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हिंदी – सपनों की भाषा, अपनों की भाषा  

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हिंदी – सपनों की भाषा, अपनों की भाषा  
 
जब हम सपने भी देखते हैं तो हिंदी में देखते है, जब हम अपनों से मिलते हैं तो हिंदी ही हमारी भाषा होती है। हिंदी ये महज हमारी भाषा ही नहीं बल्कि अस्मिता है, सम्मान है। हिंदी हमारा अभिमान है। हो भी क्यों ना, हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है जो संस्कारों की भाषा है। हिंदी भाषा केवल विचार अभिव्यक्ति का माध्यम न होकर शिक्षा, सेवा व सद्भाव की भाषा है। हिंदी हमारी राज भाषा है। और इसी ख़ास दिन को सेलिब्रेट के लिए हर साल 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मनाते हैं।

भारत समेत विश्व में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है हिंदी

अगर हम आकड़ों में हिंदी की बात करें तो 260 से ज्यादा विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। 64 करोड़ लोगों की हिंदी मातृभाषा है, 24 करोड़ लेगों की दूसरी भाषा है। 42 करोड़ लोगों की तीसरी और चौथी भाषा है हिंदी। इस धरती पर 1 अरब 30 करोड़ लोग हिंदी बोलने और समझने में सक्षम है। 2030 तक दुनिया का हर पांचवा व्यक्ति हिंदी बोलेगा। अरब और फिजी जैसे देशों में हिंदी को तीसरी राजभाषा का मान्यता प्राप्त है। हिंदी की देवनागरी लिपि वैज्ञानिक लिपि मानी जाती है। ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में 18 हज़ार शब्द हिंदी के शामिल हुए है, और सबसे बड़ी बात कि जो तीन साल पहले अंग्रेजी इंटरनेट की सबसे बड़ी भाषा थी अब हिंदी ने उसे बहुत ही पीछे पछाड़ दिया है। गूगल सर्वेक्षण बताता है कि इंटरनेट पर डिजिटल दुनिया में हिंदी सबसे बड़ी भाषा है।

हिंदी की तुलना में महज 2 लाख 60 हजार लोगों की अंग्रेजी है मातृ भाषा

हिंदी संवैधानिक रूप से देश की राजभाषा होने के साथ-साथ देश में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के 43.63 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं। वहीं हिंदी से अंग्रेजी की तुलना किया जाय तो 2 लाख 60 हजार लोगों ने अंग्रेजी को अपनी मातृभाषा बताया है। ऐसे में हिंदी की पहुंच पूरे देश में ज्यादा है। एक वक़्त था कि अंग्रेजी को लोग स्टेटस सिंबल मानते थे। लेकिन अब हिंदी बड़े बड़े मंचों पर बड़े शान से बोली जाती है। देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी ख्याति तो अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी की है।

इंटरनेट पर देश का युवा वर्ग 94 फीसदी हिंदी कंटेंट सर्च करता है और उसे देखता है

जब हिंदी का प्रचार प्रसार इतना है तो हम अंग्रेजी को इतना महत्व क्यों देतें हैं। भारत में भले लोग अंग्रेजी बोलते और समझते है लेकिन जब बात आती है दिल से, ज़ज़्बात से संवाद करने की तो लोग हिंदी को तवज्जों देतें है। 93 फीसदी युवा यूट्यूब पर हिंदी में कंटेंट देखता है। इंटरनेट पर देश का युवा वर्ग 94 फीसदी हिंदी कंटेंट सर्च करता है और उसे देखता है। लिहाजा पढ़ाई के मामले में अब ये सोच बदलनी होगी कि इंग्लिश मीडियम विद्यार्थी ही कुछ कर सकता है। इतिहास गवाह है कि हिंदी मीडियम से पढ़ा छात्र आज सबसे सफल ब्यूरोक्रैट है।

आर्थिक मामलों में हिंदी सबसे समृद्ध

तुलनात्मक दृष्टि से अगर देखें तो एक छोटे से इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चें बेंच पर बैठते है, टीचर फर्राटेदार इंग्लिश बोलते है, स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा होता है कि हर सुख सुविधाएं होती है वहीं हिंदी मीडियम में बच्चा टाट पर बैठ अपनी भविष्य की दिशा तय करता है, ना क्लास रूम, ना टॉयलेट, बस बच्चा पेड़ की छाव में अपने सुनहरे कल को निहारता है। ऐसे में क्यों ना हर स्कूल में समान पढ़ाई, समान अवसर, समान भाषा सबको नसीब हो।

आजीविका, रोज़गार और व्यवसाय की भाषा के रूप में हिंदी को मजबूती

आजीविका, रोज़गार और व्यवसाय की भाषा के रूप में हिंदी को मजबूती मिली है। साहित्य, फिल्म, कला, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान, संचार, बाजार जैसे क्षेत्रों में इसने अपनी महत्ता कायम की है। ग्लोबलाइजेशन और बाज़ारीकरण के चलते हिंदी का व्यापक प्रसार हुआ है। हिंदी की उपयोगिता से बाजार और रोज़गार दोनों बढ़ा है। पूंजीवाद के इस दौर में बाजार के लिए हिंदी अनिवार्य बन गई है। हिंदी ने करोड़ों भारतीयों को रोज़गार दिया है। इंटरनेट, ई-मेल आदि पर हिंदी का प्रयोग बढ़ा है। गूगल, फेसबुक, ट्विटर इत्यादि भी इसको बढ़ावा दे रहे हैं। इसमें जो मिठास, भाव व अनेक प्रकार से बात कहने का तरीका है, वह किसी अन्य भाषा में नहीं है। दुनिया के अनेक देशों में पढ़ी व पढ़ाई जाने वाली हमारी हिंदी वर्तमान में नवाचार व रोज़गार के क्षेत्र में नित नई ऊंचाइयां छू रही हैं।

क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में अनेक भाषाओं के होते हुए भी हिंदी का अपना महत्त्व है। हिंदी भारत की आत्मा में बसी हुई है, जो हर प्रदेश में जानी पहचानी जाती है। विविधता में एकता भारत जैसे बहुभाषी, बहुपंथ और बहुरंगी देश की सबसे बड़ी शक्ति रही है। इस शक्ति का एक स्रोत हिन्दी भाषा ही है। समूचे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोकर ऐसा स्रोत बनाने का सौभाग्य हिंदी को ही रहा है। हिंदी देश का सम्मान, देश का अभिमान, देश की एकता की पहचान और महान है।