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March 15, 2025

Haldiram भुजिया, घर की रसोई से शुरुआत कर आज हुई एक लाख करोड़ की!

Haldiram: कहते हैं दिल का रास्ता पेट से होकर गुजरता है। इसी सोच के साथ सिर्फ 8वीं पास एक लड़के ने छोटी सी दुकान से 9 हजार करोड़ के कारोबार की नींव रखी। हर घर में इस कंपनी का प्रोडक्ट आपको मिल जाएगा। आपने भी कभी न कभी Haldiram की भुजिया या नमकीन खाई होगी। आज इस कंपनी की चर्चा एक बार फिर से हो रही है। Singapore की निवेश कंपनी Temasek ने हल्दीराम के स्नैक्स बिजनेस में 9% हिस्सेदारी 8,000 करोड़ रुपये में खरीदी है। इस सौदे के बाद हल्दीराम की कुल वैल्यूएशन लगभग 90,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।

घर की रसोई से मिला Haldiram भुजिया को स्वाद

कहते है ना मेहनत और लगन कभी भी बेकार नहीं जाती! अगर दिल से मेहनत करो तो एक न एक दिन सफलता मिलती ही है। भले हल्दीराम की नींव आजादी से 10 साल पहले 1937 में रखी गई थी, लेकिन बीकानेर के भीखाराम अग्रवाल ने भुजिया का कारोबार काफी पहले शुरू कर दिया था। भीखाराम अग्रवाल भुजिया बाजार में काम करते थे। इनकी बेटी ‘भीखी बाई’ घर पर खुद से भुजिया बनाया करती थी, जिसका स्वाद काफी उम्दा था। कहा जाता है कि भीखाराम अग्रवाल की बेटी द्वारा बनाए गए भुजिया का स्वाद मार्केट में मिलने वाले भुजिया से भी बहुत अच्छा था। ऐसे में भीखाराम अग्रवाल ने मार्केट में अपनी बेटी भीखी बाई के हाथ से बने भुजिये को बेचना शुरू कर दिया, जो देखते ही देखते फेमस हो गया। धीरे- धीरे यह भुजिया, परिवार की आय का मुख्य साधन हो गया। बाद में भीखाराम अग्रवाल के बेटे गंगा बिशन अग्रवाल इस बिज़नेस में आ गए । साल 1937 में गंगा बिशन अग्रवाल ने हल्दीराम की नींव रखी। बिशन अग्रवाल एक छोटी सी दुकान में भुजिया, नमकीन बेचते थे। उनकी मां उन्हें प्यार से हल्दीराम कहकर बुलाती थीं, इसलिए उन्होंने अपने नमकीन का नाम भी ‘Haldiram’ ही रखा। उन्होंने नमकीन और भुजिया बनाने की कला अपनी बुआ ‘भीखी बाई’ से सीखी थी। हालांकि उन्होंने इसे बनाने में कई बदलाव किए। लोगों को उनके नमकीन का स्वाद पसंद आने लगा। उन्होंने बेसन की जगह मोठ दाल का इस्तेमाल किया, जिससे स्वाद बढ़ता चला गया और ग्राहक भी।
भुजिया और नमकीन को लेकर उनका प्रयोग सफलता से चल गया। इससे प्रेरित होकर उन्होंने अलग-अलग तरह की भुजिया बनाना शुरू किया। कोई पतला तो कोई मोटा, लेकिन जो सबसे ज्यादा हिट रही, वो थी हल्दीराम की एक दम पतली भुजिया! लोगों को उसका चटपटा और क्रिस्पी स्वाद खूब पसंद आया। लोगों को पंसद तो आ रहा था, लेकिन बाजार तक उसकी पहुंच बढ़ नहीं रही थी। बिशनजी अग्रवाल भले ही 8वीं पास थे, लेकिन उनके पास गजब की Marketing Skills थी। बिजनेस को आगे ले जाने के लिए उन्होंने Bikaner के महाराजा डूंगर सिंह के नाम पर भुजिया का नाम ‘डूंगर सेव’ रख दिया। महाराजा का नाम जुड़ने के बाद भुजिया का नाम तेजी से फैलने लगा और ‘डूंगर सेव’ ने मार्केट में अपनी जगह बना ली ।

