इस्लामाबाद, 27 अक्टूबर 2025- पाकिस्तान-अफगान सीमा पर हालिया गहमागहमी के बीच एक और खूनखराबा हुआ है जिसमें पाक सेना के पांच सैनिक शहीद हो गए। पाक सेना ने रविवार को बताया कि सीमा पार से घुसपैठ और हल्की-भारी गोलीबारी के दौरान यह घटना हुई, जबकि सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में दर्जनों मिलिशिया/आतंकवादियों के मारे जाने की सूचना दी गई है। यह झड़प ऐसे समय में हुई है जब दोनों पक्षों के प्रतिनिधि शांति वार्ता में लगे हुए थे। घटना ने वार्ताप्रक्रिया और सीमा-स्थिरता पर गंभीर प्रश्न उठा दिए हैं।
शांति वार्ता के बीच पाक-अफ़गान सीमा पर गोलीबारी
अफगानिस्तान-पाकिस्तान में शांति वार्ता के बीच बॉर्डर पर फिर गोलीबारी शुरू हो गई है। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि अफगानिस्तान की ओर से घुसपैठ की कोशिश में 5 सैनिक शहीद हुए, जबकि जवाबी कार्रवाई में 25 लड़ाके मारे गए। ये झड़पें कुर्रम और उत्तरी वजीरिस्तान के इलाकों में शुक्रवार-शनिवार को हुईं, जब तुर्की के इस्तांबुल में दोनों देशों के प्रतिनिधि शांति वार्ता में जुटे थे। पाकिस्तान की सेना ने तालिबान प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया कि वो अफगान क्षेत्र से सक्रिय सशस्त्र गुटों को रोकने में नाकाम रहा। पाक सेना ने दावा किया कि आतंकवादी नेटवर्क ने अफगान तरफ से सीमा पार कर के सशस्त्र हमला किया, जिस पर सेना ने त्वरित और सख्त जवाबी कार्रवाई की। प्रारंभिक आधिकारिक आंकड़ों में पाक सेना के 5 जवान शहीद और कई घायल बताए गए हैं। पाक सेना ने कहा कि जवाबी कार्रवाई में लगभग 25 से अधिक आतंकवादी मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए।
घटनाक्रम पर सेना का बयान
सेना प्रवक्ता ने कहा, “हमारी पुष्टि के अनुसार सीमा पर हुई यह परस्पर झड़प शत्रुओं द्वारा जानबूझकर उकसावे की कोशिश थी। हम अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए आवश्यक हर कदम उठाएंगे।” पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने रविवार को इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के जरिए बयान जारी किया। उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान की तरफ से सशस्त्र लोग कुर्रम और उत्तरी वजीरिस्तान में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। हमारी सेना ने सख्त जवाब दिया, जिसमें 25 लड़ाके मारे गए। दुर्भाग्य से हमारे 5 बहादुर जवान शहीद हो गए।अफगान प्रशासन ने अफगान क्षेत्र से सक्रिय सशस्त्र समूहों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। ये हमारी संप्रभुता पर हमला है।’
On 24-25 October 2025, movements of two large groups of khwarij, opposite general area Ghaki, Kurram District and Spinwam, North Waziristan District who were trying to infiltrate through Pakistan-Afghanistan border, were picked up by the security forces.
Own troops effectively… pic.twitter.com/o5GtmEjFPd
— DG ISPR (@OfficialDGISPR) October 26, 2025
पाकिस्तान ने दावा किया कि ये घुसपैठिए तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे गुटों के थे, जो अफगानिस्तान में छिपे हैं। लेकिन अफगानिस्तान की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने X पर पोस्ट किया, “ये झड़पें पाकिस्तान की आंतरिक समस्या हैं, हम शांति चाहते हैं।”
शांति वार्ता पर असर- समय-रेखा में विरोधाभास
यह झड़प उसी अवधि में सामने आई जब अफगान और पाक प्रतिनिधि इस्तांबुल तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति वार्ता में लगे हुए थे। वार्ता के दौरान सीमा पर हिंसा ने दोनों देशों के बीच विश्वास घटाने का काम किया है। कई विश्लेषक मानते हैं कि ऐसे हालात वार्ता की सफलता के लिए बड़ा जोखिम हैं। पाकिस्तान ने बार-बार आरोप लगाया है कि अफगान धरती पर सक्रिय समूहों को पनाह मिल रही है। दूसरी ओर अफगान पक्ष और कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पाकिस्तान की भी सीमा सुरक्षा तथा इलाके में सैन्य कार्रवाइयों पर चिंता जताई है।
तालिबान / TTP का संदर्भ और क्षेत्रीय चिंता
पाक सेना ने जिन समूहों का उल्लेख किया है, उनमें Tehrik-e-Taliban Pakistan (TTP) और उसके सहयोगी शामिल हैं। वे समूह लंबे समय से अफगानिस्तान-पाक सीमा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। हालिया वर्षों में TTP और अन्य संगठनों की गतिविधियों में उतार-चढ़ाव देखा गया है, जिससे सीमा-क्षेत्र अस्थिर बना हुआ है। पाकिस्तान की ओर से यह चेतावनी बार-बार आई है कि यदि अफगान सरकार और संबंधित पक्ष सीमा के अंदर सक्रिय उग्रवादी दलों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करते, तो “खुले युद्ध” जैसी गंभीर प्रतिक्रिया की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
