महाराष्ट्र की सियासत के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार के पवार गेम में शिवसेना ऐसी फंसी कि उसे न समर्थन की चिट्ठी मिली और न ही राज्यपाल से और मोहलत। शिवसेना का सरकार बनाने को लेकर दावा भी ख़ारिज हो गया और फिर सियासत के खेल में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार नायक बन गए, नायक उस सियासी फिल्म का जहाँ पिछले 48 घंटों से ड्रामा है, ट्रेजिडी है और भरपूर क्लाइमेक्स है, अब तक ये साफ़ नहीं हो पाया कि सरकार किसकी बनेगी।महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर लगातार सस्पेंस बना हुआ है। सोमवार को जबरदस्त सियासी उतार- चढ़ाव के बीच सरकार बनाने में सबसे आगे चल रही शिवसेना की अपना मुख्यमंत्री बनाने की इच्छा अब धूमिल नजर आ रही है, क्योंकि शिवसेना तय समय में एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन पत्र नहीं प्राप्त कर सकी और राज्यपाल से उससे और मोहलत भी नहीं मिल सकी। अपना मुख्यमंत्री बनाने की लालच में शिवसेना ने बीजेपी के साथ 30 साल पुराने गठबंधन को एक झटके में खत्म कर दिया। शिवसेना ने एनसीसी- कांग्रेस समर्थन के लिए अपने सबसे पुराने दोस्त को अलविदा तो कह दिया लेकिन बदले में उसके हाथ पूरी तरह खाली रहे।
अब सब दारोमदार शरद पवार के हाथ में है, सूत्रों की माने तो इन सब सियासी ड्रमों के बीच शरद पवार का माइंड गेम है, इस माइंड गेम में आकलन कई लगाए जा रहे है। पहला आकलन कि शिवसेना को सरकार बनाने को लेकर मिले राज्यपाल के न्योते के बाद शिवसेना एनसीपी से समर्थन के लिए शिवसेना का बार्गेनिंग ज्यादा था, एक तो शिवसेना दूसरी बड़ी पार्टी, वही सीएम पद को लेकर शिवसेना अड़ी रही और शरद पवार के हाथ शिवसेना के साथ सत्ता बनाने में बहुत कुछ ख़ास हासिल नहीं हो रहा था, शरद पवार किंग से किंग मेकर बन रहे है और कांग्रेस अपनी छवि को लेकर चिंतित थी कि शिवसेना के साथ सत्ता की भागीदारी में भले महाराष्ट्र में सत्ता हासिल कर ले लेकिन दूसरे राज्यों में इसका असर हो सकता है लिहाजा शरद पवार ने चाल चली और शिवसेना को ऐसी भूमिका में ला खड़ा कर दिया कि “अब आया ऊंट पहाड़ के निचे” अब शरद पवार किंग बन गए।
दूसरा आकलन ऐसा कि महाराष्ट्र में तीन पार्टियों की तिकड़म की सरकार बनाना तय है लेकिन कट्टर हिंदूवादी विचारधारा वाली पार्टी शिवसेना के साथ खुलकर आना कांग्रेस के लिए जल्द ही झारखण्ड और अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में नुकसान का सौदा साबित होता, ऐसे में कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन देने के मामले में पेंच फंसाए रखने का नाटक किया, शिवसेना के सरकार बनाने के दावे को फेल साबित कर दिया और अब एनसीपी के अगुवाई में होने वाली राज्य की सरकार में कांग्रेस खुलकर साथ देगी, कांग्रेस के नेताओं और एनसीपी नेताओं के बीच लगातार बैठक जारी है। जिसमे एकसाथ निर्णय आने की संभावनाएं है वही कांग्रेस के तीन बड़े रणनीतिकार दिल्ली से मुंबई आकर शरद पवार से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस तो एनसीपी के नेतृत्व को जम कर समर्थन देगी और शिवसेना भी एनसीपी के साथ आ जाएगी, ऐसे में राज्य में राजनीती के नए समीकरण महाशिव आघाडी की सरकार बनेगी। लेकिन यहाँ भी पेंच ये फंसेगा कि सीएम कौन होगा, बहरहाल महाराष्ट्र के समीकरण लगातार बदल रहे है। ऐसे में ये भी संभावनाएं है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन न लग जाए।