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August 8, 2025

Menopause का अर्थ जीने पर Pause नहीं, एक्टिव रहेंगी तो कम होगा स्तन कैंसर का जोखिम

The CSR Journal Magazine
इन दिनों महिलाओं में Breast Cancer के मामले बहुत अधिक आ रहे हैं। हालांकि कुछ जोखिम, जैसे कि फैमिली हिस्ट्री होने पर रिस्क बहुत अधिक बढ़ जाता है। कुछ जोखिमों के प्रति जागरूक रहने पर स्तन कैंसर रिस्क को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। रजोनिवृत्ति या Menopause और Breast Cancer के बीच संबंध है, खासकर रजोनिवृत्ति के बाद वज़न बढ़ने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। Menopause के बाद, शरीर में एस्ट्रोजन का अधिकांश भाग वसा ऊतक से आता है, और जितना अधिक वसा ऊतक होगा, उतना ही अधिक एस्ट्रोजन के संपर्क में आ सकता है, जिससे Breast Cancer का खतरा बढ़ सकता है।

महिलाओं में बढ़ रहा Breast Cancer का जोखिम 

महिलाओं को हर माह पीरियड्स की एक निश्चित साइकिल से गुजरना पड़ता है। दरअसल, यह एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो यह महिला की प्रजनन शक्ति या क्षमता को बताती है। लेकिन, समय के साथ महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं और वह Menopause की ओर बढ़ती है। Menopause की स्थिति से पता चलता है कि महिला अपने प्रजनन समय को पूरा कर चुकी हैं। इस दौरान पीरियड्स यानी मासिक धर्म भी स्थायी रूप से बंद हो जाते हैं। आमतौर पर महिलाओं को 45 से 55 की आयु में Menopause होता है। मेनोपॉज के भी चरण होते हैं। Menopause के दौरान और उसके बाद, महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जो उनके शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं। एक महत्वपूर्ण सवाल जो अक्सर उठता है, वह यह है कि क्या Menopause महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) का कारण बन सकता है?

बढ़ा हुआ BMI संकेत देता है जोखिम का

WHO द्वारा समर्थित एक महत्वपूर्ण अध्ययन से मालूम चला है कि शरीर में चर्बी की मात्रा (Adiposity) जिसे बॉडी मास इंडेक्स (BMI) से मापा जाता है, रजोनिवृत्त महिलाओं में स्तन कैंसर का एक ज्ञात जोखिम कारक है। सालों चले इस अध्ययन में यूरोप और ब्रिटेन की 1,68,000 से अधिक महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया गया। जब अध्ययन शुरू हुआ तब इन सभी महिलाओं को न तो कैंसर था, न हार्ट डिजीज और न ही टाइप 2 डायबिटीज। करीब 11 सालों के फॉलो-अप अवधि के बाद, 6,793 महिलाओं में Menopause के बाद ब्रेस्ट कैंसर विकसित हुआ।

Menopause के बाद फैट और Insulin की अधिकता कैंसर की बनती है वजह

American Cancer Society के अनुसार Menopause के बाद अधिक वजन या मोटापा Breast Cancer के जोखिम को बढ़ा देता है। दरअसल रजोनिवृत्ति के बाद जब ओवरीज एस्ट्रोजन बनाना बंद कर देते हैं, तब शरीर में अधिकांश एस्ट्रोजन फैट टिशू से ही बनता है। इसलिए Menopause के बाद शरीर में अधिक फैट टिशू होना एस्ट्रोजन लेवल को बढ़ा सकता है, जिससे स्तन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा जिन महिलाओं का शरीर भार अधिक होता है, उनके ब्लड में इंसुलिन का स्तर भी सामान्य से अधिक पाया जाता है, और उच्च इंसुलिन स्तर को कुछ कैंसर, जैसे Breast Cancer से जोड़कर देखा जाता है।

