भारतीय जेन-ज़ी बने डिजिटल क्रिएशन की नई ताकत: YouTube India–SmithGeiger रिपोर्ट में खुलासा: 83 प्रतिशत युवा खुद को मानते हैं कंटेंट क्रिएटर, अधिकतर टियर-2 और टियर-3 शहरों से ! डिजिटल इंडिया की नई पहचान बनकर उभर रहे Gen Z!
डिजिटल इंडिया की पहचान बना Gen Z
भारत में डिजिटल क्रिएशन का दौर तेजी से बढ़ रहा है और अब देश के छोटे शहरों के युवा इस लहर का नेतृत्व कर रहे हैं। हाल ही में YouTube India और रिसर्च फर्म SmithGeiger की संयुक्त रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारतीय Gen Z यानी 18 से 24 वर्ष के 83 प्रतिशत युवा खुद को कंटेंट क्रिएटर मानते हैं, जबकि इनमें से अधिकांश टियर-2 और टियर-3 शहरों से आते हैं।
छोटे शहरों से उभर रही है नई डिजिटल प्रतिभा
रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल क्रिएशन अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहा। इंदौर, जयपुर, लखनऊ, नागपुर, पटना, और कोयंबटूर जैसे शहरों में युवा यूट्यूब, इंस्टाग्राम और शॉर्ट्स जैसे प्लेटफॉर्म पर तेजी से पहचान बना रहे हैं। इनमें से 60 फ़ीसदी से अधिक कंटेंट क्रिएटर गैर-महानगरीय इलाकों से हैं और स्थानीय भाषाओं में वीडियो बनाकर अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। पहले महानगरों तक सीमित अवसर अब टियर-2 और टियर-3 शहरों तक पहुंच चुके हैं। सोशल मीडिया ने भौगोलिक सीमाओं को मिटा दिया है। अब कोई भी युवा स्मार्टफोन और इंटरनेट की मदद से वैश्विक दर्शकों तक पहुंच सकता है।
रोज़गार और आत्मनिर्भरता का नया रास्ता
पहले जहां करियर के सीमित विकल्प होते थे, अब कंटेंट क्रिएटर, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, डिजिटल मार्केटर, वीडियो एडिटर, पॉडकास्टर जैसे नए पेशे उभर आए हैं। YouTube, Instagram, Facebook और X (Twitter) जैसे प्लेटफॉर्म युवाओं को मॉनेटाइजेशन, ब्रांड कोलैबोरेशन और स्पॉन्सरशिप के ज़रिए कमाई का अवसर दे रहे हैं।कई युवा आज सोशल मीडिया के ज़रिए लाखों रुपये प्रतिमाह कमा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लगभग 75 प्रतिशत युवा कंटेंट क्रिएशन को कैरियर विकल्प के रूप में देख रहे हैं। वहीं 55 प्रतिशत युवा मानते हैं कि डिजिटल प्लेटफॉर्म ने उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने का मौका दिया है। 42 फ़ीसदी युवाओं ने कहा कि कंटेंट क्रिएशन से उन्हें स्थानीय संस्कृति, भाषा और कला को विश्व स्तर पर दिखाने का अवसर मिला।
YouTube बना सबसे पसंदीदा मंच
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारत में Gen Z क्रिएटरों के बीच YouTube सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्महै। 90 प्रतिशत से अधिक युवाओं ने कहा कि वे अपने विचार, कला या ज्ञान को साझा करने के लिए YouTube का उपयोग करते हैं। YouTube Shorts के ज़रिए छोटे वीडियो ने स्थानीय भाषाओं में कंटेंट निर्माण को और बढ़ावा दिया है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
YouTube India के अनुसार, पिछले दो वर्षों में महिला कंटेंट क्रिएटरों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धिहुई है। विशेष रूप से कुकिंग, एजुकेशन, फैशन, और व्लॉगिंग जैसे क्षेत्रों में महिलाओं ने महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की है। सोशल मीडिया ने युवाओं को अपनी आवाज़, सोच और प्रतिभा को दुनिया तक पहुंचाने का अवसर दिया है। अब कोई भी युवा, चाहे वह गांव से हो या शहर से, वीडियो, पोस्ट, ब्लॉग या रील के माध्यम से अपनी पहचान बना सकता है। इससे आत्मविश्वास और रचनात्मकता दोनों में वृद्धि हो रही है।
