देश के बैंकिंग तंत्र की रीढ़ 3 बड़े बैंक फिर से D-SIBs घोषित! RBI ने मंगलवार को जारी अपने बयान में कहा कि देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक SBI तथा दो प्रमुख निजी बैंक HDFC Bank और ICICI Bank को 2025 के लिए D-SIBs सूची में पुन: शामिल किया गया है।
SBI ने इन तीन बैंक्स को किया D-SIBs घोषित
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को देश के वित्तीय तंत्र की स्थिरता के लिए अहम कदम उठाते हुए State Bank of India (SBI), HDFC Bank और ICICI Bank को एक बार फिर Domestic Systemically Important Banks (D-SIBs) के रूप में घोषित किया है। यह निर्णय उन बैंकों की पहचान करता है, जिनकी वित्तीय सेहत और स्थिरता देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग प्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। RBI द्वारा जारी इस सूची के अनुसार, यह तीनों बैंक देश की वित्तीय संरचना के सबसे निर्णायक स्तंभ माने जाएंगे। D-SIB का दर्जा उन बैंकों को दिया जाता है, जिनका आकार, ग्राहक आधार, लेन-देन, शाखा नेटवर्क और वित्तीय दायित्व इतने बड़े होते हैं कि इनके संचालन में किसी भी प्रकार की बाधा का सीधा प्रभाव पूरे बैंकिंग तंत्र और अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
तीनो बैंकों पर RBI की विश्वसनीयता की मोहर
इस घोषणा के बाद इन बैंकों पर अतिरिक्त पूंजी बफर बनाए रखने का दबाव बढ़ जाएगा। इसके तहत, SBI को 0.80 फीसदी, HDFC Bank को 0.40 फीसदी और ICICI Bank को 0.20 फीसदी अतिरिक्त Common Equity Tier-1 (CET-1) पूंजी रखनी होगी। यह अतिरिक्त पूंजी बैंकिंग संकट, वित्तीय जोखिम और अचानक बढ़ते दबाव की स्थिति में सुरक्षा कवच का काम करेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि D-SIB की श्रेणी में शामिल होना किसी भी बैंक के लिए विश्वास की मुहर है। यह दर्जा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “Too Big To Fail” की अवधारणा से जुड़ा है, जिसके तहत ऐसे बड़े बैंक किसी भी आर्थिक संकट में भी ढहने नहीं दिए जाते, क्योंकि उनके गिरने से लाखों ग्राहकों की जमा राशि, भुगतान व्यवस्था और वित्तीय बाज़ार अस्थिर हो सकते हैं।
ग्राहकों का बढ़ेगा विश्वास
RBI ने कहा कि D-SIBs की सूची देश के बैंकिंग तंत्र की मजबूती सुनिश्चित करने और जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाई गई है। यह सूची समय-समय पर बैंकों के प्रदर्शन, जोखिम मूल्यांकन और विवेकपूर्ण जांच के आधार पर संशोधित की जाती है। इस घोषणा के बाद बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और अधिक तीव्र होने की संभावना है, वहीं निवेशकों और ग्राहकों के विश्वास में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा रही है। इस कदम को वित्तीय अनुशासन और प्रणालीगत सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।
State Bank of India (SBI) स्थापना वर्ष: 1806 (Bank of Calcutta के रूप में)
SBI भारत के सबसे पुराने और सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक है, जिसकी शुरुआत अंग्रेज़ी शासन के दौरान हुई थी। इसका इतिहास Bank of Calcutta (1806) से शुरू होता है। बाद में यह Bank of Bengal कहलाया। 1921 में Bank of Bombay और Bank of Madras के साथ विलय कर इसे Imperial Bank of India नाम दिया गया। स्वतंत्रता के बाद, 1955 में भारत सरकार ने इस बैंक का राष्ट्रीयकरण किया और इसका नाम State Bank of India रखा गया। इसके बाद यह ग्रामीण क्षेत्रों तक बैंकिंग पहुंच सुनिश्चित करने वाली प्रमुख संस्था बन गया। आज SBI भारत नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बड़े बैंकों में गिना जाता है, जिसके करोड़ों ग्राहक और विशाल शाखा नेटवर्क मौजूद हैं।
HDFC Bank स्थापना वर्ष: 1994
HDFC Bank भारत के निजी क्षेत्र के सबसे सफल और आधुनिक बैंकों में से एक है। इसे 1990 के दशक में वित्तीय क्षेत्र में उदारीकरण की नीति के दौरान स्थापित किया गया। Housing Development Finance Corporation (HDFC) द्वारा इस बैंक की शुरुआत की गई। HDFC Bank ने आधुनिक तकनीक, डिजिटल बैंकिंग और ग्राहक-केंद्रित सेवाओं की मदद से अपने शुरुआती वर्षों में ही तेज़ गति से विकास किया। 2023 में HDFC Bank ने HDFC Ltd. के साथ ऐतिहासिक विलय किया, जिससे यह बाजार पूंजीकरण और ऋण वितरण के आधार पर भारत के सबसे बड़े निजी बैंकों में शामिल हो गया। आज HDFC Bank अपनी तकनीकी प्रणालियों, डिजिटल भुगतान और देश के वित्तीय क्षेत्र में मजबूत पकड़ के लिए जाना जाता है।
ICICI Bank स्थापना वर्ष: 1994 (बैंकिंग संचालन शुरू)
ICICI Bank की नींव 1955 में एक विकास वित्त संस्थान के रूप में पड़ी थी, जिसका उद्देश्य उद्योगों को वित्त उपलब्ध कराना था। यह शुरुआत में केवल एक वित्तीय निवेश संस्था था, पर बाद में उदारीकरण के दौर में इसे व्यावसायिक बैंक का दर्जा मिला और 1994 से यह बैंक के रूप में सक्रिय हुआ। ICICI Bank उन पहले भारतीय बैंकों में से था जिसने इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और एटीएम जैसी आधुनिक सुविधाएं बड़े पैमाने पर लागू कीं। नवाचार और तकनीकी पहल ने इसे शहरी ग्राहकों और कॉर्पोरेट क्षेत्र में लोकप्रिय बनाया। आज ICICI Bank भारत का एक प्रमुख निजी क्षेत्र का बैंक है, जिसकी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत उपस्थिति है।
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