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July 18, 2025

क्या आपने कभी सुना है Non Veg Milk के बारे में, जिस पर अटक रही भारत-अमेरिका ट्रेड डील

The CSR Journal Magazine
Non Veg Milk: भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड को लेकर रिश्ते खराब पहले ही खराब हैं, अब ‘Non Veg Milk’ यानी एनिमल बेस्ड मिल्क प्रोडक्ट्स के आयात-निर्यात के लिए भारत के अमेरिका को पूरी तरह से इनकार के बाद मामला और गंभीर हो गया है। भारत ने साफ किया है कि देश में ऐसे उत्पादों की स्वीकृति नहीं है क्यूंकि इससे सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाएं भी आहत हो सकती हैं।

Non Veg Milk ने खटाई में डाली India-America Trade

India US Trade: भारत और अमेरिका के बीच ‘Non Veg Milk’ कारोबार को लेकर व्यापार वार्ता एक अहम मोड़ पर पहुंचने के बाद रुक गई है। भारत ने साफ इनकार कर दिया है कि वह Non Veg Milk के आयात की इजाजत नहीं देगा, जबकि अमेरिका प्रशासन का कहना है कि भारत सरकार इस मामले में टांग न अड़ाए। दरअसल, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की बातचीत के बीच Washington DC की ख्वाहिश है कि नई दिल्ली अपना डेयरी उत्पाद का बाजार उसके लिए खोले, लेकिन भारत सख्त प्रमाणीकरण पर जोर दे रहा है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आयातित दूध उन गायों से आए, जिन्हें मांस या रक्त जैसे पशु-आधारित उत्पाद नहीं खिलाए गए हैं। धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलताओं के कारण भारत इसे खुद के लिए अनैतिक मानता है।

500 अरब डॉलर का ट्रेड लक्ष्य खटाई में

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर शीर्ष वार्ताकारों के बीच गहन बातचीत के बीच किसानों के हितों की रक्षा के अलावा ‘Non Veg Milk’ को लेकर सांस्कृतिक संवेदनशीलता भी एक बड़ा मुद्दा है। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता जिसका उद्देश्य एक समझौता हासिल करना और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है, इस राह में डेयरी प्रॉडक्ट पर ट्रेड डील रुकना बड़ी बाधा बनकर उभरा है। कृषि के साथ-साथ नई दिल्ली का डेयरी क्षेत्र भी एक बड़ी रेड लाइन के रूप में उभकर सामने आया है।

भारत में दूध केवल एक पेय नहीं, संस्कृति है

व्यापार गतिरोध का मूल कारण भारत का सख्त प्रमाणीकरण पर जोर है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि आयातित डेयरी उत्पाद उन गायों से आएं हैं, जिन्हें मांस या रक्त जैसे पशु-आधारित उत्पाद नहीं खिलाए जाते है। कल्पना कीजिए कि आप उस गाय के दूध से बना मक्खन खा रहे हैं जिसे किसी दूसरी गाय का मांस और रक्त खिलाया गया हो। भारत शायद इसकी कभी अनुमति नहीं देगा। भारत में दूध सिर्फ उपभोग के लिए ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा के धार्मिक अनुष्ठानों का भी एक अनिवार्य हिस्सा होता है।
भारत अभी डेयरी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाता है। पनीर पर 30 प्रतिशत, मक्खन पर 40 प्रतिशत और दूध पाउडर पर 60 प्रतिशत, जिससे न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे कम लागत वाले उत्पादकों से भी आयात करना मुश्किल है। इसके अतिरिक्त, भारत का पशुपालन और डेयरी विभाग खाद्य आयात के लिए पशु चिकित्सा प्रमाणन अनिवार्य करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि डेयरी उत्पादों सहित सभी उत्पाद ऐसे पशुओं से प्राप्त हों जिन्हें गोजातीय आहार नहीं दिया जाता है। यह एक ऐसी आवश्यकता है जिसकी अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन में आलोचना की है।
भारत के स्वाद और परंपरा से गहराई से जुड़े दूध से कई ऐसे पदार्थ प्राप्त होते हैं जिनका घरों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जैसे दही, घी, मक्खन, पनीर, छाछ, खोया, मलाई और गाढ़ा दूध।

क्या होता है Non Veg Milk

Non Veg Milk, यानी वे डेयरी प्रोडक्ट्स, जो ऐसे पशुओं के दूध से बने होते हैं, जिनको मांस खिलाया खिलाया जाता है या खून पिलाया जाता है। दरअसल, अमेरिका में गायों को ऐसा खाना देने की इजाजत है, जिसमें सूअर, मछली, मुर्गे, घोड़े, यहां तक कि बिल्ली या कुत्ते के पार्ट्स भी शामिल हो सकते हैं। अमेरिका की डेयरी फार्मिंग में गायों को अधिक दूध उत्पादन के लिए मांस आधारित चारा दिया जाता है, जिसे ‘Rendered Feed’ कहा जाता है। मवेशियों को प्रोटीन के लिए सूअर और घोड़े का खून भी दिया जाता है। इसके अलावा, मोटा होने के लिए Tallow दिया जाता है, जो एनिमल पार्ट्स से बनी सख्त वसा होती है। अमेरिका, ब्राजील, चीन, यूरोप जैसे कई देशों में दूध देने वाली गायों को ऐसा चारा खिलाया जाता है जिसमें मरे हुए जानवरों की हड्डियों, मांस, मछली पाउडर और पशु चर्बी जैसी चीजें शामिल होती हैं। भारत में ऐसे दूध का सांस्कृतिक और धार्मिक नजरिए से सेवन करना अनैतिक माना जाता है। इसको लेकर लोगों का रुख  काफी संवेदनशील है। भारत में इस तरह के चारे पर पाली गई गायों का दूध धार्मिक रूप से स्वीकार्य नहीं माना जाता, खासकर हिंदू और जैन समुदायों के लिए! उनका मानना है कि गाय का दूध तभी पवित्र होता है जब गाय खुद शाकाहारी हो। भारत अमेरिका से यह आश्वासन चाहता है कि आयातित दूध इस तरह से उत्पादित न हो।

