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July 11, 2025

मंडी की उस ख़ौफ़नाक रात में ‘रॉकी’ ने बचाईं 67 जानें, दफ़न हो गया पूरा गांव 

Siyathi Village Mandi Landslide:  हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक भयानक रात ने कई जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया। 30 जून की आधी रात को सियाथी गांव में जब सब लोग गहरी नींद में थे, तभी एक पालतू कुत्ते रॉकी ने खतरे को पहले ही भांप लिया और जोर-जोर से भौंकने लगा। उसकी चेतावनी ही लोगों के लिए जीवन रक्षक साबित हुई।

रॉकी ने भांप ली आनेवाली तबाही

मंडी: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में मानसून की बारिश के कारण भूस्खलन, अचानक बाढ़ और बादल फटने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। इस बीच, मंडी जिले के एक गांव में रॉकी नामक एक कुत्ते ने समय पर भौंककर 67 लोगों की जान बचा ली।
30 जून की मध्य रात्रि 12 से 1 बजे के बीच, मंडी के धरमपुर क्षेत्र स्थित सियाथी गांव पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गया। गांव के निवासी नरेंद्र ने बताया कि उनका कुत्ता रॉकी, जो घर की दूसरी मंजिल पर सो रहा था, अचानक जोर जोर से भौंकने लगा और फिर देर रात वह रुक रुक कर Hawling करने लगा। बारिश लगातार हो रही थी, और रॉकी की आवाज ने नरेंद्र को जगाया।

रॉकी के भौंकने और रोने की आवाज़ ने बचाई जान

“मैं रॉकी के भौंकने की आवाज से उठ गया। जैसे ही मैं उसके पास गया, मैंने देखा कि घर की दीवार में एक बड़ी दरार आ चुकी थी और पानी अंदर घुसने लगा था। मैंने रॉकी के साथ नीचे दौड़ते हुए सभी को जगाया,” नरेंद्र ने कहा। नरेंद्र ने बिना वक्त गंवाए रॉकी को साथ लिया और अपने परिवार को जगाया। इसके बाद वे पड़ोसियों के घरों की ओर दौड़े, चिल्लाकर सबको खतरे की सूचना दी। उन्होंने देखा कि पहाड़ी से मलबा और पानी तेजी से नीचे आ रहा था। नरेंद्र ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया और सभी को बाहर निकलने को कहा। उनकी तत्परता और रॉकी की चेतावनी की वजह से 22 परिवारों के 63 लोग समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए।

भूस्खलन ने मचाई मंडी में तबाही

नरेंद्र और गांववालों के सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के कुछ ही मिनटों बाद, भूस्खलन ने सियाथी गांव को अपनी चपेट में ले लिया। करीब एक दर्जन घर मलबे में दब गए, लेकिन रॉकी की सतर्कता की वजह से एक भी जान नहीं गई। अब गांव में केवल चार-पांच घर ही दिखाई दे रहे हैं, बाकी सभी मलबे के नीचे दबे हुए हैं। फिलहाल गांववाले अस्थाई शिविर में रह रहे हैं।

आपदा के बाद जीवन की उम्मीदें

मंडी में आई भीषण तबाही के बाद सर्वाइवर अब त्रयंबला गांव में बने नैना देवी मंदिर में शरण ले रहे हैं, जहां वे पिछले सात दिनों से रह रहे हैं। इस बीच, कई गांववाले मानसिक दबाव और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। इस त्रासदी के बाद, अन्य गांवों के लोग मदद के लिए आगे आए हैं और सरकार द्वारा राहत के रूप में प्रत्येक परिवार को 10,000 रुपये दिए जा रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से तबाही

हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलनों ने पूरे राज्य में तबाही मचाई है। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 225 मकान, 243 पशुशालाएं, 14 पुल और दर्जनों सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। करीब 215 मवेशी मारे गए हैं और 78 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 50 मौतें सिर्फ बारिश और भूस्खलन के कारण हुई हैं। मंडी जिला, जो बादल फटने, फ्लैश फ्लड और भूस्खलन से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, में सर्वाधिक मौतें दर्ज की गईं। इन फ्लैश फ्लड्स ने 280 सड़कों को, जिनमें से 156 मंडी जिले में हैं, यातायात के लिए बंद कर दिया है। कुल नुकसान का आंकड़ा ₹700 करोड़ तक पहुंच चुका है। इस दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर साबित किया कि इंसानों के साथ-साथ जानवर भी मुश्किल समय में कितने संवेदनशील और मददगार साबित हो सकते हैं। सियाथी गांव के लोग आज भी रॉकी के भौंकने की आवाज को नहीं भुला पाए हैं, जिसने उन्हें मौत के मुंह से खींचकर बाहर निकाला।

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