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July 28, 2025

लाडकी बहिन योजना में 14298 पुरुष उठाते रहे पैसा, सरकार को लगा 21 करोड़ का झटका 

The CSR Journal Magazine
Ladki Bahin Scheme Scam: लाडकी बहिन योजना का आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की मदद देना है। हालांकि अब पता चला है कि महाराष्ट्र में 14,298 पुरुषों ने फर्जी तरीके से इस योजना का लाभ उठा लिया। इससे पहले इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों के खुद को योजना के लाभार्थी के रूप में पात्रता साबित कर धनराशि लेने का मामला सामने आने के बाद गहन जांच में यह खुलासा हुआ है।

महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘लाड़की बहिन’

महाराष्ट्र सरकार की बेहद महत्वकांक्षी ‘लाडकी बहिन’ योजना का एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। महिलाओं की आर्थिक मदद के लिए खास तौर पर चलाई जा रही इस योजना का 14,298 पुरुषों ने फर्जी तरीके से लाभ उठा लिया। सरकार की तरफ से की गई हालिया समीक्षा में यह खुलासा हुआ, जिसमें पता चला है कि इस फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को 21.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
लाडकी बहिन योजना अगस्त 2024 में शुरू की गई थी, जिसका मकसद राज्य की 21 से 65 वर्ष की आयु की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करना है। लेकिन हाल ही में हुए ऑडिट में पता चला है कि हजारों पुरुष फर्जी पहचान या दस्तावेजों के जरिए लाभार्थियों की सूची में शामिल हो गए और लगातार पैसे उठाते रहे।

फर्जीवाड़े से उठ रहे सवाल

सरकारी आंकड़ों के अनुसार जब तक योजना की समीक्षा नहीं हुई, तब तक इन पुरुषों को नियमित रूप से भुगतान होता रहा। अब राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों पर सवाल उठने लगे हैं कि इतनी बड़ी संख्या में पुरुष योजना की पात्रता जांच को पार कैसे कर गए, उनके आवेदन किसने पास किए, और सिस्टम में ऐसी चूक कैसे हुई?

पहले भी सामने आई गड़बड़ी

हालांकि यह कोई पहला मामला नहीं है जब राज्य में कल्याणकारी योजनाओं में घोटाले की खबरें सामने आई हैं। इससे पहले सैनिटरी नैपकिन सब्सिडी योजना और शिव भोजन थाली योजना में भी अयोग्य लाभार्थियों के नाम दर्ज होने और धनराशि की हेराफेरी के मामले सामने आ चुके हैं।

शिव भोजन थाली योजना घोटाला

24 सितंबर 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 1699 भोजन केंद्र हैं जिसमें से 1549 भोजन केंद्रों पर शिव भोजन थाली दी जाती है। राज्य में 188463 थाली को बांटने का अनुमति दी गयी है। फिलहाल 145591 शिव भोजन थालियां ही ग्राहकों को मुहैया कार्रवाई जा रही है। बता दें कि सरकार ने कोरोना काल में इस थाली की कीमत को 10 रुपये से घटाकर 5 कर दिया था। हालांकि अप्रैल 2021 से यह थाली लोगों को मुफ्त में दी जाने लगी थी। लेकिन जब कोरोना का असर कम हुआ तब मुफ्त में थाली देने का फैसला सरकार ने वापस ले लिया था। बाद में यह थाली लोगों को पहले की तरह ही 10 रुपये में दी जाने लगी। शहरी इलाकों में स्थली की कीमत 50 और ग्रामीण इलाकों में 35 रुपए की गई थी। जरूरतमंद नागरिकों के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही शिव भोजन थाली योजना कम कीमत पर भोजन उपलब्ध कराने की एक पहल है।

एक थाली, खाने वाले पचास

इस योजना का दुरुपयोग कर अनुदान प्राप्त करने के लिए एक प्रकार की धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ। शिव भोजन थाली घोटाले का एक वीडियो सामने आया, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। जानकारी के अनुसार सरकारी विश्राम गृह के पास उडुपी होटल में करीब 50 लोगों को एक ही थाली के सामने बैठाकर तस्वीरें खींची गईं। वे इन तस्वीरों का इस्तेमाल करके अधिक थाली पंजीकृत करने और सरकार से अधिक अनुदान प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे।

शिव भोजन थाली को लेकर बात उठी कि इस योजना के भीतर कोई घोटाला हुआ है, जिसकी जांच होनी चाहिए। जिसके चलते इस स्कीम की भी समीक्षा करने की बात कही गई। अपने पसंदीदा कांट्रेक्टर को ठेका देने का इल्जाम भी सरकार पर लगा। योजना की समीक्षा के साथ ही महाराष्ट्र में अब इस बात की अटकलें भी तेज हो गईं कि आम इंसान के पेट को भरने वाली शिव भोजन थाली की योजना आने वाले समय में बंद भी हो सकती है।

जोधपुर में सेनेटरी नैपकिन सब्सिडी घोटाला

जोधपुर में 21 मई को सांगरिया रोड पर सेनेटरी नैपकिन से भरा एक ट्रक पकड़ा गया था, जिन पर राजस्थान सरकार द्वारा निशुल्क वितरण का टैग लगा था। जांच की तो सरकारी योजना में एक बड़ा घोटाला सामने आया, जिसके तार जैसलमेर से नोएडा तक जुड़े थे। घोटाले में नैपकिन सप्लाई करने वाली कंपनी के लोग, जैसलमेर में स्थानीय सप्लायर और ब्लॉक लेवल इंचार्ज सहित 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि जैसलमेर-पोकरण के आंगनवाड़ी केंद्रों पर सप्लाई होने वाले सेनेटरी नैपकिन बड़ी संख्या में बच जाते थे, क्योंकि गांव की महिलाएं इनका इस्तेमाल करने में झिझक महसूस करती थी। आंगनवाड़ी केंद्रों पर नैपकिन सप्लाई करने वाले दो सप्लायर केंद्रों पर बचे सेनेटरी नैपकिन सप्लाई करने वाली कंपनी को ही नाममात्र दाम पर बेचने लगे। Sanitary Napkins Subsidiary Yojana के सेनेटरी नैपकिन की कालाबाजारी हो रही थी और ये रैपर बदलकर बेचे जा रहे थे।

Ladki Bahin Yojana घोटाले की जांच

सरकार अब इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए न केवल दोषियों पर कार्रवाई की दिशा में बढ़ रही है, बल्कि योजना में पारदर्शिता और सत्यापन की प्रक्रिया को और सख्त बनाने की तैयारी कर रही है ताकि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों से बचा जा सके।

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