20 साल में एक भी वक्फ संस्था को नहीं मिला पैसा, RTI से उजागर हुआ गंभीर भ्रष्टाचार
केरल वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सूचना के अधिकार (RTI) के तहत एक ऐसा खुलासा हुआ है, जो न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि देश में धार्मिक संस्थाओं को मिलने वाले सरकारी अनुदान की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है। पुणे के बिजनेसमैन और सोशल एक्टिविस्ट प्रफुल्ल सारडा की RTI याचिका में यह खुलासा हुआ है कि बीते 20 वर्षों में केरल सरकार ने वक्फ बोर्ड को ₹37.48 करोड़ का अनुदान दिया, लेकिन इस राशि में से एक भी रुपया राज्य की किसी वक्फ संस्था तक नहीं पहुंचा। Kerala Waqf News
Kerala Waqf: करोड़ों की राशि, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं
RTI के जवाब में खुद वक्फ बोर्ड ने स्वीकार किया है कि यह पूरी राशि दो प्रमुख श्रेणियों में दी गई थी, ₹21.61 करोड़ – Social Welfare Grants (सामाजिक कल्याण और विकास योजनाएं) ₹15.88 करोड़ – Administrative Grants (प्रशासनिक अनुदान), विशेष रूप से वर्ष 2020–21 में वक्फ बोर्ड को ₹3.32 करोड़ की बड़ी राशि प्राप्त हुई, और 2016–17 में सबसे ज्यादा ₹2 करोड़ प्रशासनिक मद में मिले। इसके बावजूद बोर्ड ने स्पष्ट किया कि इन फंड्स का उपयोग किसी भी वक्फ संस्था के हित में नहीं किया गया।
प्रफुल्ल सारडा ने इस पूरे प्रकरण पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे “करदाताओं के पैसे की खुली लूट” बताया। उनके अनुसार यह कोई साधारण प्रशासनिक चूक नहीं है, बल्कि एक गंभीर वित्तीय अनियमितता है। उन्होंने कहा कि “20 सालों में ₹37.48 करोड़ का सरकारी पैसा आया, लेकिन एक भी पैसा वक्फ संस्था तक नहीं पहुंचा। यह धार्मिक आस्था और सामाजिक कल्याण के नाम पर हुआ छलावा है। इसकी तुरंत निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”
Kerala Waqf: Minority Welfare या Political Shadow?
Waqf Board Fund Misuse अब एक राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन सकता है। वक्फ संस्थाओं का उद्देश्य होता है धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक दृष्टि से अल्पसंख्यकों का कल्याण करना। मदरसे, मस्जिदें, अनाथालय, स्कूल–कॉलेज इनका हिस्सा होते हैं। ऐसे में जब दो दशकों तक मिला पैसा कहीं खर्च ही न हो, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या अल्पसंख्यकों के नाम पर सिर्फ दिखावा हो रहा है? ये फंड गए कहां?, क्या वक्फ बोर्ड के भीतर किसी सुनियोजित नेटवर्क के ज़रिये इन पैसों का दुरुपयोग हुआ?
पारदर्शिता की मांग: CAG या CBI से जांच हो
प्रफुल्ल सारडा ने केंद्र सरकार से अपील की है कि इस मामले की CBI जांच कराई जाए या CAG द्वारा स्वतंत्र ऑडिट कराया जाए। उनका कहना है कि “यह घोटाला सिर्फ राज्य स्तर का नहीं है। यह बहुस्तरीय मिलीभगत का मामला हो सकता है। जब तक निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच नहीं होगी, तब तक सच सामने नहीं आएगा।”
धर्म के नाम पर धन का दुरुपयोग, कब तक?
RTI के जरिए सामने आए इस घोटाले ने यह सवाल फिर खड़ा कर दिया है कि धर्म, आस्था और अल्पसंख्यकों के नाम पर सरकारें करोड़ों रुपए तो देती हैं, लेकिन उसका उपयोग जमीनी स्तर पर क्यों नहीं होता?
केरल वक्फ बोर्ड की इस रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया कि वक्फ जैसी संस्थाओं को लेकर Government Accountability और Religious Fund Transparency की अब सख्त ज़रूरत है।
जनता के पैसे की जिम्मेदारी कौन लेगा?
यह मामला न सिर्फ वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि केरल सरकार की निगरानी प्रणाली को भी कटघरे में खड़ा करता है। क्या यह सिर्फ एक राज्य का मामला है या पूरे देश में वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाओं में भी इसी तरह की अनियमितता छिपी बैठी है? आस्था और अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर जनता का पैसा लुटेगा या इसका उपयोग सही दिशा में होगा, अब फैसला जनता और जांच एजेंसियों को करना है।
Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath has made history by becoming the longest-serving Chief Minister of the state, breaking the previous record of 8...
Bihar-UP STF की संयुक्त कार्रवाई, बेगूसराय कांड के फरार अपराधी का अंत
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में सोमवार सुबह हुए एक Police Encounter में बिहार का कुख्यात अपराधी...
Security forces have neutralised three terrorists during a high-intensity encounter in the Lidwas area near Dara, on the outskirts of Srinagar. The terrorists are...