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December 16, 2025

रोजगार गारंटी या सरकारी योजना? नए VB-G RAM G बिल से MGNREGA की आत्मा पर संकट !

The CSR Journal Magazine

 

MGNREGA को बदलने वाला नया रोजगार बिल: विशेषज्ञों का “सबसे बुरा परिणाम” डर! VB-G RAM G Bill को लेकर आशंका जताई जा रही है कि इसमें रोज़गार की पक्की गारंटी कमजोर हो सकती है और योजनागत ढांचा अधिक लचीला व लक्ष्य-आधारित हो जाएगा। मनरेगा में मजदूरी सीधे खाते में, सामाजिक अंकेक्षण और स्थानीय स्तर पर जवाबदेही जैसे प्रावधान हैं, वहीं नए प्रस्तावित बिल में कल्याणकारी कामों को कौशल/परिणाम से जोड़ने पर ज़ोर दिखता है, जिससे कुछ विशेषज्ञों को डर है कि सबसे गरीब और असंगठित मजदूर पीछे छूट सकते हैं। कुल मिलाकर, जहां मनरेगा अधिकार-आधारित सुरक्षा जाल है, वहीं VB-G RAM G Bill को लेकर बहस इस बात पर है कि क्या वह उसी मजबूती से ग्रामीण मजदूरों की आजीविका सुनिश्चित कर पाएगा या नहीं?

प्रस्तावित बिल- VB-G RAM G Bill का परिचय

केंद्र सरकार ने संसद में “Viksit Bharat Guarantee for Rozgar and Ajeevika Mission (Gramin)” (VB-G RAM G) बिल 2025 पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह बिल दो दशक पुराने महत्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को पूरी तरह बदल देगा। पुराने कानून को निरस्त कर नए ढांचे में ले जाएगा। नए बिल के मुख्य प्रस्ताव-
  • 100 से बढ़ाकर 125 दिनों तक रोजगार की “गारंटी” देना।
  • रोजगार की योजना का नाम बदलना और “MGNREGA” से हटाकर VB-G RAM G रखना।
  • केंद्र और राज्यों के बीच नया वित्तीय भागीदारी मॉडल लागू करना।

विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं की चिंता- “आरक्षण से छिन रहा है अधिकार”

विशेषज्ञों और श्रमिक संगठनों का कहना है कि नया बिल कानूनी रूप से किसानों या मजदूरों को रोजगार का अधिकार नहीं देता जैसा MGNREGA देता था। पुराने कानून के तहत हर ग्रामीण परिवार को 100 दिनों का काम मांगने पर गारंटीकृत रोजगार मिलता था।  लेकिन प्रस्तावित बिल में यह अधिकार बदलकर केंद्र सरकार द्वारा पहले से निर्धारित इलाकों और बजट के हिसाब से रोजगार देना हो जाएगा, न कि मांग पर। इसका मतलब-
.  अगर किसी गांव को “सूचित” नहीं किया गया है तो वहां के लोगों को अब काम की कानूनी गारंटी नहीं होगी। .  रोजगार अब अनुरोध-आधारित से आपूर्ति-बजट-आधारित सिस्टम में बदल रहा है।

राज्यों पर वित्तीय बोझ का बढ़ना

MGNREGA में मजदूरों की मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती थी। नए प्रस्ताव में यह खर्च अब 60:40 के अनुपात में राज्य-केंद्र साझेदारी हो सकता है। इससे राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा और छोटे राज्यों की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है। उदाहरण के लिए, तमिल नाडु को अनुमानतः ₹4,300 करोड़ वार्षिक अतिरिक्त बोझ झेलना पड़ सकता है।

कृषि मौसम में रोजगार पर रोक

बिल में यह प्रस्ताव भी है कि कुछ खेती के सीज़न में 60 दिनों तक रोजगार पर रोक लगाई जा सकती है ताकि कृषि में श्रमिक उपलब्धता बनी रहे। हालांकि यह कदम सरकार द्वारा कृषि समर्थन बतलाया गया है, आलोचक कहते हैं कि इससे गरीब मजदूरों को सबसे ज़्यादा काम की आवश्यकता के समय काम नहीं मिलेगा, जिससे उनकी जीवन-यात्रा और आजीविका पर असर पड़ेगा।

विपक्ष और राजनीतिक प्रतिक्रिया

.कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल ने बिल को “MGNREGA का विनाश” और “गांधी की सोच का अपमान” बताया है। प्रियंका गांधी ने कहा कि यह “गरीबों के रोजगार अधिकार को कमजोर करने वाला” कदम है और यह संविधान के विरुद्ध है। तृणमूल कांग्रेस ने नए नामकरण को “महात्मा गांधी का अपमान” कहा है। केरल के मुख्यमंत्री और CPI(M) ने भी इस बिल का कड़ा विरोध किया है, एवं इसे “MGNREGA को खत्म करने की चाल” बताया है।

MGNREGA क्या है? 

मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों को रोज़गार की गारंटी देना है। इस योजना के तहत हर ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिन तक काम देने का प्रावधान है। मनरेगा के अंतर्गत मिलने वाला काम आमतौर पर गांव में ही होता है, जैसे सड़क बनाना, तालाब खुदवाना, नहर और जल संरक्षण के कार्य, पौधारोपण आदि। यदि आवेदन के बाद 15 दिन के भीतर काम नहीं मिलता, तो सरकार को बेरोज़गारी भत्ता देना पड़ता है। मनरेगा की मजदूरी सीधे मज़दूरों के बैंक खाते में भेजी जाती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। यह योजना ग्रामीण गरीबों को आर्थिक सहारा देने, पलायन रोकने और गावों के विकास में अहम भूमिका निभाती है।

विशेषज्ञों का मुख्य निष्कर्ष

MGNREGA अब भी ग्रामीण भारत में आजीविका सुरक्षा का मजबूत आधार माना जाता है। नया VB-G RAM G बिल कानूनी अधिकार और मांग-आधारित रोजगार की गारंटी को कमजोर कर रहा है। इससे ग्रामीण  मजदूरों की शक्ति, वित्तीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता पर भारी असर हो सकता है।

MGNREGA बनाम नया रोजगार गारंटी बिल (VB-G RAM G) – तुलना तालिका

 

बिंदु
MGNREGA (पुराना कानून)
प्रस्तावित नया बिल (VB-G RAM G)
कानूनी दर्जा
संसद द्वारा पारित मजबूत कानून
ड्राफ्ट कानून, अधिकार कमजोर
रोजगार का अधिकार
काम माँगने पर कानूनी गारंटी
सरकार तय करेगी कहाँ और कब काम मिलेगा
प्रकृति
Demand-driven (मजदूर की मांग पर)
Supply-driven (बजट व योजना पर आधारित)
काम के दिन
100 दिन प्रति वर्ष
अधिकतम 125 दिन (लेकिन शर्तों के साथ)
काम न मिलने पर भत्ता
बेरोजगारी भत्ता अनिवार्य
भत्ता स्पष्ट नहीं / कमजोर प्रावधान
मजदूरी भुगतान
तय समय सीमा में, देर होने पर जुर्माना
समयसीमा व जुर्माने का स्पष्ट प्रावधान नहीं
केंद्र–राज्य वित्त
मजदूरी का खर्च केंद्र वहन करता है
राज्यों पर 40% तक बोझ डालने का प्रस्ताव
पंचायतों की भूमिका
ग्राम पंचायतें मुख्य भूमिका में
केंद्रीकृत नियंत्रण बढ़ने की आशंका
खेती के मौसम में काम
साल भर काम की मांग संभव
कृषि मौसम में 60 दिन तक रोक संभव
नाम व पहचान
महात्मा गांधी के नाम पर
नाम बदला जाएगा
पारदर्शिता
सोशल ऑडिट अनिवार्य
सोशल ऑडिट कमजोर होने की आशंका
गरीब मजदूर की शक्ति
मज़दूर सशक्त
मज़दूर की सौदेबाजी शक्ति घट सकती है

सरल शब्दों में निष्कर्ष

.  MGNREGA गरीब ग्रामीण परिवारों को काम का अधिकार देता है।
• नया बिल काम को सरकार की कृपा पर निर्भर बनाता है।
• नाम बदलने से ज्यादा बड़ा मुद्दा है कानूनी सुरक्षा का कमजोर होना।
• राज्यों पर बोझ बढ़ने से कई जगह काम ही सीमित हो सकता है।
• विशेषज्ञों के अनुसार यह बदलाव “रोजगार गारंटी से रोजगार योजना” की ओर कदम है।
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