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March 29, 2025

भारत-चीन वार्ता ने खोले कैलाश मानसरोवर यात्रा के रास्ते, LAC पर घटा तनाव

कैलाश मानसरोवर (Kailash Mansarovar) अनेक मान्यताओं और आस्थाओं का घर है। हर साल जून से सितंबर तक दुनिया भर से बड़ी संख्या में लोग कैलाश मानसरोवर यात्रा पर निकलते हैं। हिंदू मान्यताओं में ‘Mansarovar’ को वो झील बताया गया है जिसे भगवान ब्रह्मा ने अपने मन में बनाया था। उनकी कल्पना में यह कैलाश पर्वत के नीचे स्थित है, जो भगवान शिव का निवास स्थान है जहां वह देवी पार्वती के साथ रहते हैं। तो, Science की मानें तो Kailash पर्वत ब्रह्मांड का केंद्र है। बौद्ध धर्म में, कैलाश पर्वत गुरु रिनपोचे से जुड़ा है जिन्होंने इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। इसके अलावा तिब्बत में ‘बॉन’ मत वाले लोग Kailash पर्वत को पृथ्वी का केंद्र मानते हैं।
बॉन पौराणिक कथाओं के अनुसार, उनके संस्थापक टोनबा शेनराब ने Tibbet की अपनी पहली यात्रा के दौरान पवित्र Mansarovar झील में स्नान किया था। जैन धर्म में बताया गया है कि एक प्रमुख गुरु ऋषभनाथ को यहीं मोक्ष प्राप्त हुआ था। उन्होंने Kailash पर्वत के चारों ओर दक्षिणावर्त दिशा में घूमते हुए परिक्रमा की थी और मोक्ष पाया था। जैनों के अनुसार, Kailash वह स्थान है जहां पहले जैन तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था। बौद्ध धर्म में, मान्यता यह है कि Kailash पर्वत पर Buddha का निवास है। बॉन, (एक धर्म जो तिब्बत में बौद्ध धर्म से पहले का है), यह मानना है कि Kailash Mansarovar का पूरा क्षेत्र सभी आत्मिक शक्तियों का स्थान है | सिख धर्म के अनुसार, Kailash Mansarovar झील वह स्थान है, जहां सिख धर्म के संस्थापक और दस सिख गुरुओं में से पहले गुरु Guru Nanak Devji ने ध्यान करना सीखा था। माना जाता है कि Kailash Mansarovar यात्रा पूरी करने से लोगों के जन्मों-जन्म के पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Kailash Mansarovar Yatra कहां से शुरू होती है

कैलाश मानसरोवर की यात्रा Uttarakhand, Delhi और Sikkim के State Governments के सहयोग से आयोजित की जाती है और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के सहयोग से शुरू होती है। कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) और उनके सहयोगी संगठन भारत में यात्रियों के प्रत्येक बैच के लिए सहायता और सुविधाएं प्रदान करते हैं। दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट Delhi Heart And Lungs Institute इस यात्रा के लिए आवेदकों के फिटनेस स्तर को निर्धारित करने के लिए चिकित्सा परीक्षण आयोजित करता है। Kailash Mansarovar की यात्रा प्रत्येक वर्ष अप्रैल से अक्टूबर के महीने के दौरान कभी भी की जा सकती है। इस यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से अक्टूबर है, क्योंकि इस समय मौसम का मिजाज़ आरामदायक होता है और आपको खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं।

यात्रा पर जाने की योग्यता

Kailash Mansarovar यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो यात्रा में चुने जाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें सबसे पहले तो आपको भारत का नागरिक होना चाहिए। आपका Passport अगले 6 महीने के लिए वैध होना चाहिए। Kailash Mansarovar यात्रा करने के लिए आपकी आयु न्यूनतम 18 और अधिकतम 70 वर्ष होनी चाहिए। 25 या उससे कम का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) होना चाहिए, यानी आपकी शारीरिक क्षमता महत्वपूर्ण है। यात्रा शुरू करने के लिए शारीरिक रूप से फिट और मेडिकली स्वस्थ होना बहुत ज़रूरी है। इस यात्रा के लिए विदेशी नागरिक और OCI कार्ड वाले लोग अप्लाई नहीं कर सकते।
Selection Process-आवेदकों को चुनने की प्रक्रिया एक कंप्यूटर द्वारा की जाती है जो संतुलित लिंग को चुनती है| चुने जाने वाले आवेदकों को Email या SMS द्वारा सूचित किया जाता है, जिन्हें अधिकृत Website पर पैसे जमाकर अपना Confirmation देना होता है। Medical Tests in Delhi-चुने जाने के बाद यात्रियों को पहले –४ दिनों के लिए Delhi ले जाया जाताहै | दिल्ली के हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट और ITBP बेस हॉस्पिटल में उनके मेडिकल टेस्ट होते है | आईटीबीपी बेस हॉस्पिटल ही तय करता है कि कौन से यात्री यात्रा पर जाने के लिए फिट हैं, और जो यात्री ये टेस्ट पास कर लेते हैं, वही यात्रा करने के लिए आगे बढ़ते है | Additional Medical Tests en route-उचाईयों पर ट्रैकिंग करने के दौरान भी ITBP गुंजी (Lipulekh Paas Rout) और शेरथांग (नाथू ला से यात्रा) में मेडिकल परीक्षण करता है | इस समय जो भी यात्री मेडिकली फिट नहीं होते वहीं यात्रा से रोक दिया जाता है।

