति बनाया गया था।
राजगढ़ किला- यह पुणे जिले में है। यह छत्रपति शिवाजी महाराज की पहली राजधानी था।
प्रतापगढ़ किला- यह सतारा जिले में है। यह किला 1659 में अफजल खान के साथ हुए युद्ध के लिए मशहूर है।
सुवर्णदुर्ग- यह रत्नागिरी जिले में समुद्र के बीच एक द्वीप पर है। यह मराठा नौसेना की ताकत का प्रतीक है।
पन्हाला किला- यह कोल्हापुर जिले में है। शिवाजी महाराज ने इसे 1659 में जीता था।
विजय दुर्ग- यह सिंधुदुर्ग जिले में समुद्र किनारे है। यह भारत के सबसे मजबूत समुद्री किलों में से एक है। शिवाजी महाराज ने इसे नौसेना का केंद्र बनाया।
सिंधुदुर्ग- यह सिंधुदुर्ग जिले में समुद्र के बीच एक द्वीप पर है। शिवाजी महाराज ने इसे समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए बनवाया था। यहां शिवाजी महाराज के हाथों के निशान भी हैं।
जिंजी किला- दक्षिण में स्वराज्य की तीसरी राजधानी- यह तमिलनाडु में है। इसे ‘दक्षिण भारत का सबसे मजबूत किला’ माना जाता है। यह किला तीन पहाड़ियों पर फैला हुआ है।

देश भर से बधाई संदेश

इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर देश के नेताओं ने खुशी जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सम्मान हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। उन्होंने लोगों से इन किलों को देखने की अपील की।

वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे राज्य के लिए गौरव का क्षण बताया। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन किया और नागरिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा, मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि हमारे महानतम राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना राज्य के लिए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व व गौरव की बात है। पवार ने कहा कि ये किले छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा योद्धाओं की वीरता, बलिदान और दूरदर्शिता के साक्षी हैं और अब उनकी विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान और सम्मान मिलेगा।
इसके अलावा, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह सभी देशवासियों के लिए गर्व का पल है। उन्होंने बताया कि ये किले ‘हिंदवी स्वराज्य’ के मुख्य आधार रहे हैं।
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