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August 4, 2025

फ्री फायर में हारा 2800 रुपये, इंदौर में 13 साल के आकलन ने लगाई फांसी

The CSR Journal Magazine
इंदौर में एक 13 साल के छात्र आकलन ने ऑनलाइन फ्री फायर गेम में ₹2800 हारने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, छात्र को डर था कि परिजन को इस बात का पता चला तो वे नाराज होंगे। तनाव में आकर उसने यह कदम उठाया।

Online Gaming की लत ने ले ली बच्चे की जान

TI सीबी सिंह के अनुसार, आकलन के पास बिना सिम वाला मोबाइल था, जो वाई-फाई से जुड़ा रहता था। उसने अपनी गेमिंग आईडी में मां का डेबिट कार्ड लिंक कर रखा था। इसी कार्ड से ₹2800 का ट्रांजेक्शन हुआ था। हारने के बाद आकलन ने मां को यह बात बताई, लेकिन डर और तनाव में उसने फांसी लगा ली। आकलन एक निजी स्कूल में सातवीं का छात्र था। उसके पिता अंकेश जैन ऑटो पार्ट्स व्यापारी हैं, जिनकी दुकानें छोटी ग्वालटोली और देवास नाके पर हैं। परिवार में मां, पिता और एक छोटा भाई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

मोबाइल में ऑनलाइन गेम खेलता था आकलन

घटना गुरुवार रात अनुराग नगर की है। ऑटो मोबाइल कारोबारी अंकेश जैन 13 वर्षीय आकलन को LIG चौराहा स्थित निजी अस्पताल लेकर पहुंचे थे जहां डॉक्टर द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया और पुलिस को सूचना दी गई। टीआइ सीबी सिंह के मुताबिक अकलंक सातवीं कक्षा में पढ़ता था। उसके ताऊ आशीष जैन ने पुलिस को बताया वह मोबाइल में ऑनलाइन गेम खेलता था। मोबाइल वाईफाई से कनेक्ट था।

गेम खेलने के दौरान 2800 रुपये कट गए

गुरुवार को फ्री फायर गेम खेलने के दौरान आकलन के मोबाइल से 2800 रुपये कट गए। आकलन की मां अपूर्वा का डेबिट कार्ड गेमिंग आईडी में एड किया हुआ था। रुपये गवांने के बाद मां को इसके बारे में जानकारी लगी थी। जब खाते से पैसे कटने का मैसेज आया, तो मां ने उसे डांटा और समझाया कि गेम पर पैसे बर्बाद करना गलत है। इसी बात से नाराज होकर आकलन अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद छोटा भाई अविकल कमरे में पहुंचा, तो उसने आकलन को फांसी के फंदे पर लटका देखा और चीखते हुए बाहर भागा। स्वजन तत्काल उसको निजी अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।

एक दिन पहले ही बच्चे का जन्मदिन मनाया

आकलन शहर के बड़े स्कूल में पढ़ता था। आशीष के मुताबिक 30 जुलाई को ही बच्चे का जन्मदिन मनाया गया था। वह बहुत खुश था। आकलन का सपना था कि वह फुटबॉलर बने और देश के लिए मेडल जीते. बच्चा कभी-कभी ही गेम खेलता था। माता-पिता को भी इसकी जानकारी थी। डेबिट कार्ड से रुपये कटने के बाद वह डर गया और उसने फांसी लगा ली।

कैसे रुकेगा ये सिलसिला

मासूम की असमय मौत ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर ऑनलाइन गेमिंग की लत पर कैसे रोक लगाई जाए, ताकि भविष्य में किसी और परिवार को ऐसा दर्द न झेलना पड़े। इस लत के कारण छोटी उम्र में बच्चे एग्रसिव हो रहे हैं। मना करने पर आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। अभिभावकों में इस घटना को लेकर चिंता है।

इंदौर में ऑनलाइन गेमिंग के चलते हुए कई हादसे

बता दें कि ऑनलाइन गेमिंग की लत के कारण बच्चों के सुसाइड का यह पहला मामला नहीं है। बीते कुछ महीनों में इंदौर से ऐसे ही 10 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जहां ऑनलाइन गेम की वजह से मासूमों ने अपनी जान गंवाई है। 2022 में भोपाल में ‘फ्री फायर’ गेम के आदी 11 साल के बच्चे ने सुसाइड कर लिया था। उस घटना के बाद तत्कालीन गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने घोषणा की थी कि सरकार ऑनलाइन गेमिंग के लिए एक नया कानून लाएगी।

पेरेंट्स के लिए डिजिटल सेफ्टी गाइड

हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल के चलते बच्चों को इससे दूर रख पाना संभव तो नहीं है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा के लिए अभिभावकों को कड़े कदम और सावधानी बरतना जरूरी है।
बच्चों को डिजिटल संस्कार देना और डिजिटल डिटॉक्स कराना बेहद जरूरी है।
1 साल तक के बच्चों को मोबाइल से दूर रखें।
बच्चों को स्क्रीन टाइम के नुकसान बताएं और लिमिट सेट करें।
वर्चुअल स्क्रीन पर लोरी और गाने दिखाने से बचें।
मोबाइल और टैबलेट पर टाइमर सेट करें।
ज्यादा टाइम लेने वाले ऐप लॉक कर दें।
बेडरूम और डाइनिंग रूम को नो-मोबाइल जोन बनाएं।
जिद करने पर बच्चों को प्यार से समझाएं।
क्रिएटिव और नॉलेज एक्टिविटी के लिए समय तय करें।
हर 30 मिनट में स्क्रीन से ब्रेक दिलाएं।
सोते समय मोबाइल को डू नॉट डिस्टर्ब मोड में रखें।
हर 2 घंटे में ऑफलाइन एक्टिविटी करने की आदत डालें।
काम के बाद फोन स्विच ऑफ करने और टहलते समय फोन न ले जाने की आदत डालें।
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