माउंट कैलाश यात्रा परमिट – Mount Kailash Travel Permit

यात्रा दस्तावेजों की आवश्यकता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि आप Kailash Mansarovar की यात्रा कहां से कर रहे हैं। यदि आप ल्हासा से कैलाश पर्वत जाते है, तो आपको Tibbet का परमिट लेना पड़ता है और एक Tibbetan Guide आपको बुरंग में माउंटकैलाश जाने के लिए एलियन यात्रा परमिट, सैन्य परमिट और विदेशी मामलों का परमिट दिलवाता है | यदि आप काठमांडू से Kailash पर्वत जाते है तो ज़रूरी दस्तावेज़ों के अलावा Tibbet में एंट्री के लिए आपको असली पासपोर्ट के साथ चीन ग्रुप वीसा लेना पड़ता है | इस प्रोसेस में ३ दिन लगते हैं ।

ब्रह्मांड की धुरी है Kailash

Kailash पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में Tibbet में स्थित है। चूंकि तिब्बत China के अधीन है, अतः कैलाश China के अधिकार क्षेत्र में आता है। Kailash पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम हुआ है-Brahmaputra, Sindhu, Satluj और Karnali! Kailash पर्वत की चारों दिशाओं में 4 विभिन्न जानवरों के मुख हैं जिसमें से नदियों का उद्गम होता है, पूर्व में अश्वमुख है, पश्चिम में हाथी का मुख, उत्तर में सिंह का मुख, और दक्षिण में मोर का मुख है। हिन्दू धर्म के अनुयायियों की मान्यता है कि कैलाश पर्वत दरअसल मेरू पर्वत है जो ब्राह्मंड की धूरी है। उपर स्वर्ग है, जिस पर कैलाशपति सदाशिव महादेव विराजे हैं। नीचे मृत्यलोक है, जिसकी बाहरी परिधि 52 किमी है। Mansarovar पहाड़ों से घिरी झील है जो पुराणों में ‘क्षीर सागर’ के नाम से वर्णित है। क्षीर सागर Kailash से 40 किमी की दूरी पर है व इसी में शेषनाग की शैया पर विष्णु व लक्ष्मी विराजित हो पूरे संसार को संचालित कर रहे हैं। हिंदू धर्म की इन्ही मान्यताओं के चलते Kailash Mansarovar को पूरे ब्रह्मांड का संचालन केंद्र माना जाता है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा क्यों बंद हुई