Menopause के बाद हार्मोनल परिवर्तन

Menopause के दौरान, महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर घटता है। ये हार्मोन मासिक धर्म चक्र (मेंस्ट्रूअल साइकिल) को नियंत्रित करते हैं और ब्रेस्ट के स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हार्मोनल परिवर्तन ब्रेस्ट के टिश्यू पर प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे ब्रेस्ट में गांठें या अन्य असामान्यताएं हो सकती हैं।

हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT)

कई महिलाएं मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए HRT लेती हैं, जिसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन शामिल होते हैं। हालांकि, कुछ स्टडीज़ से पता चलता है कि HRT का उपयोग स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए, महिलाओं में जिन्होंने लंबे समय तक HRT लिया, उनमें स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक पाई गई है।
स्वास्थ्य के प्रति सजग होना जरूरी है। सजगता की कमी के कारण ही Breast Cancer का खतरा बढ़ता है। कुछ जोखिम, जैसे कि बढ़ती उम्र से बचना संभव नहीं है। लेकिन जोखिम के प्रति सावधान रहने या जागरूक रहने पर कैंसर से बचाव किया जा सकता है। कुछ महिलाओं को बिना किसी जोखिम कारक के भी स्तन कैंसर हो जाता है। जोखिम कारक होने का मतलब यह नहीं है कि आपको बीमारी हो जाएगी। साथ ही सभी जोखिम कारकों का प्रभाव समान नहीं हो सकता है।

क्या हैं Breast Cancer के जोखिम कारक

भारत के Centre For Disease Control And Prevention के अनुसार Breast Cancer का खतरा कई कारकों के संयोजन से बढ़ सकता है। ज्यादातर स्तन कैंसर 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं में पाया जाता है। यदि किसी भी महिला को स्तन कैंसर के किसी भी तरह के लक्षण का एहसास हो रहा हो, तो जोखिम को कम करने के तरीकों और स्तन कैंसर की जांच के बारे में तुरंत अपने डॉक्टर से बात करे। उम्र के साथ स्तन कैंसर का खतरा बढ़ता जाता है। अधिकांश स्तन कैंसर 50 वर्ष की आयु के बाद डायग्नोज होता है।

जेनेटिक परिवर्तन Genetic Mutation

जिन महिलाओं को BRCA1 और BRCA2 जैसे कुछ जींस में परिवर्तन (Genetic mutations)) विरासत में मिला है, उनमें ब्रैस्ट और सर्वाइकल कैंसर का खतरा अधिक होता है।

Menstrual Cycle और Breast Cancer

12 साल की उम्र से पहले मासिक धर्म शुरू होने और 55 साल की उम्र के बाद Menopause शुरू होने से महिलाएं लंबे समय तक हार्मोन के संपर्क में रहती हैं। इससे उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

डेंस ब्रेस्ट Dense Breast For Breast Cancer Risk

डेंस स्तनों में वसायुक्त ऊतक की तुलना में अधिक कनेक्टिव टिश्यू होते हैं। इससे कभी-कभी मैमोग्राम पर ट्यूमर को देखना कठिन हो सकता है। डेंस ब्रेस्ट वाली महिलाओं को स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।

Recurrence Of Breast Cancer

जिन महिलाओं को स्तन कैंसर हो चुका है, उनमें दूसरी बार स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। कुछ नॉन-कैंसरयुक्त स्तन रोग जैसे एटिपिकल डक्टल हाइपरप्लासिया या लोब्यूलर कार्सिनोमा इन सीटू स्तन कैंसर होने के हाई रिस्क से जुड़े होते हैं।

कैंसर का पारिवारिक इतिहास

यदि किसी महिला की मां, बहन या बेटी (फर्स्ट-डिग्री रिश्तेदार) या परिवार में मां या पिता की ओर से कई सदस्यों को ब्रेस्ट या सर्वाइकल का कैंसर हुआ हो, तो स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है। (फर्स्ट-डिग्री के मेल मेंबर को स्तन कैंसर होने से भी महिला में इसका खतरा बढ़ जाता है।

