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March 31, 2025

पूरा हुआ रोज़ेदारों का इम्तिहान, अब 11 साल सर्दियों में रमजान,

Ramzan: जल्द ही माह-ए-रमजान मुकम्मल होने के साथ-साथ गर्मी में रोजेदारों के सब्र का इम्तिहान भी पूरा हो जाएगा। 2007 से 2025 के बीच 19 साल रोजेदारों ने सूरज की तपिश, उमस भरी गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच खुदा की इबादत की। अब आने वाले 11 साल, यानि 2026 से लेकर 2036 तक रमजान का महीना सर्दियों के बीच ही गुजरेगा। 2026 से 2036 तक Ramzan की आमद ठंडे मौसम में होगी। वर्ष 2007 से 2025 तक 19 बार Ramzan का महीना आया। इस्लामिक कैलेंडर का यह पाक महीना पिछले 19 वर्षों में मार्च से सितंबर के बीच गुजरा। इस बीच कभी रोजेदारों का सामना अप्रैल-मई की झुलसा देने वाली तपिश से हुआ, तो कभी जून, जुलाई, अगस्त में पसीने से तरबतर करने देने वाली उमस भरी गर्मी से। मार्च और सितंबर ने भी रोजेदारों का इम्तिहान लिया। इस दौरान मार्च, अप्रैल, मई, जुलाई, अगस्त में तीन-तीन Ramzan गुजरे। दो-दो बार जून और सितंबर में Ramzan की शुरुआत हुई। अब Ramzan का पाक महीना खिसक कर सर्दियों में पहुंचने वाला है। आने वाले 11 साल रोजेदारों के लिए राहत भरे होंगे। मुकद्दस Ramzan की आमद ठंडे मौसम होगी। इसकी शुरुआत 2026 से होगी। यह सिलसिला 2036 तक चलेगा। इस दौरान माह-ए-रमजान दिसंबर, जनवरी, फरवरी की ख़ुशनुमा सर्दियों में आएगा। इसके अलावा अक्तूबर और नवंबर की गुलाबी सर्दी भी रोजेदारों को राहत देगी।

हर साल 10 से 12 दिन पीछे खिसकता है Ramzan

गर्मियों में रोजे रखना कतई आसान नहीं है। जबकि पहले सर्दियों के महीने में रोजे आता थे। गर्मियों में झुलसा देने वाली तपन के बीच 14 से 15 घंटे भूखे-प्यासे रहकर रोजेदार को कड़ी परीक्षा देनी पड़ती है। Africa के कई मुस्लिम देशों में, गर्मियों में तापमान बहुत अधिक होता है। यहां Ramzan के महीने में रोजेदारों की हालत बहुत ही गंभीर हो जाती है। अब सवाल उठता है कि आख़िर Ramzan के बदलते मौसमी दौर की वजह क्या है?
दरअसल, मुस्लिम धर्म में हिज़री ‘Chand Calendar’ को फॉलो किया जाता है। इसे इस्लामी पंचांग भी कहते हैं। इस कैलेंडर में चांद दिखाई देने के अनुसार तिथि तय होती है। इस कैलेंडर में 12 महीने होते हैं और हर महीना अर्ध चंद्र दिखने के साथ शुरू होता है। चंद्र महीना 29 या 30 दिन का होता है, जिससे 1 चंद्र वर्ष या 12 महीने लगभग 354 दिन के ही होते हैं। यानि कि Gregorian Calendar के 365 दिनों की तुलना में Chand Calendar में 11 दिन कम होते हैं। यही कारण है कि इस्लामिक चांद कैलेंडर Gregorian Calendar से हर साल लगभग 11 दिन पीछे चला जाता है। इसके चलते Ramzan के महीने का पहला दिन, इस्लामी कैलेंडर का 9वां महीना, हर साल लगभग 11 दिन पीछे चला जाता है। यही कारण है कि हर 10-11 साल में रमजान का मौसम बदलता रहता हैऔर हर 33 साल में एक मौसमी चक्र को पूरा करता है।

2023 में दो बार मनेगी ईद

मुसलमानों के लिए वर्ष 2030 खास रहेगा। इस साल में रहमत और बरकत का मुबारक महीना रमजान दो बार होगा। एक साल की शुरुआत में दूसरा साल के अंत में। वर्ष 2030 में जनवरी और दिसंबर में Ramzan का आग़ाज़ होगा। वहीं तीन साल बाद वर्ष 2033 में मुसलमानों को दो बार ईद मनाने का मौका मिलेगा। एक ईद जनवरी में होगी तो दूसरी दिसंबर में मनाई जाएगी। Ramzan के मुबारक रोज़े रखने वाले इन दिनों में गर्मी से बेहाल हुए बिना खुशगवार मौसम में खुद की इबादत कर पाएंगे।

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