Maharashtra Language Politics: महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर हो रही मारपीट की घटनाओं पर समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने मनसे (MNS) और उसके कार्यकर्ताओं पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सवाल उठाया है कि आखिर गरीब रिक्शा चालकों और फेरीवालों को ही बार-बार निशाना क्यों बनाया जाता है? क्या यह राजनीति सिर्फ कमज़ोरों को डराने तक सीमित रह गई है? अबू आजमी ने सीधे राज ठाकरे और उनकी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा, “हिम्मत है तो जाकर कॉरपोरेट दफ्तरों में बोलो कि अब से मराठी में ही बात करो। क्या उन पर भी डंडे चलाओगे?”
Abu Azmi on MNS: गरीबों को पीटकर मराठी प्रेम नहीं जताया जा सकता – अबू आजमी
अबू आजमी ने कहा कि मुंबई में लाखों लोग बिहार, यूपी और झारखंड जैसे राज्यों से आते हैं और निर्माण, सफाई, फैक्ट्री और ऑटो चलाने जैसे कामों में योगदान देते हैं। अगर कोई मराठी नहीं बोल पा रहा है, तो उसे सिखाइए। लेकिन गरीब मजदूरों को पीटना किस संविधान में लिखा है? उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जिन्हें कोविड के दौरान इंडस्ट्री और बिल्डर्स ने खुद बुलाया था, क्योंकि उनके बिना विकास रुक गया था।
Marathi Language Violence: मारना है तो कॉरपोरेट्स को मारो, हिम्मत हो तो वहां जाकर दिखाओ – आजमी
अबू आजमी ने तंज कसते हुए कहा कि “रिक्शावाले और फेरीवाले को मारना आसान है। लेकिन देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के ऑफिस भी मुंबई में हैं। क्या आप वहां जाकर उनसे मराठी में बात करने को कह सकते हैं? क्या आप उन पर भी हमला करेंगे?” उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले हज़ारों लोग गैर-मराठी हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। “क्यों? क्योंकि वहां राजनीति नहीं चलती, केवल डर दिखाया जाता है जहां प्रतिक्रिया की उम्मीद कम हो।”
“क्या अब कानून बन गया है दूसरे राज्यों से आए लोगों को मारना?”
अबू आजमी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि “क्या दूसरे राज्यों से आए लोगों को मारना अब महाराष्ट्र का नया कानून बन गया है? क्या विकास के काम में लगे लोगों को उनकी भाषा की वजह से सज़ा दी जाएगी?”
उन्होंने यह भी कहा कि यदि मराठी भाषा की आवश्यकता है, तो उसे सकारात्मक और शिक्षात्मक तरीके से लोगों तक पहुंचाया जाए न कि डंडों और धमकियों से।
Maharashtra Language Politics: अबू आजमी ने की मुख्यमंत्री से की कार्रवाई की मांग
अबू आजमी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अपील की कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से लें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। “जो लोग मराठी न बोलने पर गरीबों को पीटते हैं, उनके खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाए।”
Maharashtra Language Politics: हिंदी बनाम मराठी की राजनीति कब तक?
उन्होंने कहा कि यह कोई नया मुद्दा नहीं है। कभी हिंदी बनाम मराठी, तो कभी परप्रांतीय बनाम मराठी — ये राजनीति सालों से दोहराई जा रही है। लेकिन अब वक्त है कि सरकार और समाज इस पर पुख्ता रुख अपनाएं, क्योंकि यह सीधे भारत की संविधानिक एकता और कामगारों की गरिमा से जुड़ा हुआ है। अबू आजमी की यह बात कहीं न कहीं आम मुंबईकर की उस चुप्पी को तोड़ती है, जो आए दिन स्थानीय बनाम बाहरी की राजनीति में दब जाती है। अगर विकास के लिए बाहरी राज्यों से आए लोगों की जरूरत है, तो उन्हें अपमानित या पीटकर भाषा प्रेम नहीं जताया जा सकता। अब समय है कि नेता कड़े सवालों के जवाब दें, सिर्फ कमजोरों पर गुस्सा निकालने की राजनीति बंद करें।