औद्योगिक निवेश के लिए महाराष्ट्र विश्व में पसंदीदा राज्य बनता जा रहा है और दावोस में एमओयू के बाद महाराष्ट्र में मूलभूत सुविधाओं के विकास को गति देने के लिए छह एमटीपीए क्षमता के एकीकृत इस्पात परियोजना स्थापित करने के लिए आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया कंपनी के साथ 40 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इससे अप्रत्यक्ष रोजगार निर्माण होगा। इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उद्योग मंत्री उदय सामंत (Industries Minister of Maharashtra Uday Samant), उद्योग विभाग के प्रधान सचिव डॉ. हर्षदीप कांबले, एमआईडीसी (MIDC – Maharashtra Industrial Development Corporation) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विपिन शर्मा, निप्पॉन स्टील के उपनिदेशक कुबोटा सॅन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित हरलका आदि उपस्थित थे।
निप्पॉन स्टील करेगी महाराष्ट्र में 40 हजार करोड़ का निवेश
हाल ही में दावोस में प्रसिद्ध उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल (Industrialist Laxmi Mittal) ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी। उस दरमियान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Maharashtra CM Eknath Shinde) ने मित्तल से महाराष्ट्र में ज्यादा निवेश करने की व्यक्त की थी। ऐसे में निप्पॉन स्टील (Nippon Steel) ये कदम उठाने जा रही है। हम आपको बता दें कि राज्य में लौह खदानों को जोड़ने वाली यह परियोजना राज्य के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी। महाराष्ट्र में औद्योगिक निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाया जा रहा है और बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है। हाल ही में दावोस में हुए World Economic Forum में राज्य में लगभग 3 लाख 53 हजार करोड़ रुपये के निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। महाराष्ट्र में मूलभूत सुविधाओं और कुशल मनुष्य बल के कारण औद्योगिक विकास (Industrial Development of Maharashtra) तेजी से हो रहा है।
Green Hydrogen पर महाराष्ट्र में 2 लाख 76 हजार 300 करोड़ का निवेश; 64 हजार रोजगार सृजन
वहीं ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen in India) समय की मांग है और उसके लिए भी महाराष्ट्र में 2 लाख 76 हजार 300 करोड़ रुपये के वित्तीय निवेश वाली सात परियोजनाओं के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। जिससे 64 हजार रोजगार पैदा होंगे (Employment Generation in Maharashtra)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ग्रीन हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित किया है। केंद्र सरकार के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप राज्य सरकार ने “ग्रीन हाइड्रोजन नीति-2023” (Green Hydrogen Policy 2023) प्रकाशित की है। इसका लक्ष्य 2030 तक 500 केटीपीए Green Hydrogen का उत्पादन करना है। इसके लिए राज्य सरकार ने हरित हाइड्रोजन डेवलपर्स को विभिन्न सब्सिडी रियायतों की पेशकश की है।
ग्रीन हाइड्रोजन नीति बनाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (DCM Devendra Fadnavis) ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए कहा कि हरित हाइड्रोजन को लेकर प्रभावशाली नीति बनाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक डीकार्बोनाइज का लक्ष्य रखा है। उसके तहत काम चल रहा है और ग्रीन हाइड्रोजन एक ऐसी तकनीक है जिससे पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखते हुए ऊर्जा उत्पादन करना संभव हो सकेगा। महाराष्ट्र में इस समय अतिविशाल मूलभूत सुविधाओं वाली परियोजनाएं का काम चल रहा हैं। देश की लगभग 35 प्रतिशत बड़ी मूलभूत सुविधाओं वाली परियोजनाएं महाराष्ट्र में चल रही हैं।
ये कॉरपोरेट्स करेंगे महाराष्ट्र में ग्रीन हाइड्रोजन पर निवेश
इस एमओयू के जरिए महाराष्ट्र में एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी, अवादा ग्रीन हाइड्रोजन, रिन्यू ई-फ्यूल्स, आईनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स, एलएनटी ग्रीन टेक, जेएसडब्ल्यू ग्रीन हाइड्रोजन, वेलस्पन गोदावरी जीएच 2 इन सात परियोजनाओं की क्षमता 910 केटीपीए (किलो टम एनम) है, इससे 64 हजार रोजगार उपलब्ध होंगे और 511 करोड़ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन कम होगा। इससे लगभग 4,732 केटीपीए हरित अमोनिया के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।