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April 30, 2025

Polynya : धरती में हो गया ‘आधे बिहार’ जितना बड़ा गड्ढा, 

Polynya: कुदरत ऐसे चमत्कार दिखाती है कि जिससे चांद पर पहुंचकर कायनात को काबू करने का दावा करने वाला इंसान भी हैरान रह जाता है। हाल ही में अंटार्कटिका में एक विशाल गड्ढा दिखाई दिया है। इस गड्ढे का आकार स्विट्जरलैंड यानी करीब आधा बिहार के बराबर है। इस आश्चर्यजनक घटना ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। आइये जानते हैं कि यह छेद या गड्ढा क्या है, कैसे बना और इसके धरती के लिए क्या मायने हैं?

Polynya-कहां बना गड्ढा

यह गड्ढा अंटार्कटिका दक्षिणी महासागर के मौड राइज क्षेत्र (Maud Rise plateau) के ऊपर दिखाई दिया है। समुद्री बर्फ में यह बड़ा गड्ढा कई हफ्तों तक खुला रहा, जिससे सवाल उठे कि ऐसा क्यों हो रहा है? धरती की सतह पर अचानक बने इन गड्ढों को Polynya कहते हैं। Polynya समुद्री बर्फ में ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां बर्फ का आवरण टूट जाता है या पिघल जाता है, जिससे नीचे समुद्र दिखाई देने लगता है।

Polynya कैसे बनते हैं

Polynya: इस विशाल छेद के निर्माण में कई कारकों ने योगदान दिया है। एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया एकमैन परिवहन है-एक ऐसी घटना,  जिसमें हवा से चलने वाली धाराएं नमक से भरे पानी को क्षेत्र की ओर धकेलती हैं। इससे नीचे से बर्फ पिघलने लगी, जिससे छेद के कई हफ़्तों तक खुला रहने के लिए जरूरी परिस्थितियां बन गईं। ध्रुवीय क्षेत्रों में ये छिद्र असामान्य नहीं हैं, लेकिन Maud Rise Seamount Polynya का आकार और अवधि इसे विशेष रूप से उल्लेखनीय बनाती है। Maud Rise Seamount Polynya, वेडेल सागर के नीचे स्थित एक बड़ा पानी के नीचे का पहाड़ है। पहाड़, इस क्षेत्र में समुद्री धाराओं के साथ मिलकर एक घुमावदार प्रभाव पैदा करके Polynya के निर्माण में योगदान करते हैं, जो गर्म, नमकीन पानी को फंसाता है। यह गर्म पानी नीचे से बर्फ को कमज़ोर करता है।
हाल के शोध में पाया गया कि वैश्विक तापमान बढ़ने के साथ-साथ उष्णकटिबंधीय तूफान, जो अधिक आम हैं, छेद को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करते हैं।
अंटार्कटिका की बर्फीली सतह पर निर्मित हुए इस गड्ढे को देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ पर ये गड्ढा अचानक बना और फिर धीरे-धीरे आकार में इतना बड़ा होता चला गया कि इसका क्षेत्रफल भारतीय राज्य बिहार के बराबर हो गया। ये कई दिनों तक वैज्ञानिकों की परेशानी का सबब बना रहा, लेकिन अब उन्होंने इसके पीछे की वजह का पता लगा लिया है।
NASA के वैज्ञानिकों की नजर सबसे पहले इस काले धब्बे पर पड़ी थी। ये गड्ढा ‘Moud Rise’ नाम के पठार के ठीक ऊपर दिखाई दे रहा था, जो पूरी तरह से जल में डूबा हुआ है। इस खाई को नाम दिया गया- पोलिन्या (Polynya)! इतिहास बताता है कि Polynya की खोज सबसे पहले 1970 के दशक में हुई थी, जब दक्षिणी महासागर के ऊपर समुद्री बर्फ का निरीक्षण करने के लिए सैटेलाइट्स को पहली बार लॉन्च किया गया था। साइंस एडवांसेज (earth) की रिपोर्ट के मुताबिक, यह गड्ढा 1974 से 1976 तक लगातार सर्दियों में बना रहा और उस समय समुद्र विज्ञानियों ने मान लिया था कि यह एक सालाना घटना बन जाएगी। लेकिन 1970 के दशक से, यह केवल छिटपुट रूप से और कुछ समय के लिए ही रहा। साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय का कहना है कि 1970 के दशक के बाद से 2017 में पहली बार वेडेल सागर में इतना बड़ा और लंबे समय तक रहने वाला Polynya देखा गया।

कैसे बना Polynya

Polynya: पानी में डूबा Moud Rise पहाड़ समुद्री धाराओं को हिलाता है। सर्दियों में क्लॉक वाइज घूमने वाले वेडेल गाइर (वेडेल सागर में मौजूद एक समुद्री धारा) की स्पीड बढ़ गई, जिससे गहरी और नमकीन पानी की एक गहरी परत सतह के पास आ गई। इससे नीचे की बर्फ पिघलने लगी, जिससे सतह की बर्फ कमजोर हो गई और गड्ढा बनने लगा। इस प्रक्रिया को ‘अपवेलिंग’ कहते हैं। गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में भौतिक समुद्र विज्ञान के प्रोफेसर फैबियन रोक्वेट के अनुसार, ये अपवेलिंग यह समझाने में मदद करता है कि समुद्री बर्फ कैसे पिघल सकती है! लेकिन जैसे-जैसे समुद्री बर्फ पिघलती है, इससे सतह का पानी ताज़ा हो जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस गड्ढे को बनाने में सिर्फ अपवेलिंग ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि कुछ और कारकों का भी इसमें हाथ रहता है। जैसे समुद्री तूफान और एटमॉस्फेरिक रिवर जैसी वायुमंडलीय प्रकियाएं। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी घटनाएं भविष्य के लिए चिंताजनक हैं।

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