165 साल पुराने, 1,236 एकड़ में फैले मक़ाइबारी टी एस्टेट में ओबरॉय बना रहा केवल 25 कमरों का लो-डेंसिटी रिसॉर्ट! टिकाऊ पर्यटन, विरासत संरक्षण और स्थानीय रोज़गार पर रहेगा खास फोकस !
दार्जिलिंग के ऐतिहासिक मक़ाइबारी चाय बागान में खुलेगा ‘ओबेरॉय’ का लग्ज़री रिसॉर्ट
भारत के प्रतिष्ठित हॉस्पिटैलिटी समूह The Oberoi Group की प्रमुख कंपनी EIH लिमिटेड ने दार्जिलिंग के ऐतिहासिक मक़ाइबारी टी एस्टेट में एक अल्ट्रा-लग्ज़री ओबेरॉय रिसॉर्ट विकसित करने के लिए प्रबंधन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह रिसॉर्ट वर्ष 2030 तक पर्यटकों के लिए खोलने की योजना है।करीब 1,236 एकड़ में फैला मक़ाइबारी टी एस्टेट अपने हिमालयी प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता और ऑर्गेनिक व बायोडायनामिक खेती की अग्रणी परंपरा के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। इस 165 साल पुराने चाय बागान में बनने वाला रिसॉर्ट प्रकृति, विरासत और आधुनिक विलासिता का अनूठा संगम होगा।
सिर्फ 25 कमरों का विशेष रिसॉर्ट
ओबेरॉय समूह इस परियोजना में लो-डेंसिटी डेवलपमेंट के सिद्धांत को अपनाएगा। प्रस्तावित रिसॉर्ट में केवल 25 कीज़ (कमरे/सुइट्स) होंगे, ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे और मेहमानों को शांति, निजता और प्रकृति से गहरा जुड़ाव मिल सके।रिसॉर्ट की वास्तुकला और डिज़ाइन की ज़िम्मेदारी नावा डिज़ाइन स्टूडियोज़को सौंपी गई है, जो स्थानीय संस्कृति, प्राकृतिक भू-दृश्य और विरासत को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन तैयार करेगा।
लक्ष्मी टी कंपनी के साथ साझेदारी
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लक्ष्मी टी कंपनी के सहयोग से विकसित किया जा रहा है, जो मक़ाइबारी टी एस्टेट का संचालन करती है। यह साझेदारी चाय बागान की ऐतिहासिक पहचान को बनाए रखते हुए जिम्मेदार और अनुभवात्मक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है।
मक़ाइबारी (Makaibari) टी एस्टेट : संक्षिप्त परिचय
मकाईबारी टी एस्टेट पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में स्थित एक विश्व-प्रसिद्ध चाय बागान है। इसकी स्थापना 1859 में हुई थी, जिससे यह दार्जिलिंग की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक चाय सम्पदाओं में गिनी जाती है। यह एस्टेट हिमालय की तलहटी में फैला हुआ है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता तथा पारंपरिक खेती के लिए जाना जाता है। मक़ाइबारी को दुनिया का पहला ऐसा चाय बागान माना जाता है जिसने ऑर्गेनिक और बायोडायनामिक खेती को अपनाया। यहां उत्पादित चाय अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता, सुगंध और स्वाद के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रसिद्ध है। यह एस्टेट पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय समुदाय की भागीदारी और सतत विकास का भी एक आदर्श उदाहरण माना जाता है।
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर ज़ोर
परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता इसका सस्टेनेबिलिटी मॉडल है। रिसॉर्ट में-
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न्यूनतम निर्माण हस्तक्षेप,
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पर्यावरण-अनुकूल सामग्री का उपयोग,
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जल, ऊर्जा और कचरा प्रबंधन की आधुनिक प्रणालियां,
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जैव विविधता संरक्षण जैसे पहलुओं को प्राथमिकता दी जाएगी। उद्देश्य यह है कि विकास के साथ-साथ प्रकृति और चाय बागान की पारिस्थितिकी को कोई नुकसान न पहुंचे।
स्थानीय समुदाय को मिलेगा सीधा लाभ
ओबेरॉय समूह ने इस परियोजना में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को केंद्र में रखा है। रिसॉर्ट से-
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दीर्घकालिक रोज़गार के अवसर,
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हॉस्पिटैलिटी स्किल डेवलपमेंट,
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स्थानीय हस्तशिल्प और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। इससे दार्जिलिंग क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को नई गति मिलने की उम्मीद है। यह लग्ज़री रिसॉर्ट बागडोगरा एयरपोर्ट के नज़दीक स्थित होगा, जिससे देश-विदेश के पर्यटकों के लिए यहां पहुंचना आसान रहेगा। पहाड़ों, चाय बागानों और हिमालयी नज़ारों के बीच स्थित यह प्रॉपर्टी एक्सपीरिएंशियल लग्ज़री टूरिज़्म का नया केंद्र बनने की संभावना रखती है।
ओबेरॉय की ‘रिस्पॉन्सिबल हॉस्पिटैलिटी’ की दिशा में कदम
ओबेरॉय समूह के अनुसार, यह परियोजना उनकी ‘Responsible Hospitality Vision’ का हिस्सा है, जिसमें विरासत संरक्षण, पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी और समुदाय के साथ साझेदारी को समान महत्व दिया जाता है। दार्जिलिंग के मक़ाइबारी टी एस्टेट में बनने वाला ओबेरॉय रिसॉर्ट न केवल एक लग्ज़री ठिकाना होगा, बल्कि यह प्रकृति, विरासत और ज़िम्मेदार पर्यटन का आदर्श उदाहरण भी बनेगा। 2030 में इसके खुलने के साथ ही पूर्वी हिमालयी क्षेत्र को वैश्विक लग्ज़री टूरिज़्म मानचित्र पर नई पहचान मिलने की उम्मीद है।
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