Madhya Pradesh Income Certificate: मध्यप्रदेश के सतना जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक किसान रामस्वरूप के नाम से जारी आय प्रमाण पत्र में उसकी सालाना आय केवल 3 रुपये दर्ज की गई। यह प्रमाण पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला है। हालांकि, बाद में प्रशासन ने इसे ‘लिपिकीय त्रुटि’ यानी टाइपिंग मिस्टेक बताया और नया प्रमाण पत्र जारी कर गलती स्वीकार की। Madhya Pradesh News
एक दिन की कमाई भी नहीं, 3 रुपये सालाना की इनकम! Satna News
22 जुलाई 2025 को जारी इस आय प्रमाण पत्र के अनुसार किसान रामस्वरूप की मासिक आय 25 पैसे और प्रतिदिन की कमाई एक पैसे से भी कम दर्शाई गई थी। कोठी तहसील के नायगांव निवासी रामस्वरूप को यह प्रमाण पत्र तहसीलदार सौरभ द्विवेदी के हस्ताक्षर से जारी हुआ था। सोशल मीडिया पर यह दस्तावेज वायरल होते ही कई यूजर्स ने रामस्वरूप को “भारत का सबसे गरीब किसान” बताना शुरू कर दिया। कई लोगों ने सवाल उठाया कि जब सरकारें किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही हैं, तब यह स्थिति कैसे?
कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा – ‘‘कुर्सी खा रही कमीशन!’’
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने इस इनकम सर्टिफिकेट की फोटो अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से शेयर की और तंज कसते हुए लिखा कि मोहन राज में ही मिला भारत का सबसे गरीब आदमी। है ना चौंकाने वाली बात! जनता को गरीब बनाने का मिशन? क्योंकि अब कुर्सी ही खा रही कमीशन। कांग्रेस ने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि सरकार की व्यवस्थागत विफलता का प्रतीक है, जहां आम जनता के साथ लापरवाही की जाती है। Income Certificate Error
Madhya Pradesh Income Certificate: प्रशासन ने दी सफाई, बताया टाइपिंग मिस्टेक
बढ़ते विवाद को देखते हुए कोठी तहसीलदार सौरभ द्विवेदी ने सफाई दी और कहा कि यह मामला एक लिपिकीय त्रुटि का है। उन्होंने बताया कि 25 जुलाई को किसान को नया प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है, जिसमें उसकी वार्षिक आय 30,000 रुपये यानी प्रति माह 2,500 रुपये दर्ज की गई है। तहसीलदार ने कहा कि यह मात्र टाइपिंग मिस्टेक थी। जैसे ही गलती का पता चला, तुरंत सही प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।
Madhya Pradesh Income Certificate: वायरल प्रमाण पत्र से उठे सवाल
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी दस्तावेजों की सत्यता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आय प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में इस तरह की गलती से न सिर्फ व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुंचती है, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में भी रुकावट आती है। हालांकि प्रशासन ने गलती सुधार दी है, लेकिन इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि सरकारी सिस्टम में सूक्ष्म स्तर की लापरवाहियां भी आम लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। आय प्रमाण पत्र न केवल पहचान का दस्तावेज होता है, बल्कि यह सरकारी योजनाओं, छात्रवृत्तियों, अनुदानों और कई जरूरी सेवाओं के लिए एक आधार भी होता है। यह घटना एक चेतावनी है कि छोटी सी गलती भी बड़ी शर्मिंदगी और राजनीतिक बहस का कारण बन सकती है। जनता की जरूरत है कि ऐसे दस्तावेजों में सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
Long or Short, get news the way you like. No ads. No redirections. Download Newspin and Stay Alert, The CSR Journal Mobile app, for fast, crisp, clean updates!