पांच साल रुकी रहने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू हो रही है। भारत और चीन के बीच राजनयिक स्तर की बातचीत के बाद इस पर सहमति बन गई है। Kailash जाने के लिए China सरकार की अनुमति जरूरी होती है। इसी वजह से जब जब चीन और भारत के रिश्ते खराब होते हैं, तब इस यात्रा पर भी ग्रहण लग जाता है। अब फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने जा रही है।
Kailash Mansarovar यात्रा कई बार अलग-अलग कारणों से बंद हुई। इनमें प्राकृतिक आपदाएं, भारत-चीन के बीच तनाव, और महामारी जैसी स्थितियां शामिल रही हैं। 1962 में Indo-China War के कारण दोनों देशों के संबंध खराब हो गए। तब चीन ने भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रोक लगा दी थी। यह यात्रा 14 सालों तक बंद रही। 1976 में इसे फिर से शुरू किया गया। वर्ष 1998 में भारत ने Pokhran में परमाणु परीक्षण किया तो चीन ने इस यात्रा को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। तनाव कम होने के बाद यात्रा फिर शुरू की गई। 2017 में Doklam क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव हुआ। इसके कारण नाथूला पास के माध्यम से होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा को रोक दिया गया। 2018 में दोनों देशों के संबंध सुधरने पर यात्रा को फिर से शुरू किया गया।
पिछली बार ये यात्रा Covid19 Pandemic के चलते वर्ष 2020 में बंद कर गई थी। तब चीन ने अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दीं जिसके चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी रोक लग गई। China ने तीर्थयात्रियों को तिब्बत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी, जिससे यात्रा ठप हो गई। इसके बाद उसी साल में भारत-चीन के बीच गलवान घाटी संघर्ष शुरू हो गया। इससे दोनों देशों के संबंधों में भारी तनाव पैदा हो गया।
ज़्यादातर लोगों को लगता है कि हिंदुओं का पवित्र मोक्ष धाम Kailash Mansarovar भारत में होगा जबकि ऐसा है नहीं! आप नेपाल से जाएं या सिक्क्मि से, आपको China बॉर्डर पार करना ही होगा। सरहद पार करने के बाद पांच दिन यात्रा करके आप Mansarovar पहुंचते हैं जहां दायचिंग बेस कैंप है। बेस कैंप पहुंचकर फिर आपकी Mansarovar परिक्रमा शुरू होती है जिसमें 3 दिन लगते हैं, फिर वापसी में पांच दिन और लगते हैं। ऐसा इसलिए, क्यूंकि पूरी यात्रा के दौरान चीन जब चाहे, जहां चाहे, इस यात्रा को रोक सकता है। एक तो बॉर्डर पर ही वो यात्रियों को रोक सकता है, और इसके बाद यात्रियों के जत्थे को अपनी सीमा में प्रवेश करने के बाद जहां चाहे रोक कर वापस कर सकता है, क्योंकि ये सामान्य कानून है कि आप जिस देश में हैं उस देश के क़ानून का आपको पालन करना ही पड़ेगा। मानसरोवर की यात्रा कठिन होती है। बर्फ़ीले रास्तों पर चलना होता है। कई बार चीनी अधिकारी आपको Mansarovar झील के पास कैंप करने से भी रोक देते हैं और कहते हैं कि कैंपिंग कहीं और करें। ये सब उनके अधिकार क्षेत्र में है। वो मौसम ख़राब होने की बात कह कर भी यात्रा को बाधित कर सकते हैं।

Kailash Mansarovar यात्रा फिर होगी शुरू, 3750KM दूर लिखी गई पटकथा

भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधरने लगे हैं। PM Modi और शी जिनपिंग की मुलाकात ने संबंधों को नया मुकाम दिया है। भारत और चीन के बीच सालों तक रिश्तों पर जमी बर्फ अब पिघलने लगी है। भारत और चीन अब नए सिरे से दोस्ती का हाथ बढ़ा चुके हैं। पुरानी बातें भूलकर दोनों रिश्तों की नई पटकथा लिखने में जुट गए हैं। इसका असर भी जमीन पर दिखने लगा है। पहले तो LAC पर सीमा विवाद सुलझा और दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे। जहां-जहां तनाव था, वहां से Disengagement हो गया। अब Kailash Mansarovar यात्रा पर सफलता हाथ लगी है। जी हां, भारत और चीन फिर से कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू करेंगे। दोनों देश सीधी उड़ान पर भी सहमत हो चुके हैं। भारत और चीन ने सोमवार को अपने रिश्तों के पुननिर्माण की दिशा में यह अहम घोषणा की। इसके तहत इस साल गर्मी के मौसम में कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू होगी।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत भारत और चीन के रिश्तों में मील का पत्थर है। 2020 के बाद से ही Kailash Mansarovar यात्रा के साथ-साथ दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी बंद हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद फिर शुरू होगी। साल 2020 में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील के पास हुई झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। तनाव इतना था कि दोनों देशों ने सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी और हर तरह के संबंध तोड़ दिए थे। कैलाश मानसरोवर यात्रा के साथ-साथ भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान सेवा बंद हो गई थी। मगर अब सब पहले की तरह नॉर्मल होने जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर कैसे चीन मान गया? आखिर इस फैसले के पर्दे के पीछे की कहानी क्या है?