स्थानीय प्रभाव और नागरिकों की स्थिति
सीमा-कॉरिडोर के आसपास बसे सामान्य नागरिकों के लिए स्थिति खतरनाक बनी हुई है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, झड़प में 10 से ज्यादा नागरिक भी घायल हुए हैं। सुरक्षा सूत्रों के अनुसार झड़प के बाद प्रभावित इलाकों में लोगों ने अपने-अपने घरों से पलायन शुरू कर दिया है और स्थानीय बाजार ठप रहे। सीमा-क्षेत्र के अस्पताल घायलों का इलाज कर रहे हैं जबकि सेना और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया सामने आई
अफगान अधिकारियों ने फिलहाल स्थिति पर संयम बरतने और दोनों पक्षों से परामर्श कर मामले की जांच करने का आग्रह किया है। क्षेत्रीय पर्यवेक्षक व विश्लेषक इस झड़प को उन जटिल सतत चुनौतियों का उदाहरण मान रहे हैं जिनसे अफगान-पाक सीमा पर दशकों से निपटा जा रहा है- अस्थिर राजनीतिक मंडल, सीमापार सशस्त्र समूह, और कमजोर प्रशासनिक पहुंच! कई वैश्विक देखरेख संस्थाओं ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह के व्यापक सैन्य टकराव से परहेज करने की अपील की है।
अफ़गान-पाक सीमा पर क्या बढ़ सकती है सैन्य कार्रवाई
सैन्य और कूटनीति विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के भीतर से उठती “कठोर” आवाजें अगर निर्णायक रणनीति में बदलीं तो सीमापरिस्थिति और तेज हो सकती है। वहीं दूसरी ओर व्यापक युद्ध किसी भी पड़ोसी के हित में नहीं! इससे सीमांत इलाकों में मानवाधिकार संकट और शरणार्थी-लहरें बढ़ सकती हैं। इसलिए अंतरराष्ट्रीय दबाव और द्विपक्षीय बातचीत दोनों की जरूरत बनी रहेगी।
अफ़गान-पाक सीमा पर तनाव नई बात नहीं
पाकिस्तान–अफगानिस्तान सीमा, जिसे Durand Line कहा जाता है, पर तनाव कोई नई बात नहीं है। यह दशकों से दोनों देशों के बीच सबसे संवेदनशील और विवादित इलाका रहा है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की ड्यूरंड रेखा (Durand Line) ब्रिटिश शासनकाल (1893) में खींची गई थी। अफगानिस्तान इस रेखा को “अवैध” और “औपनिवेशिक थोप” मानता है, जबकि पाकिस्तान इसे अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा कहता है। यही विवाद आज तक सुलझा नहीं है। अफगान पक्ष सीमा के दोनों ओर बसे पश्तून जनजातीय इलाकों को “एक सांस्कृतिक इकाई” मानता है। पाकिस्तान ने वर्षों में इस सीमा पर बाड़ लगाई है, लेकिन अफगानिस्तान इसे मान्यता नहीं देता।
तालिबान और TTP का मुद्दा
TTP नामक आतंकी संगठन पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय है, लेकिन उसके ठिकाने अफगानिस्तान के अंदर माने जाते हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार इन उग्रवादियों को पनाह दे रही है या उन पर कार्रवाई नहीं कर रही। अफगान पक्ष इस आरोप को खारिज करता है, लेकिन सीमा पार से बार-बार हमले होते रहे हैं। जब भी पाकिस्तान इन इलाकों में हवाई या ज़मीनी कार्रवाई करता है, अफगानिस्तान इसे संप्रभुता का उल्लंघन कहता है और टकराव बढ़ जाता है।
सीमा पार हमले और जवाबी कार्रवाई
अफ़गान-पाक सीमा क्षेत्र के कुर्मम, नॉर्थ वजीरिस्तान, और स्पिन बोल्डक जैसे हिस्सों में अक्सर उग्रवादी हमले होते हैं। पाकिस्तान कहता है कि ये हमले अफगान सीमा से घुसपैठ कर आने वाले आतंकियों द्वारा किए जाते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान शासन के आने के बाद से कूटनीतिक अलगाव और आर्थिक संकटगहराया है। पाकिस्तान पहले तालिबान का समर्थक माना जाता था, लेकिन अब उसे सुरक्षा खतरे और सीमा से आतंकवाद फैलने की चिंता सताती है। दूसरी ओर, अफगान तालिबान भी मानता है कि पाकिस्तान अमेरिकी दबाव में उनके खिलाफ कार्रवाई करता है।
स्थानीय, जनजातीय और मानवीय संकट
सीमा के दोनों ओर पश्तून जनजातियां रहती हैं जो एक ही परिवार या गोत्र से जुड़ी हैं। जब भी गोलीबारी या सैन्य कार्रवाई होती है, आम लोग प्रभावित होते हैं, पलायन करते हैं, और स्कूल-बाज़ार बंद हो जाते हैं। यह इलाका पहले से ही विकास और स्वास्थ्य सुविधाओं में बहुत पिछड़ा है, जिससे हर टकराव के बाद मानवीय संकट और बढ़ जाता है। पाकिस्तान-अफगान सीमा की यह ताज़ा झड़प उस नाज़ुक सुरक्षा माहौल की याद दिलाती है जिसमें क्षेत्र वर्षों से जूझ रहा है। तेज-तर्रार बयानबाज़ियां और प्रतिरोधात्मक कार्रवाइयां किसी भी समय स्थिति को और बिगाड़ सकती हैं। क्षेत्रीय स्थिरता और आम जनता की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि दोनों पक्ष संयम दिखाएं, तथ्यों की पारदर्शी जांच हो और वार्ता को प्राथमिकता दी जाए।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!

