MP रीवा के अमिलिया थाने में एक अजीबोगरीब शिकायत दर्ज कराई गई है। ग्रामवासियों ने पुलिस को बताया कि वह रात में तालाब से मछली पकड़कर आए, सुबह फिर से गए, तो तालाब कोई चोरी कर ले गया था। मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए हैं।
एमपी के रीवा में हुआ तालाब चोरी
अब तक आपने कैश, सोना-चांदी या अन्य कीमती सामान चोरी होने की बात तो जरूर सुनी होगी लेकिन मध्य प्रदेश के रीवा में तालाब ही चोरी हो गया। रीवा के अमिलिया थाने में इसकी शिकायत भी दर्ज हुई है। पहले ग्राम-पंचायत, फिर थाने, इसके बाद जनपद और फिर कलेक्टर तक इसकी शिकायत पहुंची है। ऐसे में ग्रामीण मुनादी करवा रहे हैं, ‘हम सभी का लाडला अमृत सरोवर बांध, जिसका निर्माण शासन द्वारा करीब 25 लाख रुपये की लागत से कराया गया था, वह भी अब चोरी हो चुका है। जो भी व्यक्ति अमृत सरोवर बांध और बाकी के तालाबों को खोज निकालेगा, उसे उचित इनाम दिया जाएगा।’
गांव के आसपास कई तालाब हुए गुम
ग्रामीणों का कहना है कि अमृत सरोवर सहित इलाके के कई तालाब, जिनका निर्माण लाखों रुपये की लागत से किया गया, वे रातोंरात चोरी हो गए हैं। वे गांव में मुनादी करवाकर गुम तालाबों को ढूंढने वालों को उचित इनाम देने की घोषणा करवा रहे हैं। रीवा की पंचायतों में कुछ युवा और ग्रामीण समूह बनाकर चोरी गए अमृत सरोवर, खेत तालाब और बांध वाले तालाबों के आसपास चौकसी करते नजर आ रहे हैं। इस आशय के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं।
रीवा के मनीराम पंचायत और अमिलिया गांव के मामला
यह मामला रीवा के पूर्वा मनीराम पंचायत और उससे लगी अमिलिया पंचायत का है। ग्रामीण इसे भ्रष्टाचार की जगह चोरी का मामला बताकर सख्त कार्रवाई चाहते हैं। उन्होंने इसकी शिकायत भी थाने में अजीबोगरीब ढंग से की है। उन्होंने पुलिस को बताया कि रात में तालाब से मछली पकड़कर आए। सुबह फिर से गए, तो तालाब कोई चोरी कर ले गया। जगह पर तालाब का नामोनिशान तक नहीं था। कलेक्टर ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। दरअसल सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, पूर्वा मनीराम पंचायत के कठौली में 24.94 लाख रुपये की लागत से अमृत सरोवर बांध का निर्माण करवाया गया था। राजस्व अभिलेख के मुताबिक, यह भूमि क्रमांक-117 पर 9 अगस्त 2023 को बनकर तैयार हुआ था।
गड़रियान टोला में बनाए गए थे दो तालाब
अमिलिया पंचायत में मिश्रीलाल पाल और सरस्वती पाल के नाम पर खेत-तालाब योजना के तहत दो तालाबों का निर्माण हुआ। 2 लाख 56 हजार रुपये की लागत से ये तालाब गड़रियान टोला में बनाए गए थे। इस हिसाब से प्रति तालाब एक लाख 28 हजार रुपये की लागत आई। खेत-तालाब योजना के तहत एक पंचायत में एक वित्तीय वर्ष में 10 लोगों को इसका लाभ दिया जा सकता है। बाल कुमार आदिवासी अपनी शिकायत में कहते हैं, ‘मैं प्रतिदिन इस अमृत सरोवर बांध में मछलियां मारने के लिए आया करता था लेकिन अब यह तालाब चोरी हो गया है। कल तक इसी तालाब में मैं मछलियां पकड़ता था लेकिन अब पूरा का पूरा अमृत सरोवर ही गायब है। यही नहीं, आसपास के दो और तालाब भी गायब होने की बात मुझे पता चली है।’
मौक़ा ए वारदात पर मिली केवल नाम पट्टिका
सरकारी काग़ज़ पर तालाब दर्ज, लेकिन मौके पर कुछ नहीं! नायब तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक की रिपोर्ट में शासकीय जमीन तीन एकड़ रकवा नंबर 117 में तालाब दर्ज है लेकिन मौके पर पड़ताल के दौरान रकवा नंबर 117 में किसी भी प्रकार का कोई तालाब नहीं मिला। प्राइवेट जमीन रकबा नंबर 122 में तालाब निर्माण की पट्टिका लगी हुई थी लेकिन ग्रामीणों से पूछने पर पता चला कि यहां से एक बड़ा नाला निकलता था। ट्रैक्टर और जेसीबी की मदद से बाहर से मिट्टी खोदकर यहां लाई गई और इस नाले को बांध दिया गया था, जिसके कारण रकवा नंबर 122 में पानी इकट्ठा होने लगा और वह तालाब जैसा दिखने लगा।
तालाब काग़ज़ पर, पैसा जेब में