क्या है पर्दे के पीछे की कहानी

भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधरने की सबसे अहम वजह है वार्ता यानी बातचीत! जी हां, 2020 में रिश्तों में दरार पड़ने के बाद भी दोनों देशों ने लगातार बातचीत की है। इन्हीं वार्ताओं का नतीजा है कि अब दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने लगे हैं। हालांकि, इसकी पटकथा दिल्ली से 3750 किलोमीटर दूर स्थित Russia के कजान शहर में लिखी गई, जब भारत के प्रधानमंत्री Narendra Modi और चीनी राष्ट्रपति Xi Jinping के बीच मुलाकात हुई। पिछले साल अक्टूबर महीने में PM Modi और Xi Jinping कजान शहर में थे। मौका था BRICS Summit का! BRICS Summit के अलावा भी पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात हुई थी, जहां दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। इस मुलाकात में ही सीमा पर शांति और दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने पर सहमति बनी थी। इसी दौरान सीमा पर तनाव कम करने, Kailash Mansarovar यात्रा और Indo-China Direct Flight की बहाली पर पीएम मोदी ने जिनपिंग से बात की। यही वह मुलाकात थी, जिसके बाद भारत और चीन के बीच बातचीत का चैनल सक्रिय हो गया था।

 LAC और Kailash Mansarovar यात्रा समेत इन मुद्दों पर बात

भारत एवं चीन के राजनयिकों ने कल Beijing में सीमा पार नदियों के डेटा के आदान-प्रदान और कैलाश-मानसरोवर यात्रा की शीघ्र बहाली सहित सीमा प्रबंधन को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार-विमर्श किया। भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र ( WMCC) की 33वीं बैठक मंगलवार को Beijing में आयोजित की गई थी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व Joint Secretary (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने किया, जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वहां के Foreign Ministery के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक Hong Li Yang ने किया। इस वार्ता ने विशेष प्रतिनिधियों, Ajit Dobhal और Wang Yi की एक और बैठक के लिए भी जमीन तैयार की, जिसकी मेजबानी भारत इस साल के अंत में करेगा। भारत और चीन के प्रतिनिधियों ने मंगलवार (25 मार्च 2025) को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मौजूदा स्थिति, मानसरोवर यात्रा समेत कई मुद्दों पर समीक्षा बैठक की। इस बैठक में जल्द से जल्द फिर से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर चर्चा हुई। साल 2020 में सीमा पर बढ़े तनाव के कारण इसपर रोक लगा दी गई थी। इस बैठक का मुख्य मुद्दा मानसरोवर यात्रा था। हाल ही में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि Kailash Mansarovar यात्रा इस साल फिर से शुरू करने पर सहमति बन गई है, लेकिन इसके नियम-कायदों को अब भी तय किया जाना बाकी है।
दोनों पक्षों ने दिसंबर 2024 में Beijing में भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक के दौरान लिये गए निर्णयों को प्रभावी बनाने और प्रभावी सीमा प्रबंधन को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों और प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया। भारतीय वक्तव्य में कहा गया कि दोनों पक्ष इस दिशा में प्रासंगिक कूटनीतिक और सैन्य तंत्र को बनाए रखने और मजबूत करने पर सहमत हुए। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत-चीन ने सीमा-पार सहयोग और आदान-प्रदान को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने पर भी विचार-विमर्श किया, जिसमें सीमा पार की नदियां और कैलाश-मानसरोवर यात्रा शामिल है।’’

दोनों देशों के Diplomatic रिश्तों की 75वीं वर्षगांठ

साल 2025 में दोनों देशों के Diplomatic रिश्तों की 75वीं वर्षगांठ है। ऐसे में दोनों देशों ने माना कि इस मौके को पब्लिक डिप्लोमैटिक कोशिशों को तौर पर इस्तेमाल करने की जरूरत है, जिससे कि दोनों देशों के लोग एक दूसरे के बारे में ज्यादा जान पाएं और आपसी विश्वास कायम हो। इस बात पर भी सहमति बनी कि इस वर्षगांठ को मनाने के लिए दोनों देशों की ओर से कई तरह की गतिविधियां भी की जाएगी। भारत और चीन ने माना कि दोनों देशों के बीच बातचीत के मैकेनिज्म को धीरे-धीरे कायम रखना चाहिए जिससे कि एक-दूसरे की चिंताओं और हितों के मामलों को समझा जा सके। इस बातचीत में लंबे समय की पारदर्शिता को कायम करने के लिए व्यापारिक और आर्थिक क्षेत्रों में मौजूद चिंताओं को लेकर चर्चा हुई, जिससे कि इनका हल निकाला जा सके।कुल मिलाकर जितनी बातें इस वार्ता में हुई और जितने मुद्दों पर सहमति बनी, अगर चीज़ें उसी तरह चलती रहीं, तो भारत और चीन के रिश्ते सौहार्द्रपूर्ण होंगे और दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार आएगा।

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