शिक्षा और सीखने का जरिया
YouTube, Instagram, LinkedIn और अन्य प्लेटफॉर्मों पर फ्री एजुकेशनल कंटेंट ने युवाओं को नई स्किल सीखने, भाषा सुधारने और करियर गाइडेंस पाने में मदद की है। अब कोई भी व्यक्ति अपनी रुचि के विषय, जैसे कोडिंग, फोटोग्राफी, डिजिटल मार्केटिंग या ग्राफिक डिजाइन ऑनलाइन सीख सकता है।
सामाजिक- सांस्कृतिक पहचान के साथ उद्यमिता को बढ़ावा
युवा अब सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी संस्कृति, भाषा और स्थानीय परंपराओं को साझा कर रहे हैं। इससे भारत के विविध क्षेत्रों की कला, संगीत और रीति-रिवाजों को वैश्विक मंच पर पहचान मिल रही है। कई युवा सोशल मीडिया का उपयोग अपने स्टार्टअप, छोटे बिज़नेस या कला उत्पादों के प्रचार के लिए कर रहे हैं। इंस्टाग्राम बिज़नेस पेज, यूट्यूब चैनल और फेसबुक मार्केटप्लेस के ज़रिए बिना बड़े निवेश के व्यापार शुरू करना संभव हुआ है।
सामाजिक परिवर्तन का माध्यम
सोशल मीडिया ने युवाओं को केवल व्यक्तिगत लाभ नहीं दिया, बल्कि समाज में परिवर्तन का सशक्त औज़ारभी बनाया है। पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण, मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर युवाओं की आवाज़ अब सीधी जनता तक पहुंचती है। युवा इन्फ्लुएंसर्स के प्रयासों ने जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना को भी प्रबल किया है।
जिम्मेदारी और विवेक की आवश्यकता
हालांकि, यह सच भी स्वीकारना होगा कि इस डिजिटल स्वतंत्रता के साथ भ्रामक सूचना, फेक न्यूज़ और नकारात्मक प्रभावों का खतरा भी बढ़ा है। युवाओं के लिए जरूरी है कि वे इस शक्ति का उपयोग सकारात्मक, सृजनात्मक और नैतिक उद्देश्यों के लिए करें। सोशल मीडिया तभी लाभकारी सिद्ध होगा जब इसका उपयोग समाज निर्माण और आत्म-विकास के लिए किया जाए, न कि केवल लोकप्रियता के लिए। सोशल मीडिया आज भारत के युवाओं के लिए सपनों को साकार करने का डिजिटल मंच बन गया है। यह न केवल आर्थिक अवसर दे रहा है बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और सामाजिक परिवर्तन का माध्यम भी बन चुका है। यदि युवा इस शक्ति का विवेकपूर्ण उपयोग करें, तो यही पीढ़ी भारत को डिजिटल युग का नेतृत्वकर्ता बना सकती है। अंततः, सोशल मीडिया सिर्फ एक ऐप नहीं, यह भारत के युवाओं के सपनों की उड़ान का नया आसमान है।
रिपोर्ट पर क्या है विशेषज्ञों की राय
डिजिटल विश्लेषक मानते हैं कि यह बदलाव भारत की सामाजिक और आर्थिक संरचना में बड़ा परिवर्तनदर्शाता है। मीडिया विशेषज्ञ स्मिथगीगर एनालिस्ट माइकल स्मिथ ने कहा, “भारत का Gen Z सबसे विविध और रचनात्मक पीढ़ी है। छोटे शहरों से उभर रही यह प्रतिभा आने वाले वर्षों में भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था में वैश्विक नेतृत्व दिला सकती है।” YouTube–SmithGeiger रिपोर्ट साफ़ करती है कि भारत में कंटेंट क्रिएशन अब सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि कैरियर, पहचान और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम बन गया है। टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवा अब डिजिटल इंडिया के असली इंजन बन रहे हैं, जो न सिर्फ़ दर्शक हैं बल्कि रचनाकार और प्रेरक शक्ति भी हैं।
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