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सीएसआर के मामले में यूपी की ऊंची छलांग, अब सीधे 5वां स्थान

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देश भर के कॉरपोरेट्स ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताया है। ये इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड के मामले में उत्तर प्रदेश ने लंबी छलांग लगाई है। सीएसआर खर्च के मामले में उत्तर प्रदेश नौ साल में 12वें स्थान से सीधे पांचवें स्थान पर आ गया है। Uttar Pradesh में सीएसआर गतिविधियों में खर्च बढ़ने का सीधा मतलब है कि उत्तर प्रदेश में मौजूद कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है और ऐसे में सीएसआर के दायरे में आने की वजह से इस मद में खर्च बढ़ा है।

सीएम योगी ने यूपी में निवेश को लेकर की है कड़ी मेहनत

CM Yogi Adityanath ने यूपी में निवेश बढ़ाने के लिए खूब मेहनत की। इन्वेस्टर्स समिट के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद इंडस्ट्रियलिस्ट से मुलाकात कर उत्तर प्रदेश में निवेश करके की अपील की और प्रदेश में कारोबारी माहौल बनने के बाद कंपनियों की सेहत में सुधार हुआ है। इसी का नतीजा है कि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) फंड बढ़ गया हैै। यूपी इस मामले में देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हो गया है। नौ साल पहले यूपी सीएसआर फंड प्राप्त करने की सूची में देश का 12 वां राज्य था।

क्या कहता है सीएसआर का कानून, जिसमें यूपी ने हासिल की है बड़ी उपलब्धि

एक साल में यूपी में 1321 करोड़ रुपये सीएसआर फंड के तहत सामाजिक कार्यों में खर्च किए गए। जबकि वर्ष 2015 में महज 148 करोड़ रुपये सीएसआर में खर्च किए गए थे। देश में किसी भी कंपनी को अपना व्यापार करने के लिए कंपनीज एक्ट 2013 के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। हर कंपनी सीएसआर के दायरे में नहीं आती। प्राइवेट लिमिटेड या पब्लिक लिमिटेड कंपनी, जिनका एक हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर या एक साल में पांच करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा है, उन्हें अपने औसत शुद्ध लाभ का कम से कम दो फीसदी सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य है।

सीएसआर के मामले में यूपी है पांचवें तो अन्य राज्यों की क्या है स्थिति

इस फंड का इस्तेमाल एनवायरनमेंट, शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आपदा राहत, सामाजिक न्याय आदि क्षेत्रों में किया जा सकता है। साफ है कि सीएसआर फंड तभी बढ़ता है, जब कंपनियों की आय बढ़ती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश (CSR in Uttar Pradesh) में सीएसआर गतिविधियों में खर्च बढ़ने का सीधा संकेत है कि यहां की कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है और सीएसआर के दायरे में आने की वजह से इस मद में खर्च बढ़ा है। पिछले नौ साल में सीएसआर फंड खर्च करने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश 12वें स्थान से 5वें स्थान पर पहुंच गया है। 5229 करोड़ के साथ महाराष्ट्र पहले, 1761 करोड़ के साथ कर्नाटक दूसरे, 1554 करोड़ के साथ गुजरात तीसरे और 1371 करोड़ के साथ तमिलनाडु चौथे स्थान पर है।