नोएडा के प्रेसीडियम स्कूल, सेक्टर 31 में कक्षा 6 की छात्रा तनिष्का शर्मा (आयु लगभग 10 वर्ष) की मौत से जुड़ी घटना ने स्थानीय समाज में गहरी नाराज़गी और शोक की लहर पैदा कर दी है। घटना संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है, और परिवार ने स्कूल प्रशासन से उत्तर देने की मांग की है।
10 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत
घटना दिनांक 4 सितंबर, 2025 की है। दोपहर के लंच ब्रेक के बाद तनिष्का वॉशरूम के बाहर निकलते समय सीढ़ियों के पास अचानक बेसुध हो गई। छठी कक्षा की छात्रा तनिष्का शर्मा की मौत हो गई। स्कूल जाने से पूर्व छात्रा पूरी तरह स्वस्थ थी और उसे उस दिन शिक्षक दिवस के कार्यक्रमों में भाग लेना था। बताया जा रहा है कि लंच ब्रेक के दौरान खाने का एक टुकड़ा उसकी ग्रास नली में फंस गया। स्कूल प्रशासन उसे कैलाश अस्पताल ले गया, लेकिन वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। स्कूल अधिकारियों ने बताया कि लंच के दौरान कुछ भोजन का टुकड़ा उसकी भोजन नली में अटक गया था, जिससे चोकिंग हुई हो सकती है। उसे प्राथमिक चिकित्सा देने के बाद कैंपस के मेडिकल रूम में कुछ समय रखा गया, लेकिन बाद में उसे करीब 2 किमी दूरस्थित कैलाश अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया।
छात्रा की मां का छलका दर्द
तनिष्का की मां ने बताया कि, ‘ स्कूल से खबर मिलते ही मैं तुरंत कैलाश अस्पताल पहुंची। वहां डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मेरी बेटी की मौत हो गई है। ये सुनते ही मैं बुरी तरह टूट गई। मेरी फूलों जैसी बेटी थी, मैंने उसे परियों की तरह पाला था। मैंने अपने हाथों से उसका अंतिम संस्कार किया है। जो दर्द मैं महसूस कर रही हूं, उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। आज मेरी बेटी को गए हुए 20 दिन हो गए हैं। मैंने उसे स्कूल छोड़ा था। वही स्कूल, जो बच्चों के लिए सेकेंड होम की तरह होता है, जहां हम ये सोचकर बच्चों को भेजते हैं कि वह सुरक्षित रहेंगे। उसी स्कूल में उसकी मौत हुई है।’
तृप्ता ने कहा- “मुझे सच जानना है”
तनिष्का की मां आगे कहती हैं कि मेरी बेटी अब वापस तो नहीं आएगी, लेकिन मेरी बेटी के साथ आखिरी के मिनटों में क्या हुआ, ये जानने का हक मुझे है। सच सबके सामने आना चाहिए। मैं सिर्फ अपनी बेटी के लिए न्याय चाहती हूं और मुझे सिर्फ सच जानना है।’
परिवार ने लगाए स्कूल प्रशासन पर आरोप
परिवार का कहना है कि स्कूल द्वारा घटना के बारे में विभिन्न और विरोधाभासी बयानों का इस्तेमाल किया जा रहा है। शुरू में कहा गया कि ‘भोजन करते-करते छात्रा बेहोश हुई’, फिर बताया गया कि ‘सीढ़ियों से उतरते समय गिर गई’। परिवार ने यह भी आरोप लगाया है कि स्कूल ने आपातकालीन प्रतिक्रिया में देरी की। पहले मेडिकल रूम में उपचार करने की कोशिश हुई, अस्पताल पहुंचाने में समय गंवाया गया। छात्रा की मां त्रिप्ता शर्मा ने सोशल मीडिया और वीडियो में भावुकता से सच्चाई की मांग की है। उन्होंने कहा है कि “मेरी बेटी को आखिरी समय में क्या हुआ, उसे जानना मेरा हक है।”
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में External Injuries के नहीं मिले निशान
पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि तनिष्का के शरीर पर कोई बाह्य चोटें (Exturnal Injuries) नहीं मिली हैं। मृत्यु का कारण भी अभी स्पष्ट नहीं है। शव विच्छेदन (viscera) के नमूने फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए सुरक्षित रखे गए हैं। नोएडा पुलिस ने कहा है कि अभी तक कोई आरोप-प्रत्यारोप या आपराधिक foul play की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन मामले की जांच जारी है। जिला स्कूल निरीक्षक (DIOS), जिला शिक्षा विभाग की जांच में पाया गया कि जहां तनिष्का गिरी थी, उस स्थान पर CCTV कैमरों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। यानी सीढ़ियों के पास और गलियारे में सुरक्षात्मक निगरानी अधूरी थी।
परिवार ने की न्याय की मांग
परिवार ने स्कूल प्रबंधन से सभी सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करने की मांग की है। एक FIR दर्ज करने की भी मांग की गई है, जिस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय लोग सोशल मीडिया पर न्याय की अपील कर रहे हैं। विशेषकर यह जानने के लिए कि क्या स्कूल मेंपर्याप्त सुरक्षा इंतज़ाम थे, या नहीं!