रेडिएशन ट्रीटमेंट का प्रयोग

जिन महिलाओं को 30 वर्ष की आयु से पहले छाती या स्तनों पर रेडिएशन ट्रीटमेंट (उदाहरण के लिए हॉजकिन के लिंफोमा ट्रीटमेंट ) हुआ था, उन्हें जीवन में बाद में स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।

कुछ जोखिम जिनसे बचाव संभव है

जो महिलाएं शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होती हैं, उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से स्तन कैंसर होने का खतरा कम करने में मदद मिल सकती है।

हार्मोन थेरेपी

Menopause के दौरान ली जाने वाली हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के कुछ रूप, जिनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों शामिल होते हैं। इन्हें पांच साल से अधिक समय तक लेने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। कुछ ओरल कंट्रासेप्टिव पिल्स Breast Cancer खतरे को बढ़ाते हुए पाए गए हैं।

शराब या किसी भी प्रकार के नशे की लत

कुछ अध्ययन बताते हैं कि कि महिलाओं के अधिक शराब पीने पर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान, कैंसर पैदा करने वाले रसायनों के संपर्क में आना और नाइट शिफ्ट में काम करने के कारण हार्मोन में बदलाव आ सकते हैं। ये कारक भी Breast Cancer के ख़तरे को बढ़ा सकते हैं।

Menopause के दौरान हॉर्मोन थेरेपी से बढ़ जाती है Relapse की आशंका

जब महिलाएं Menopause तक पहुंचती हैं तो अक्सर हॉर्मोन थेरेपी लेना शुरू करती हैं, जो रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में मदद करने के लिए महिला हार्मोन (एस्ट्रोजन, कभी-कभी प्रोजेस्टेरोन के साथ) से बना होता है। लेकिन स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं द्वारा PHT का उपयोग करने को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, क्योंकि एस्ट्रोजन के स्तर और स्तन कैंसर के विकास के बीच ज्ञात संबंध है। एक सुनियोजित नैदानिक परीक्षण में पाया गया कि PHT लेने वाली स्तन कैंसर से उबर चुकी महिलाओं में ये हार्मोन न लेने वाली महिलाओं की तुलना में नए या आवर्ती स्तन कैंसर (उपचार के बाद फिर से होने वाला कैंसर) विकसित होने की संभावना कहीं अधिक है। इस वजह से, अगर किसी महिला का पहले स्तन कैंसर का इलाज हो चुका है, तो डॉक्टर आमतौर पर PHT की सलाह नहीं देते हैं।

थोड़ी सी सावधानी, बड़े खतरे से बचाव

Menopause और स्तन कैंसर के बीच संबंध जटिल और विविध है। हार्मोनल परिवर्तन, विशेष रूप से HRT का उपयोग, स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। हालांकि मेनोपॉज के बाद स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है, लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, वजन को नियंत्रित रखना और शराब का सेवन कम करना जैसे उपाय ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं। इसके अलावा, नियमित रूप से ब्रेस्ट की स्वयं जांच और उपचार Memography करवाना भी महत्वपूर्ण है, ताकि किसी भी असामान्यता को शुरुआती चरण में ही पहचाना जा सके।
1- अधिक वजन ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है,ऐसे में अपने वेट को मेंटेन करके रहें। इससे अन्य बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।
2- कम एक्टिव रहना भी कैंसर का एक जोखिम कारक है,ऐसे में नियमित एक्सरसाइज करें। इससे आपका हार्ट हेल्थ भी बूस्ट होगा।
3- धूम्रपान और अल्कोहल भी कैंसर के खतरे को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं,ऐसे में धूम्रपान छोड़ने और अल्कोहल का कम सेवन कैंसर के खतरे को कम कर सकता है।
4- अपने बच्चे को स्तनपान (Breast Feeding) जरूर कराएं। क्योंकि जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं उनमें स्तन कैंसर का खतरा उन महिलाओं की तुलना में कम होता है जिनके बच्चे तो हैं लेकिन वे स्तनपान नहीं कराती हैं।
5- हेल्दी डाइट खाने से कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा कम हो सकता है। इससे हृदय रोग होने की संभावना भी कम हो सकती है।
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