वास्तविकता में अमृत सरोवर बांध और खेतों में तालाब केवल दस्तावेजों में बनाए गए थे। जमीन पर इनका कोई वजूद ही नहीं था। एक नाले के पास मिट्टी डालकर उसे बांध के जैसा नाला क्लोजर का आकार देकर उसे अमृत सरोवर बांध बता दिया गया था, जो बारिश के पानी में मिट्टी बह जाने से गायब हो गया। कुल मिलाकर इन पंचायतों में सरकारी योजना के तालाबों के नाम पर भ्रष्टाचार और गबन किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के ज्यादातर लोग सीधे हैं। वे न तो RTI फाइल करना जानते हैं और न ही कागजों का लेखा-जोखा समझते हैं। उन्हें जो कह दिया जाए, बस उसे सच मान लेते हैं। ऐसे में गांव के ही जागरूक लोगों द्वारा उन्हें पहले तालाब और अमृत सरोवर बांध की चोरी की जानकारी दी गई। इसके बाद मुनादी शुरू करवाई गई ताकि सब तक बराबर यह बात पहुंच जाए और सभी को इसकी जानकारी हो जाए। वहीं सब मिल-जुलकर उस अमृत सरोवर बांध सहित लापता तालाबों का पता लगाएं, जो सरकार के लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी आज धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं।
जागरूक गांव वाले अनोखे तरीके से मामले को उठा रहे
मामले में पूर्व में जनपद से लेकर जिला प्रशासन तक शिकायतें हुई थीं। जांच भी हुई लेकिन सरकारी सिस्टम में सबकुछ ठीक-ठाक बता दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार गांवों में अमृत सरोवर मौजूद मिले, खेत तालाब भी मिले और उनमें लबालब पानी भरा मिला। गांव के जागरूक युवाओं को जब इसकी भनक लगी तो उन्होंने सबक सिखाने के लिए अनूठे अंदाज में तालाब चोरी होने की मुनादी करना, लोगों को जागरूक करना और थाने से लेकर प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाने का यह तरीका निकाला है।
क्या है अमृत सरोवर बांध योजना
अमृत सरोवर बांध योजना जल संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय अभियान है, जिसका मकसद हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर (तालाब) बनाना या उनका पुनरुद्धार करना है। इस योजना का शुभारंभ 24 अप्रैल 2022 को हुआ था। इसका लक्ष्य देशभर में 50 हजार से ज्यादा सरोवरों का निर्माण करना है। मध्य प्रदेश में इस मिशन के तहत करीब 5839 अमृत सरोवरों के निर्माण या पुनरुद्धार का लक्ष्य रखा गया है, जिससे भूजल स्तर में सुधार और जल संकट से निपटने में मदद मिल सकेगी।
तालाब गबन मामले में सामने आई अजीब दलीलें
तालाब चोरी मामले पर सरपंच पूर्वा मनीराम धीरेश तिवारी और सचिव राम मिलन भुरतिया का कहना है कि तालाबों का निर्माण किया गया गया था। धीरे-धीरे तालाब और अमृत सरोवर बांध सूख गए हैं। जिला पंचायत सीईओ मेहताब सिंह गुर्जर का कहना है कि मामले की एक बार जांच करा लेते हैं, जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि क्या अनियमितता है और पूरा मामला क्या है। चाकघाट थाना प्रभारी ने बताया कि अमृत सरोवर के निर्माण में भ्रष्टाचार से संबंधित ग्रामीणों ने थाने में एक शिकायती आवेदन दिया है। मामले को जांच में लिया गया है। आगे जो भी तथ्य निकलकर सामने आएंगे, उसी आधार पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि यह मामला अनियमितता से संबंधित मालूम होता है। हम इसका परीक्षण करा रहे हैं, जो भी तथ्य निकलकर सामने आएंगे। उस आधार पर आगे की वैधानिक कार्रवाई की जाएगा।
कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए
इस मामले में कलेक्टर प्रतिभा पाल ने मीडिया को बताया कि तालाब चोरी की शिकायत का मामला मेरी जानकारी में आया है। मामले में जांच करा रहे हैं। पहली नजर में यह मामला अनियमिताओं से जुड़ा समझ में आ रहा है। इन सबके बीच एक बात तो तय है कि अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता तो ज़रूरी है ही, साथ ही सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे गबन को सामने लाने का ये अनोखा तरीका काम तो कर गया है। तो आप भी अपने आसपास झांककर देखिए, शायद आपका कोई मौलिक अधिकार कहीं किन्हीं कागजों या फाइलों में दबकर खो गया हो तो उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट ज़रूर करें!
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