स्कूलों की कानूनी ज़िम्मेदारियों पर क्या कहती है भारतीय दंड संहिता (IPC)
धारा 304A: लापरवाही से मृत्यु का कारण बनने पर अभियोजन।
धारा 336–338: लापरवाही से मानव जीवन को खतरे में डालना।
जुवेनाइल जस्टिस (JJ) अधिनियम, 2015
बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हर शैक्षणिक संस्था की होती है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) स्कूल में बच्चों की सुरक्षा पर नियम तय करता है। यदि जांच में लापरवाही सिद्ध होती है, तो स्कूल प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों पर आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है।
स्कूलों की ज़िम्मेदारियां
कानून और शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार स्कूलों की प्रमुख जिम्मेदारियां इस प्रकार हैं।
CCTV निगरानी– परिसर के हर संवेदनशील हिस्से (सीढ़ियां गलियारे, वॉशरूम के बाहर) में कार्यशील कैमरे होना अनिवार्य है।
आपातकालीन मेडिकल सुविधा– प्रशिक्षित नर्स/कंपाउंडर, फर्स्ट एड किट और एम्बुलेंस सुविधा हर समय उपलब्ध होनी चाहिए।
डिसास्टर मैनेजमेंट ड्रिल– साल में कम से कम 2 बार मॉक-ड्रिल और CPR/प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण।
तुरंत सूचना– किसी भी घटना पर अभिभावकों और स्थानीय पुलिस को तुरंत सूचित करना।
बच्चों के अधिकार– छात्रों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करना स्कूल की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
तनिष्का मामले से उठे सवाल
10 वर्षीय मासूम छात्रा तनिष्का की मौत के बाद स्कूल प्रशासन सवालों के घेरे में है। क्या स्कूल ने घटना के बाद समुचित समय पर मेडिकल प्रतिक्रिया दी? क्या CCTV फुटेज पूरी तरह उपलब्ध है? क्या छात्रा को अस्पताल पहुंचने में अनावश्यक देरी हुई? क्या प्रशासन ने अभिभावकों को समय पर सत्य सूचना दी? इन सवालों के जवाब अभी भी अस्पष्ट हैं और इसी कारण परिवार तथा समाज “सच्चाई” की मांग कर रहा है।
बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त नियमों की ज़रूरत
सख्त नियम: हर स्कूल को शिक्षा विभाग को सालाना सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी चाहिए।
तकनीकी व्यवस्था: AI Enabled Smart Camera और इमरजेंसी अलार्म सिस्टम लगाए जाएं।
अभिभावकों की भागीदारी: पैरेंट्स कमेटी को सुरक्षा रिपोर्ट की समीक्षा का अधिकार मिले।
आपातकालीन हेल्पलाइन: हर स्कूल में बच्चों के लिए 24×7 सुरक्षा हेल्पलाइन स्थापित हो।
जवाबदेही तय हो: किसी भी घटना में प्रबंधन को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराने का प्रावधान लागू हो।
तनिष्का की मौत पूरे शिक्षा तंत्र के लिए चेतावनी
तनिष्का शर्मा की मृत्यु केवल एक छात्रा की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के लिए चेतावनी है। यह केस बताता है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती है। पारदर्शिता और समय पर कार्रवाई ही अभिभावकों का भरोसा वापस ला सकती है। कानूनी जिम्मेदारियां तभी असरदार होंगी जब उन्हें कड़ाई से लागू किया जाए।यह घटना केवल एक दुखद मृत्यु नहीं है। यह शिक्षा संस्थानों में सुरक्षा, आपात-चर्या, निगरानी और पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाती है। जब तनिष्का जैसी एक नन्ही बच्ची के जीवन से जुड़े आखिरी क्षण अस्पष्ट हों, तो समाज के हर हिस्से को आवाज़ उठानी चाहिए, ताकि दोषियों को जिम्मेदार ठहराया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
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