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July 23, 2025

Devendra Fadnavis vs Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे को बड़ा झटका, फाइलें अब बिना मुख्यमंत्री की मंजूरी के नहीं होंगी पास

The CSR Journal Magazine

अब सभी योजनाओं को मंजूरी से पहले लेनी होगी मुख्यमंत्री की स्वीकृति

महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा झटका देते हुए नगर विकास विभाग (Urban Development Department) से जुड़ी सभी योजनाओं पर मुख्यमंत्री की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य कर दी है। यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब महानगरपालिका चुनाव नजदीक हैं और सत्तारूढ़ गठबंधन में अंदरूनी खींचतान सामने आ रही है।

Devendra Fadnavis vs Eknath Shinde: नगर विकास विभाग पर सियासी खींचतान

उपमुख्यमंत्री शिंदे के पास नगर विकास विभाग (Nagari Vikas Vibhag) है, जो राज्य के शहरी इलाकों में विकास कार्यों के लिए बजट आवंटित करता है। हाल के महीनों में शिवसेना (शिंदे गुट) द्वारा अन्य दलों के पार्षदों को पार्टी में शामिल कर उन्हें बड़े पैमाने पर विकास निधि (Development Fund) देने की शिकायतें सामने आई थीं। बीजेपी और एनसीपी के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री से आरोप लगाया कि उन महानगरपालिकाओं को फंड नहीं दिया जा रहा, जहां उनकी पकड़ है। इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए फडणवीस ने सीधे हस्तक्षेप किया।

Devendra Fadnavis vs Eknath Shinde: अब सीएम की अनुमति जरूरी

मुख्यमंत्री कार्यालय (CM Secretariat) की ओर से नगर विकास विभाग और नियोजन विभाग (Planning Department) को पत्र जारी कर साफ कर दिया गया है कि अब किसी भी योजना को मंजूरी देने से पहले मुख्यमंत्री की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यानी अब विकास योजनाओं की फाइल क्लीयरेंस (File Approval) बिना सीएम की सहमति के नहीं हो सकेगी।

शिंदे की ‘एकछत्र सत्ता’ पर रोक?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम केवल ‘वित्तीय अनुशासन’ का नहीं, बल्कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की एकतरफा निर्णय प्रक्रिया पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया है। पिछले साल शिंदे के नेतृत्व में कुछ महानगरपालिकाओं को करोड़ों रुपये की निधि दी गई थी, जिनमें कई जगहों पर उस फंड का उपयोग नहीं हुआ या फिजूलखर्ची हुई। अब मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना फंड आवंटन संभव नहीं होगा, जिससे उनके नियंत्रण को सीमित किया जा सकेगा। बीजेपी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि शहरी विकास फंड का उपयोग सिर्फ एक पार्टी विशेष के फायदे के लिए न हो, बल्कि गठबंधन के सभी घटकों को बराबर अवसर मिले।

विकास निधि पर रोक – केवल संतुलन या सियासी संदेश?

राज्य सरकार की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि तीनों सत्तारूढ़ दलों – बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना (शिंदे गुट) को समान फंड मिले, इसलिए यह कदम उठाया गया है। लेकिन अंदरखाने यह माना जा रहा है कि यह शिंदे की स्वायत्तता पर सियासी ब्रेक है, ताकि वे अकेले कोई फंड नीति तय न कर सकें। इस निर्णय से महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के भीतर गहराते मतभेद और शक्ति संतुलन की लड़ाई और स्पष्ट होती दिख रही है। जहां एकनाथ शिंदे अपनी पकड़ मजबूत करने में लगे हैं, वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह दिखा दिया है कि अंतिम निर्णय की चाबी अब भी उनके ही हाथ में है।
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