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November 19, 2025

2035 तक हर भारतीय के पास ई-पासपोर्ट: 80 लाख से अधिक जारी, सुरक्षा और डिजिटल बदलाव की नई दिशा

The CSR Journal Magazine
 भारत में ई-पासपोर्ट का व्यापक विस्तार केवल एक तकनीकी उन्नयन भर नहीं है। यह नागरिक पहचान, अंतरराष्ट्रीय यात्रा और राष्ट्रीय सुरक्षा के संतुलन में एक निर्णायक मोड़ है। अब तक 80 लाख से अधिक ई-पासपोर्ट जारी हो चुके हैं और सरकार ने 2035 तक पूरी तरह ई-पासपोर्ट आधारित प्रणाली अपनाने का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य जितना महत्वाकांक्षी है, उतना ही दूरदर्शी भी।

भारत में ई-पासपोर्ट– क्या है E-Passport

ई-पासपोर्ट (E Passport) एक हाइब्रिड पासपोर्ट है। यह पारंपरिक कागजी/प्रिंटेड पासपोर्ट जैसा दिखता है, लेकिन इसमें RFID (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफ़िकेशन) चिप लगी होती है। इस चिप में व्यक्ति की बायोमेट्रिक जानकारी (जैसे फोटो, फिंगरप्रिंट) और जनसांख्यिक डेटा (नाम, जन्मतिथि आदि) एनक्रिप्टेड फॉर्म में सुरक्षित रहते हैं। चिप “Read-Only” होती है, यानी सिर्फ पढ़ी जाती है, सीधे उसमें डेटा को बदला नहीं जा सकता। पासपोर्ट के डिज़ाइन में इंटरलॉकिंग माइक्रोलेटर, RFID चिप, एंटीना जैसे हाई-टेक सुरक्षा फीचर्स शामिल हैं।

E Passport के ज़रिए विकास की दिशा में कदम

ई-पासपोर्ट की चिप-आधारित संरचना, Biometric Identification और Digital Encryption निस्संदेह पासपोर्ट धोखाधड़ी, फर्जी पहचान और अंतरराष्ट्रीय अपराधों पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एयरपोर्ट पर तेज़ इमिग्रेशन, डिजिटाइज्ड वेरिफिकेशन और वैश्विक मानकों का पालन भारत को आधुनिक यात्रा व्यवस्थाओं की कतार में आगे खड़ा करता है। दुनिया के कई विकसित देशों में ई-पासपोर्ट आम बात है। भारत अब उस दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा रहा है।

नया पासपोर्ट प्रोग्राम: Passport Seva Programme V2.0

भारत सरकार ने Passport Seva Programme V2.0 (PSP V2.0) लॉन्च किया है, जिसके अंतर्गत यह नया ई-पासपोर्ट सिस्टम लागू हुआ है। ग्लोबल Passport Seva Programme V2.0 (GPSP V2.0) भी शुरू किया गया है, ताकि विदेशों में रहने वाले भारतीयों को भी आधुनिक पासपोर्ट सेवा मिले। इस नए सिस्टम में डिजिटल इंटीग्रेटेड इकोसिस्टम है। AI-पावर्ड चैट और वॉयस बॉट्स, आसान ऑनलाइन फॉर्म भरना, UPI / QR कोड से पेमेंट, आदि फीचर्स शामिल हैं।

अभी तक जारी पासपोर्ट की संख्या

मई 2025 से अब तक लगभग 80 लाख (8 मिलियन) ई-पासपोर्ट जारी किए जा चुके हैं। विदेशों (भारतीय मिशन / दूतावासों) से भी ई-पासपोर्ट जारी हो रहे हैं। लगभग 62,000 पासपोर्ट विदेशों में जारी किए गए हैं। रोज़ाना लगभग 50,000 पासपोर्ट जारी किए जा रहे हैं, जैसा कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है।

सुरक्षा और धोखाधड़ी की रोकथाम

ई-पासपोर्ट में बायोमेट्रिक डेटा होने और “Read-Only” चिप होने के कारण धोखाधड़ी (Passport Fraud), छेड़छाड़ और नकली पासपोर्ट बनाना कठिन होगा। यदि कोई पासपोर्ट खो जाए या चोरी हो जाए, तो पुलिस शिकायत के बाद चिप डेटा को लॉक करने के लिए व्यवस्था है, जिससे डेटा का दुरूपयोग कम हो सकता है। सुरक्षा संरचना मजबूत है, अधिकारियों के अनुसार “सात-लेयर” (7-layer) सुरक्षा नियंत्रण हैं और डेटा स्टोर करने के लिए तीन डेटा सेंटर (नोएडा, चेन्नई, बेंगलुरु) बनाए गए हैं। नया सिस्टम पहले से मौजूद बायोमेट्रिक डेटा (जैसे पहले पासपोर्ट आवेदन के समय लिए गए फिंगरप्रिंट) से मेल खाता है, जिससे Impersonifications यानि किसी और का नाम ले कर पासपोर्ट बनवाना कठिन हो जाता है।

2035 का लक्ष्य: “हर भारतीय पासपोर्ट ई-पासपोर्ट बने”

सरकार का लक्ष्य है कि जून 2035 तक सभी पासपोर्ट (जो अभी पुराने, गैर-इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट हैं) ई-पासपोर्ट में परिवर्तित हों। हालांकि, जो पुराने पासपोर्ट हैं और जिनकी वैधता अभी खत्म नहीं हुई है, वे 2035 तक अपनी एक्सपायरी डेट तक वैध रहेंगे। यानी यह अनिवार्य “तुरंत बदलाव” नहीं है, बल्कि एक चरणबद्ध ट्रांज़िशन है।

