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December 19, 2025

मुंबई में पगड़ी प्रथा के अंत की तैयारी, दशकों पुरानी किरायेदार व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव !

The CSR Journal Magazine

 

महाराष्ट्र सरकार ने पगड़ी इमारतों के लिए नया नियामक ढांचा लाने का ऐलान किया! लक्ष्य- मुंबई को “पगड़ी-मुक्त” बनाकर जर्जर इमारतों का पुनर्विकास ! एक झटके में खत्म नहीं होगा सिस्टम, चरणबद्ध बदलाव ज़रूरी ! हजारों किरायेदार और मकान मालिक होंगे सीधे प्रभावित!

मुंबई में खत्म होगी पगड़ी प्रथा

मुंबई में दशकों से चली आ रही पगड़ी प्रथा अब अपने अंतिम दौर में मानी जा रही है। पगड़ी प्रथा वही सिस्टम है जिसके तहत किराएदार एकमुश्त रकम (पगड़ी) देकर बेहद कम किराए पर आजीवन घर या दुकान का उपयोग करता रहा है। समय के साथ यह प्रणाली किरायेदारों की सुरक्षा का माध्यम बनी, लेकिन आज यही व्यवस्था शहर के पुनर्विकास, सुरक्षा और आधुनिककरण में सबसे बड़ी बाधा बन चुकी है। पगड़ी सिस्टम मुंबई की एक पुरानी किरायेदारी व्यवस्था है, जिसकी शुरुआत आज़ादी से पहले हुई थी। यह व्यवस्था कभी  किरायेदारों की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी, लेकिन समय के साथ यह शहर के विकास में सबसे बड़ी रुकावट बन गई।

पगड़ी सिस्टम क्या है?

पगड़ी सिस्टम एक पुरानी किरायेदारी व्यवस्था है, जो मुख्य रूप से दक्षिण और मध्य मुंबई में प्रचलित रही। इसमें किरायेदार मकान मालिक को एक बड़ी रकम देता है और बदले में उसे बहुत कम मासिक किराए पर लंबे समय तक, कई मामलों में पीढ़ियों तक, संपत्ति पर रहने का अधिकार मिल जाता है। कई जगह किराया आज भी ₹100–₹500 प्रति माह है। पगड़ी प्रथा के तहत किरायेदार का अधिकार इतना मजबूत है कि उसे आसानी से निकाला नहीं जा सकता। पगड़ी का अधिकार अगली पीढ़ी को भी मिल जाता है। इस व्यवस्था में किरायेदार के अधिकार बेहद मजबूत हैं, जबकि मकान मालिक को सीमित किराया मिलता है, जिससे न तो वह मरम्मत कर पाता है और न ही पुनर्विकास की पहल कर पाता है।

क्यों खत्म किया जा रहा है पगड़ी सिस्टम?

मुंबई में हजारों पगड़ी इमारतें आज 60 से 100 साल पुरानी हो चुकी हैं और कई इमारतें जर्जर हालत में हैं। हर साल मानसून के दौरान इमारत गिरने की घटनाएं सामने आती हैं। कम किराया मिलने के कारण मकान  मालिक रखरखाव नहीं कर पाते, वहीं किरायेदार कानूनी सुरक्षा के कारण पुनर्विकास के लिए तैयार नहीं होते। इसका नतीजा यह हुआ कि हजारों पुनर्विकास परियोजनाएं कोर्ट केस और विवादों में फंसी रहीं, जिससे शहर का विकास ठप पड़ गया।

सरकार ने कब और कैसे किया ऐलान?

महाराष्ट्र सरकार ने इस समस्या पर निर्णायक कदम उठाते हुए 11 दिसंबर 2025 को महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के दौरान पगड़ी सिस्टम को लेकर बड़ा ऐलान किया। राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सदन में एक  लिखित बयान के माध्यम से बताया कि मुंबई को “पगड़ी-मुक्त” बनाने के लिए एक अलग और नया नियामक ढांचा (Regulatory Framework) तैयार किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला अचानक नहीं,  बल्कि चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा ताकि किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो।

सरकार की नई योजना में क्या होगा?

सरकार के अनुसार, नए ढांचे के तहत-
  • जर्जर पगड़ी इमारतों का सुरक्षित और समयबद्ध पुनर्विकास किया जाएगा।
  • किरायेदारों को पुनर्विकास के बाद उतनी ही जगह नई इमारत में मिलेगी, जितनी पहले थी।
  • मकान मालिकों को उनकी जमीन के अनुसार विकास अधिकार और मुआवजा मिलेगा।
  • वर्षों से लंबित हजारों कानूनी मामलों के समाधान के लिए विशेष और तेज प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

इस फैसले से क्या फायदे होंगे?

इस बदलाव से मुंबई में-
  • पुराने और खतरनाक भवनों से लोगों को राहत मिलेगी,
  • पुनर्विकास को गति मिलेगी,
  • शहर की जमीन का बेहतर उपयोग हो सकेगा,
  • और मुंबई का शहरी स्वरूप आधुनिक व सुरक्षित बनेगा।
सरकार का दावा है कि यह नीति किरायेदारों की सुरक्षा और शहर के विकास, दोनों में संतुलन बनाएगी।

विरोध और आशंकाएं

हालांकि, कुछ किरायेदार संगठनों और विपक्षी दलों ने इस फैसले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि कहीं यह नीति किरायेदारों को कमजोर न कर दे और बिल्डरों को अनुचित लाभ न पहुंचाए। सरकार ने इन आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि किसी भी किरायेदार को बेघर नहीं किया जाएगा और पुनर्वास उनकी पहली प्राथमिकता होगी।
पगड़ी सिस्टम कभी मुंबई के आम नागरिक के लिए सुरक्षा कवच था, लेकिन आज यह शहर के विकास में रोड़ा बन चुका है। 11 दिसंबर 2025 का विधानसभा ऐलान इस दिशा में एक निर्णायक मोड़ माना जा रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि पगड़ी सिस्टम का यह अंत नहीं, बल्कि मुंबई के सुरक्षित और आधुनिक भविष्य की शुरुआत है, बशर्ते इसे ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाए।
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