रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025) भाई-बहन के प्यार और विश्वास का त्योहार है, जिसे हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र व खुशियों की दुआ करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को तोहफे और हमेशा रक्षा करने का वचन देते हैं। इस बार रक्षाबंधन पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, राखी बांधते समय दिशा (Direction) का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। सही दिशा में राखी बांधने से न सिर्फ रिश्तों में मजबूती आती है, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) भी बढ़ती है।
राखी बांधने के दिशा नियम (Raksha Bandhan Rules)
बहन को किस दिशा में बैठना चाहिए?
राखी बांधते समय बहन का मुंह पूर्व (East) या ईशान्य (North-East) दिशा में होना शुभ माना जाता है।
भाई किस दिशा में बैठे?
भाई का मुंह पश्चिम (West) या दक्षिण (South) की ओर होना चाहिए।
पूजा थाली कहाँ रखें?
थाली बहन के दाईं ओर होनी चाहिए, जिसमें दीया, रोली, चावल, राखी और मिठाई सजाकर रखें।
सही तरीके से राखी बांधने के स्टेप्स (How to Tie Rakhi Correctly)
सबसे पहले पूजा थाली तैयार करें और दीया जलाएं। भाई की आरती करें, तिलक लगाएं और चावल चिपकाएं। राखी बांधते समय मन में भाई के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र और खुशियों की प्रार्थना करें। राखी बांधने के बाद मिठाई खिलाएं। भाई बहन को तोहफा दें और साथ ही हमेशा रक्षा करने का वचन (Raksha Bandhan Promise) भी दें।
क्यों जरूरी है सही दिशा?
ज्योतिष के अनुसार, जैसे सूरज पूर्व से उगकर रोशनी फैलाता है, वैसे ही शुभ काम सही दिशा में करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। Raksha Bandhan में सही दिशा का पालन करने से रिश्तों में मिठास (Relationship Bond) बढ़ती है और नेगेटिविटी दूर होती है।
भद्रा काल में राखी क्यों नहीं बांधते?
भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते। मान्यता है कि रावण की बहन ने भद्रा काल में ही राखी बांधी थी, जिसके बाद अशुभ घटनाएं हुईं। इसलिए Raksha Bandhan में भद्रा काल (Bhadra Kaal) से बचना जरूरी है। इस रक्षाबंधन पर सिर्फ राखी का धागा ही नहीं, बल्कि प्यार, सम्मान और सच्चे रिश्ते का बंधन बांधें। सही दिशा, साफ दिल और सच्ची भावना के साथ राखी बांधेंगे तो यह बंधन हमेशा अटूट रहेगा।