फायदे ई-पासपोर्ट के

1. बेहतर सुरक्षा– चिप आधारित संरचना और बायोमेट्रिक डेटा की वजह से पहचान ज़्यादा भरोसेमंद होती है। फ्रॉड और फर्जी पासपोर्ट के मामले घट सकते हैं।
2. तेज़ इमिग्रेशन प्रक्रिया– एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन चेकिंग समय कम हो सकता है क्योंकि चिप स्कैन की जाती है। पहचान प्रक्रिया अधिक स्वचालित और तेज हो सकती है।
3. डिजिटल इंटीग्रेशन– पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन आसान हुई है। DigiLocker, Aadhaar जैसी प्रणाली से डेटा वेरिफ़िकेशन का समर्थन है। AI-बॉट्स की मदद से यूज़र अनुभव बेहतर हुआ है। 4. वैश्विक मानक- यह पासपोर्ट इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के मानकों के अनुरूप है।

चिंताएं और जोखिम (Risks / Challenges)

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता: भले ही चिप एन्क्रिप्टेड हो, लेकिन बायोमेट्रिक डेटा सेंसर में स्टोर होने की वजह से कुछ लोग गोपनीयता की चिंता कर सकते हैं।
तकनीकी खामी: यदि सिस्टम में बग हो, तो चिप को पढ़ने या उसे लॉक करने में समस्या आ सकती है।
लॉजिक या प्रशासनिक देरी: 2035 तक का लक्ष्य तो है, लेकिन पूरा ट्रांज़िशन हो या न हो, यह पूरी तरह भरोसेमंद नहीं कहा जा सकता।
लॉ स्टाफिंग और कर्मी प्रशिक्षण: नए सिस्टम को प्रबंधित करने के लिए पासपोर्ट केंद्रों में स्टाफ को पर्याप्त प्रशिक्षण देना होगा।
लॉस्ट पासपोर्ट की स्थिति: यदि ई-पासपोर्ट खो जाए, तो चिप डेटा लॉक करना बहुत ज़रूरी होगा , लेकिन शिकायत, लॉकिंग आदि में देरी हो सकती है।

एक्सपायर होने तक वैध रहेंगे पुराने पासपोर्ट

ई-पासपोर्ट भारत में एक बड़ा और आधुनिक कदम है, सुरक्षा, पहचान की सटीकता, और डिजिटल इंटीग्रेशन में सुधार के लिए। 80 लाख से अधिक ई-पासपोर्ट जारी हो चुके हैं, जो यह दिखाता है कि यह योजना तेजी से लागू हो रही है। 2035 तक का लक्ष्य है कि सभी पासपोर्ट ई-पासपोर्ट में बदल जाएं, लेकिन यह अनिवार्यता तुरंत नहीं है। मौजूदा पुराने पासपोर्ट अपनी एक्सपायरी तक वैध रहेंगे।

Digital Governance के ज़रिए वैश्विक पहचान

भारत के लिए ई-पासपोर्ट बदलाव का सिर्फ एक हिस्सा नहीं, बल्कि डिजिटल शासन (Digital Governance) की बड़ी तस्वीर का एक महत्वपूर्ण टुकड़ा है। यह पहल भारत की वैश्विक पहचान को मजबूत करेगी और यात्रा सुरक्षा को नया आधार देगी। उस दिशा में उठाए गए कदमों का स्वागत किया जाना चाहिए, पर यह भी ज़रूरी है कि सरकार नागरिकों के डेटा संरक्षण, पारदर्शिता और जवाबदेही पर समान ज़ोर दे।

गोपनीयता की चुनौती

प्रगति के इस रास्ते में चुनौतियां भी कम नहीं। सबसे बड़ी चिंता डेटा गोपनीयता की है। नागरिकों की बायोमेट्रिक जानकारी सरकार के डेटा सेंटरों में सुरक्षित रहेगी, पर साइबर हमलों की बढ़ती घटनाएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या हमारी डिजिटल सुरक्षा दीवारें पर्याप्त मजबूत हैं? तकनीकी त्रुटियां, चिप-रीडिंग में गड़बड़ी, और ग्राम स्तर पर डिजिटल साक्षरता की कमी भी बड़ी बाधाएं बन सकती हैं। इसके अलावा, 2035 तक सभी पुराने पासपोर्ट को ई-पासपोर्ट में बदलना एक विशाल प्रशासनिक और लॉजिस्टिक कार्य है, जिसके लिए स्टाफ प्रशिक्षण, सिस्टम अपग्रेड और सुचारु प्रबंधन की ज़रूरत होगी।

शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी ई पासपोर्ट की आसान प्रक्रिया

यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ई-पासपोर्ट का लाभ तभी व्यापक होगा जब आवेदन प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्रों में भी उतनी ही सरल हो, जितनी महानगरों में है। तकनीकी समाधानों का असली अर्थ तभी निकलता है जब उनका फायदा अंतिम नागरिक तक पहुंचे, न कि केवल शहरी मध्य वर्ग तक सीमित रहे। ई-पासपोर्ट का भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन यह उजाला तभी गहरा होगा जब तकनीक के साथ नागरिकों का भरोसा भी उतना ही मजबूत हो। यही भरोसा इस डिजिटल क्रांति की सफलता का वास्तविक पैमाना होगा।
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