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Human Milk Bank – दूध का दान देता बच्चों को जीवनदान

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Breastfeeding Week - Human Milk Bank - दूध का दान देता बच्चों को जीवनदान
 
जब भी इस दुनिया में नवजात बच्चा आता है उसके लिए जन्म के आधे घंटे के भीतर मां का गाढ़ा दूध पिलाना बहुत जरूरी होता है। वो दूध शिशु के लिए किसी अमृत से कम नहीं होता। लेकिन कई बार मां या शिशु की हालत और उनके जोखिमों की वजह से स्तनपान न कराने की स्थिति बन जाती है। ऐसे में ह्यूमन मिल्क बैंक का ही दूध नवजात शिशु के लिए जीवनदायिनी बन जाता है। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए मां का दूध सबसे ज्यादा जरूरी है। जन्म के बाद आने वाले 6 महीने तक केवल मां का दूध न सिर्फ बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है बल्कि उसका मौलिक अधिकार भी है।  यह बच्चे को केवल पोषण ही नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन की बुनियाद को मजबूत करने में एक अहम भूमिका निभाता है।

मां का दूध है नवजात बच्चों के लिए अमृत, Human Milk Bank देता है शिशुओं को नया जीवनदान

लेकिन भारत में करोड़ों ऐसे बच्चे हैं जिन्हें अपनी मां का दूध नसीब नहीं हो पाता। इसके कई कारण हैं, हालात कभी कभी ऐसे बन जाते है कि डॉक्टर खुद मां को दूध पिलाने के लिए मना कर देते हैं। उदाहरण के तौर पर नवजात बच्चे को जन्म देने के बाद मां कोई दवाएं ले रही हो या फिर कोई जोखिमों की वजह से स्तनपान न कराने की स्थिति बन जाती है। यही कारण है कि हमारे देश में बच्चों के कुपोषण की संख्या अधिक है। कभी कभी ये भी होता है कि जन्म के बाद ही मां का निधन हो जाता है। डॉक्टरों की मानें तो नवजात बच्चे के जन्म के आधे घंटे के भीतर उन्हें मां का गाढ़ा दूध पिलाना बहुत जरूरी है। और लगातार 6 महीने तक बच्चों को मां का ही दूध बच्चों को पिलाना चाहिए। लेकिन मां का दूध उपलब्ध नहीं होने की इन्हीं चुनौतियों से निपटने और नवजात बच्चों को मां का दूध मौजूद कराने के लिए दुनियाभर में मदर मिल्क बैंक (Mother Milk Bank) खोले गए हैं।

ऐसे Human Milk Bank में रखा जाता है दूध

Breastfeeding Week – Human Mother Milk Bank में उन नवजात शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध कराया जाता है जिनकी अपनी मां किसी कारणवश स्तनपान करा पाने में असमर्थ हैं। इस बैंक की शुरुआत करने के पीछे सबसे पहला उद्देश्य है नवजात मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर की संख्या में कमी लाना। यह एक नॉन-प्रॉफिट बैंक होता है जहां नवजात शिशुओं के लिए मां का सुरक्षित दूध स्टोर किया जाता है। इसकी मदद से उन नवजात शिशुओं को मां का दूध उपलब्ध कराया जाता है जिनकी अपनी मां किसी कारणवश स्तनपान करा पाने में असमर्थ हैं। इस केंद्र में दो तरह की महिलाएं दूध दान करती हैं। पहली स्वेच्छा से और दूसरी वे माताएं जो अपने बच्चों को दूध नहीं पिला सकतीं। जिनके बच्चे दूध नहीं पीते अगर उनका दूध नहीं निकाला जाए तो मां के रोगी होने की आशंका बढ़ जाती है। उनके लिए दूध दान का करना अच्छा विकल्प है।
मदर मिल्क बैंक में दूध दान करने के लिए इन तकनीक को अपनाया जाता है। पहले दूध दान करने आई मां की पहले एचआईवी/एचबीएसएजी/डब्लूबीआरएल जांच की जाती है। जांच रिपोर्ट सही आने के बाद महिला से लिखित अनुमति ली जाती है। दूध निकालने के बाद उसे -20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाता है। इसके बाद इस दूध का सैंपल लैब में भेजा जाता है। जहां एचआईवी/एचबीएसएजी/डब्लूबीआरएल जांच की जाती है। सभी रिपोर्ट सही आने के बाद ही इस रॉ-दूध को बच्चों को पिलाने लायक माना जाता है और अस्पतालों में भेजा जाता है। ये दूध छह महीने तक खराब नहीं होता है।

ह्यूमन मिल्क बैंक में करें दूध दान, बचाएं नन्हें बच्चों की जान

संयुक्त राष्ट्र बाल सुरक्षा की एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में नवजात शिशु की मृत्यु होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को 14 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है। लेकिन अगर 0 महीने से लेकर 23 महीने तक लगातार बच्चे को मां का दूध पिलाया जाए तो इससे हर साल वैश्विक स्तर पर 80,0000 बच्चों को जीवनदान दिया जा सकता है। आंकड़ों की माने तो 99499 नवजात बच्चे दस्त और निमोनिया का शिकार होते हैं। इस बीमारी के होने के मुख्य कारणों में एक अपर्याप्त स्तनपान भी है। भारत, चीन, ब्राजील, मेक्सिको और इंडोनेशिया में हर साल अपर्याप्त स्तनपान के कारण 23, 6000 बच्चों की मौत हो जाती है। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल दूध न मिलने पर कितने बच्चों की मौत हो सकती हैं। ऐसे में दूध का दान करें और बच्चों को नया जीवनदान दें।