Blood Meal से बनाया जाता है गायों को अधिक दुधारू

दुधारू पशुओं को तंदरूस्त बनाने के लिए Blood Meal का इस्तेमाल किया जाता है।जानवरों के मरने के बाद उनके खून को सुखाया जाता है और इससे खास तरह का चारा बनता है जिसे Blood Meal कहते हैं। दावा किया जाता है कि ब्लड मील के कारण दूध देने वाले जानवर तंदरुस्त बनने के साथ दूध भी ज्यादा देते हैं। ब्लड मील को लाइसीन का बड़ा सोर्स कहा जाता है। ब्लड मील को बूचड़खाने की मदद से तैयार किया जाता है। इसका फायदा यह भी होता है कि बूचड़खानों का कचरा कम होता है और इससे तैयार होने वाला ब्लड मील बेचकर कमाई भी की जाती है। प्रदूषण घटता है, लेकिन खून सुखाने की प्रॉसेस में बड़े पैमाने पर बिजली भी लगती है।

Non Veg Milk के कितने फायदे-कितने नुकसान

Non Veg Milk में साफतौर पर जानवरों से निकले तत्व होते हैं। इसमें जिलेटिन, कोलेशन, फिश ऑयल समेत कई चीजें होती हैं। इसका चलन दुनिया में उन देशों में ज्यादा है जहां हाई प्रोटीन डाइट का चलन है, जहां वर्कआउट पर ज्यादा फोकस किया जाता है और शाकाहार या मांसाहार जैसी बाध्यताएं नहीं होतीं। इसे एंटी-एजिंग और फोर्टिफाइड मिल्क के तौर पर भी लिया जाता है। इसके फायदे और नुकसान दोनों ही हैं।
कोलेजन, कैल्शियम और प्रोटीन होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाता है, मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, इन्हें रिपेयर करने का काम करता है। Fish Oil और Omega 3 Milk ब्रेन और हार्ट की हेल्थ के लिए बेहतर माने जाते हैं। इसे स्किन और बालों, दोनों के लिए बेहतर होने का दावा किया जाता है। इसके अलावा Vitamin D3 जैसे तत्व रोगों से लड़ने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने का काम करते हैं।
लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। इसमें जानवर से निकले तत्व मौजूद होने के कारण एलर्जी हो सकती है। कोलेजन या हाई प्रोटीन पचने में दिक्कत पैदा कर सकते हैं। विशेषज्ञ इसे लेने से पहले डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी मानते हैं।
Non Veg Milk और शुद्ध दूध की कैसे पहचान करें
भारत में उपभोक्ता कुछ संकेतों से शुद्ध शाकाहारी दूध की पहचान कर सकते हैं।
1-पैकेट पर “100 प्रतिशत Veg Feed” या “गौशाला आधारित” टैग
2-A2 नस्ल की देसी गायों से प्राप्त दूध
3-रेंडर्ड फीड फ्री “Rendered Feed Free” या “Plant-Based Feed Only” लिखा हो
4-स्थानीय गौशालाओं से सीधे दूध खरीदना।
कुछ उन्नत लैब परीक्षणों से यह पता लगाया जा सकता है कि दूध देने वाली गाय को कैसा चारा दिया गया था। फैटी एसिड प्रोफाइल, फिश ऑयल ट्रेस और कार्निटीन स्तर जैसे संकेत मदद कर सकते हैं, लेकिन ये परीक्षण महंगे और आम उपभोक्ताओं के लिए व्यावहारिक नहीं हैं।

भारत-अमेरिका ट्रेड के बीच अहम सवाल

भारत और अमेरिका ने 2030 तक 500 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य रखा है, लेकिन डेयरी उत्पादों को लेकर सांस्कृतिक मतभेद एक बड़ी बाधा बने हुए हैं। Non Veg Milk कोई वैज्ञानिक नहीं, बल्कि धार्मिक अवधारणा है, जिसका समाधान लेबलिंग और पारदर्शिता से ही संभव है। जब तक दोनों देश इस मतभेद को समझदारी से हल नहीं करते, यह विवाद व्यापारिक संबंधों में रोड़ा बना रहेगा। भारत और अमेरिका के बीच डेयरी उत्पादों को लेकर मुख्य मुद्दा यह है कि क्या अमेरिका इस बात की गारंटी दे सकता है कि आयातित दूध केवल शाकाहारी आहार खाने वाली गायों से उत्पादित किया जाता है, क्योंकि दृष्टिकोण में यह अंतर दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार वार्ता में एक बड़ी बाधा है।
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