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CSR – नए साल पर नयी पहल, संकल्प से बदल रहा है समाज, सीएसआर दे रहा है साथ  

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नए साल पर नए उमंग के साथ देश के युवा संकल्प से समाज में बदलाव लाने की कोशिश में जुट गए है, नए साल पर समाज, पर्यावरण और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए कई अनूठे पहल की शुरवात हुई है, बात करें दिल्ली की तो यहां प्लास्टिक लाओ खाना खाओ की तर्ज पर गारबेज कैफे खुला है, अगर आप नई दिल्ली के नजफगढ़ जोन में रहते हैं और आपके घर में या आसपास प्लास्टिक का कचरा भी है तो आप इस कचरे के बदले में बेहतर ब्रेकफास्ट और लंच कर सकते हैं। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत नजफगढ़ जोन में ऐसी अनोखी मुहिम शुरू की है कि एक किलो प्लास्टिक कचरे के बदले लंच व डिनर और ढ़ाई सौ ग्राम प्लास्टिक कचरे के बदले ब्रेकफास्ट की सुविधा शुरू की है।

प्लास्टिक लाओ खाना खाओ

नजफगढ़ जोन में इस योजना के तहत द्वारका के वर्धमान मॉल के एक रेस्टोरेंट में गारबेज कैफे की शुरूआत की गई है। इस कैफै पर लोगों को ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर की सुविधा मिलेगी, लेकिन यहां पर खाना खाने के लिए लोगों के प्लास्टिक का कचरा बदले में देना होगा। इस योजना के तहत जो लोग पानी की सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलें, प्लास्टिक कैन, कोल्ड ड्रिंक और प्लास्टिक का अन्य कचरा लेकर आएंगे, उनकी यहां विशेष मेहमान नवाजी होगी। दिल्ली में इस तरह का यह पहला गारबेज कैफे है, जिसपर प्लास्टिक कचरे के बदले भोजन दिया जाएगा। एसडीएमसी की कोशिश है कि ऐसे प्रयासों के जरिए इलाकों से प्लास्टिक के कचरे का एकत्रित करके उसका निस्तारण किया जा सकेगा। गारबेज कैफे का उद्देश्य लोगों को प्लास्टिक कचरे के निष्पादन के बारे में जागरूक भी करना है।

पर्यावरण बचाना है, तो ऑफिस साइकिल से आना है

सोनभद्र से सटे मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में भी ऐसे ही अनोखी पहल के जरिए स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष काम किया जा रहा है। यहां भी एक किलो प्लास्टिक लाने पर मुफ्त खाने की व्यवस्था की गई है। अगर नहीं लाए तो एक थाली भोजन का पांच रुपये लिया जाता है। इस पहल से सिंगरौली की आबोहवा बदली-बदली नजर आने लगी है। ओड़िसा की राजधानी भुवनेश्वर को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने के लिए  भुवनेश्वर म्युनिसिपल कारपोरेशन की तरफ से लोगों को मुफ्त कपडे की थैली बाटी गयी और पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त बनाने की कोशिश की गयी साथ ही भुवनेश्वर म्युनिसिपल कारपोरेशन ने एक और अनूठी पहल शुरू की है। बीएमसी कमिश्नर ने अपने सभी कर्मचारी और अधिकारियों को हर शुक्रवार को गाड़ियों द्वारा ऑफिस नही आने का निर्देश जारी किया जिसका अनुपालन करते हुए तमाम अधिकारी और कर्मचारी साइकिल से अपने दफ्तर पहुंचे हैं। कुछ कर्मचारियों को पैदल चलकर भी दफ्तर पहुंचते देखा गया है। पर्यावरण रोकने के साथ भुवनेश्वर शहर को साफसुथरा रखने के लिए प्रशासन ने यह निर्णय लिया है। जिसके चलते कर्मचारी और अधिकारियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली करीबन 1 हजार बाइक और 200 कार बंद रहे।

स्टेशन के कचरे से बना खाद

वहीं बात करें यूपी के मुराबादाबाद की, तो मुरादाबाद में गंदे रेलवे स्टेशन को साफ करने की अनोखी मुहिम शुरु हुई है, इससे ना केवल स्टेशन साफ होंगे बल्कि वेस्ट मैनेजमेंट से खाद भी बनाई जा सकेगी। रेलवे स्टेशन पर गंदगी और कचरे की परेशानी से आप भी दो चार हुए होंगे लेकिन रेलवे की इस पहल से आप को भी निजात मिलेगी, यहां बायोडिग्रेडेबल कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू की गयी है, इस प्रक्रिया से ना सिर्फ स्टेशन के कचरे का इस्तेमाल किया जा रहा है बल्कि स्टेशन के किचन के कचरे को भी इस्तेमाल कर खाद बनाया जा रहा है, ये खाद स्टेशन परिसर में लगे पेड़ पौधों की उर्वरक क्षमता भी बढ़ा रही है, रेलवे का खाद में लगने वाले पैसों की भी बचत कर रही है वही रेल परिसर को स्वच्छ रखने में भी मदद कर रही है।

कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी बना मददगार

बहरहाल ये छोटी छोटी पहल समाज में बड़े बदलाव ला रही है और ये सब संभव CSR की मदद से हो रहा है, सीएसआर की मदद से तमाम सरकारी और गैर सरकारी संस्थान सामने आ रहे है और कॉर्पोरेट कंपनियों के योगदान से अब असंभव भी संभव हो रहा है।