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गुजरात दंगों में पाकसाफ निकले मोदी और शाह, नानावती आयोग ने दी क्लीन चिट

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आज भी नरेंद्र मोदी से जब भी किसी इंटरव्यू में गुजरात दंगों की बात की जाती है तो मोदी सिहर जाते है, कई सालों से गुजरात गोधरा कांड का दंश झेलने वाले पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को बड़ी राहत मिली है। गोधरा कांड व गुजरात दंगों की जांच के लिए गठित जस्टिस नानावटी जस्टिस मेहता आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह को क्लीन चिट दी है। नानावटी आयोग ने सितंबर 2008 में गोधरा कांड पर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें भी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी गई थी। और इस बार भी राहत मिली है।
गौरतलब है कि गुजरात के गोधरा में साल 2002 में एक ट्रेन में लगी आग की जांच के लिए गठित नानावती आयोग रिपोर्ट का दूसरा भाग आज बुधवार को विधानसभा में पेश हुआ, जिसके कई तथ्य सामने आये है, रिपोर्ट की माने तो गोधरा कांड एक साजिश के तहत किया गया था जबकि उसके बाद भडके दंगे किसी साजिश का  हिस्सा नहीं थे। दंगों के दौरान तीन आईपीएस अधिकारियों की भूमिका शंकास्पद मानी गई है। नानावटी की ये रिपोर्ट पांच हजार पेज की है जिसमे मोदी और शाह के साथ साथ गुजरात के तीन पूर्वमंत्री दिवंगत हरेन पंड्या, दिवंगत अशोक भट्ट व भरत बारोट को भी क्लीन चिट दी है।
इस रिपोर्ट में करीब 44 हजार 445 शपथ पत्रों व 488 सरकारी अधिकारी व पुलिस अधिकारियों के शपथ पत्र के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी घटनास्थल का मुआयना करने गए थे उन पर तब सबूत नष्ट करने के आरोप भी लगा था जो अब इस रिपोर्ट में निराधार पाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी और किसी भी नेता की गोधराकांड में कोई भूमिका नहीं है, साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि सरकार ने उस दिन किसी बंद का ऐलान नहीं किया था।
गोधरा कांड के 17 साल बाद गुजरात सरकार द्वारा गठित जांच आयोग रिपोर्ट जारी की गई, नानावटी मेहता आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट 18 नवंबर 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी। बुधवार को आयोग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट पेश की है। दंगों के बाद कांग्रेस, विपक्षी पार्टियां, कई गैरसरकारी संगठन और विदेशी संस्थाओं ने नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश की लेकिन रिपोर्ट में क्लीन चिट मिलने से पीएम मोदी की छवि में सुधार आएगा। गौरतलब है कि गोधरा कांड में 58 कारसेवक जिंदा जला दिए गए थे जबकि 40 जख्मी हो गए थे।