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एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट के विकास पर 644 करोड़ सीएसआर खर्च

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देश के चुनावी माहौल में एक बार फिर से विकास का मुद्दा तूल पकडेंगा, विकास की बातें होंगी, विकास के वादें होंगे। राजनीतिक गलियारों में भले ही विकास को लेकर जमकर छीटाकशी हो लेकिन बात अगर हम एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट की करें तो वाकई में विकास हो रहा है। विकास एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट (Aspirational District) का हो रहा है। एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट को लेकर एक खुशखबरी आयी है।

एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में पिछले तीन सालों में 644.35 करोड़ रुपये का सीएसआर खर्च

दरअसल एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट को लेकर वित्त मंत्रालय ने एक आंकड़ा जारी किया है। ये आंकड़ा देश के एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में खर्च किये जाने वाले सीएसआर का है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की माने तो एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में पिछले तीन सालों में 644.35 करोड़ रुपये सीएसआर खर्च किया गया है। ये सीएसआर देश की विभिन्न कंपनियों द्वारा इन एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में किया गया है।
संसद में आकांक्षी जिलों (Aspirational District) पर एक सवाल का जवाब देते हुए मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस एंड कॉर्पोरेट अफेयर्स के राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि साल 2017-18 में एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट पर कंपनीज ने 232.80 करोड़ खर्च किया, साल 2018-19 में 307.51 करोड़ किया वही साल 2019-20 में वो भी 30 सितंबर 2020 तक 104.04 करोड़ ख़र्च किया है।

Aspirational District Programme नीति आयोग की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक

Aspirational District Programme नीति आयोग की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट देश के वो जिले है जहां विकास की दरकार है और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की मदद से इन जिलों को विकास के पथ पर अग्रसर किया जा रहा है। नीति आयोग ने 112 पिछड़े जिलों को एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट घोषित किया है। नीति आयोग (Niti Aayog) ने पीएम नरेंद्र मोदी के संकल्पना को ध्यान में रखते हुए देश के 112 जिलों को महत्वाकांक्षी जिला घोषित किया है। आयोग के अनुसार ये जिले देश के अन्य जिलों की तुलना में अपेक्षाकृत कम विकसित हैं। इन जिलों को ‘एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट’ कहा जाता है। नीति आयोग द्वारा जारी किए गए Aspirational District Programme को इन जिलों में चलाया जा रहा है।

The CSR Journal इन जिलों के विकास की कहानियों को आप तक पहुंचाएगा

देश के इन पिछड़े इलाकों को मुख्य विकसित जिलों के साथ जोड़ने का लक्ष्य नीति आयोग ने साल 2022 रखा है। नीति आयोग लगतार इन जिलों में विकास के पैमानों को जांचता रहता है और अपनी रैंकिंग जारी करती रहती है। इन जिलों में स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर डेवलपमेंट के काम करती है। जिसमें नीति आयोग का बहुत अहम योगदान रहता है। The CSR Journal अपने स्पेशल रिपोर्ट्स के जरिये इन पिछड़े जिलों के विकास की रियलिटी चेक और कहानियां आप तक भी पहुंचाएगी।