कारोबार के साथ बढ़ा विवाद

कारोबार के साथ-साथ विवाद भी बढ़ता रहा। Haldiram के बड़े बेटे सत्यनारायण ने पिता और भाई से अलग होकर कारोबार करने का फैसला किया, जिसके बाद से कारोबार में कई विवाद हुए। बेटे सत्यनारायण ने अलग होने के बाद हल्दीराम एंड संस ‘Haldiram And Sons’ नाम से अलग दुकान की शुरुआत की, जिसके बाद हल्दीराम के पोतों ने नागपुर में बिजनेस का दायरा बढ़ाया। नागपुर और साउथ में भी हल्दीराम का कारोबार फैलता गया। ग्राहकों तक पहुंचने के लिए कंपनी ने अपने कारोबार को तीन हिस्सों में बांट दिया। इस बंटवारे का मकसद अधिक से अधिक ग्राहकों तक आसानी से पहुंचना था। दक्षिण और पूर्वी भारत के कारोबार को कोलकाता से हैंडल किया गया, जिसका नाम ‘हल्दीराम भुजियावाला’(Haldiram Bhujiwala) रखा गया। पश्चिमी भारत के कारोबार का कंट्रोल नागपुर के ‘Haldiram Foods International’ से होता है और उत्तरी भारत के कारोबार का कंट्रोल दिल्ली के ‘Haldiram Snacks And Ethnic Foods’ से होता है। हल्दीराम भले ही कारोबार के बंटवारे को लेकर विवाद में रहा हो, लेकिव इसके बावजूद वो देश का नंबर वन स्नैक्स ब्रांड बना रहा। साल 2003 में हल्दीराम ने America में अपने प्रोडक्ट्स का निर्यात शुरू कर दिया। आज देश के साथ-साथ करीब 80 देशों में Haldiram के प्रोडक्ट्स का निर्यात किया जाता है। हालांकि America में इसके प्रोडक्ट को लेकर विवाद भी हुआ। साल 2015 में कंपनी को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब अमेरिका ने हल्दीराम के निर्यात पर रोक लगा दी। कहा गया कि Haldiram अपने प्रोडक्ट्स में कीटनाशक का इस्तेमाल करता है। लेकिन इसके बावजूद भी हल्दीराम का बिजनेस बढ़ता गया। आज की तारीख में हल्दीराम में खाद्य पदार्थ बनाने के लिए सालभर में 80 करोड़ किलो मक्खन, सालाना 3.8 अरब लीटर दूध, 62 लाख किलो आलू और 60 लाख किलो घी की खपत होती है।

हल्दीराम ने बेची 10 प्रतिशत हिस्सेदारी, 5 प्रतिशत और बेचने की तैयारी

हल्दीराम नमकीन, भुजिया और मिठाई बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है। बड़ी-बड़ी कंपनियों की इस पर नजर है। लेकिन कंपनी ने अपने स्नैक्स बिजनस में 10 फीसदी हिस्सेदारी Singapore की सरकारी निवेश कंपनी Temasek को बेच दी है, और अब 5% और हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। सिंगापुर की सरकारी निवेश कंपनी Temasek ने करीब 1 अरब डॉलर में Haldiram की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी को खरीदा है। इस डील के लिए कंपनी की वैल्यूएशन 10 अरब डॉलर आंकी गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हल्दीराम कंपनी में 5 प्रतिशत और हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। इससे उन्हें करीब 50 करोड़ डॉलर मिल सकते हैं। माना जा रहा है कि यह स्टेक सेल कंपनी के प्री-आईपीओ प्लेसमेंट का हिस्सा है। यानी कंपनी आने वाले दिनों में आईपीओ लाने की तैयारी में है।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि हल्दीराम का कामकाज आगे भी प्रमोटर अग्रवाल परिवार ही देखेगा। अग्रवाल परिवार कंपनी में हिस्सेदारी बिक्री से मिलने वाली रकम का कुछ हिस्सा अपने बिजनस का विस्तार करने में लगाएगा। बाकी पैसा परिवार अपने दूसरे कामों में इस्तेमाल करेगा। प्रमोटर फैमिली पहले हिस्सेदारी बिक्री के लिए ज्यादा वैल्यूएशन मांग रही थी लेकिन पिछले छह महीनों में शेयर बाजार में गिरावट और खाने-पीने की कंपनियों के कमजोर नतीजों के कारण खरीदार इतना पैसा देने से हिचकिचा रहे थे। हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। इनमें Tata Consumer Products और Blackstone जैसी कई बड़ी कंपनियां भी शामिल थीं। लेकिन वैल्यूएशन को लेकर बात आगे नहीं बढ़ पाई। आखिरकार Temasek, Haldiram कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने में सफल रही।

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