Home हिन्दी फ़ोरम ऑक्सीजन की किल्लत में टूटती सांस को बचाने आगे आये कॉर्पोरेट्स

ऑक्सीजन की किल्लत में टूटती सांस को बचाने आगे आये कॉर्पोरेट्स

249
0
SHARE
 
कोरोना महामारी ने ऐसा रूप अख्तियार किया है कि कब कौन इसकी चपेट में आ जाए, कोई नहीं जानता। अमीर गरीब, नेता अभिनेता हर कोई इस महामारी की जद में आ रहा है। महामारी की वजह से पूरे देश में हाहाकार मचा है, त्राहि त्राहि हो रही है। ना इलाज है, ना वैक्सीन लग पा रहा है, ना अस्पताल में बेड खाली है और ना ही ऑक्सीजन। आस टूट रही है, सांस टूट रही है। श्मशानों में भी बड़ी संख्या में लाशें पहुंच रहीं है। जिससे सब कुछ ठीक होने के दावों की पोल खुल रही है।

ऑक्सीजन की कमी ने देश की चिंता और भी बढ़ा दी है

पूरे देश भर से रोते बिलखते परिजनों, लाशों के ढ़ेर, जलती चिताओं के अंबार, दवाईयों, बेड, आईसीयू और ऑक्सीजन के लिए तड़पते लोगों की तस्वीरें देख रूह कांप रही है। तस्वीरें विचलित कर रही है। अस्पताल के सामने कतारों में खड़ी एम्बुलेंसें चीख चीख कर गवाही दे रही है कि भारत की स्वास्थ्य  सेवाओं का क्या स्तर है। स्वास्थ्य धराशायी सी हो रही है। ऑक्सीजन की कमी ने देश की चिंता और भी बढ़ा दी है।

ऑक्सीजन की कमी देख कॉर्पोरेट्स ने बढ़ाये मदद के हाथ

इस बीच एक अच्छी खबर कॉर्पोरेट जगत से आ रही है। देश में ऑक्सीजन की कमी होता देख देश की कॉर्पोरेट्स ने मदद के हाथ आगे बढ़ाये है। ऑक्सीजन की कोई किल्लत ना हो इसलिए सीएसआर के तहत अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए कॉर्पोरेट्स ने ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन के उत्पादन का जिम्मा उठाया है।
चाहे वो JSPL हो, TATA हो या रिलायंस या फिर SAIL हर कोई कॉर्पोरेट्स मदद के लिए दौड़ पड़ा है। देश के स्टील प्लांटों ने अपनी खपत कम कर अस्पतालों को लिक्विड ऑक्सीजन (Liquid Oxygen) सप्लाई करना शुरू कर दिया है। इससे स्टील प्लांटों का तो उत्पादन घटा है, लेकिन हजारों लोगों की जान बच रही है। आइए एक नजर डालते हैं स्टील प्लांटों (Steel Plants) के इस नेक कदम पर

अब तक SAIL ने 33300 टन ऑक्सीजन की सप्लाई की है

कोरोना के इस भयावह माहौल में मानवता की सेवा में ये कंपनियां एकदम से जुट गयी है। सरकारी स्टील कंपनी सेल (SAIL) के सभी पांच इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) की आपूर्ति शुरू की गई। सिर्फ सेल ने ही अब तक 33300 टन LMO सप्लाई की है। यह सप्लाई झारखंड के बोकारो, छत्तीसगढ़ के भिलाई, ओडिशा के राउरकेला, पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर और बर्नपुर स्टील प्लांट से की गई है।

जेएसडब्ल्यू (JSW) भी Oxygen सप्लाई में अग्रसर है

स्टील इंडस्ट्री की बढ़ती चिंता के बीच जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन एवं एमडी सज्जन जिंदल ने ट्विट कर कहा है कि कोविड—19 ने फिर से फैलना शुरू कर दिया है और हमें जिंदगियां बचाने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत है। स्टील प्लांट्स में यह कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होता है। संकट की इस घड़ी में हम सरकार के प्रति इस बात को लेकर प्रतिबद्ध हैं कि जिंदगियां बचाने को स्टील बनाने से ऊपर रखा जाए।

जेएसपीएल (JSPL) भी दे रही है ऑक्सीजन

जेएसपीएल यानी की जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने भी कोरोना काल में लोगों की मदद के लिए आगे आया है। JSPL के मैनेजिंग डायरेक्टर VR Sharma ने बताया कि JSPL प्रतिदिन छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 50-100 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहा है। चेयरमैन नवीन जिंदल ने इस दौरान कहा कि संकट के समय JSPLसमूह अपनी परंपरा के अनुसार देश के साथ खड़ा हुआ है। समूह की सोच हमेशा ‘पीपल फर्स्ट‘ की रही है।

टाटा स्टील (TATA  Steel) भी कोरोना आपातकाल में कर रही है Oxygen की सप्लाई

सीएसआर (CSR) यानी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) फंड में हमेशा आगे रहने वाली टाटा भी इस कोरोना के आपातकाल में जान को तरजीह दे रही है। टाटा स्टील ने अपने बयान में कहा है कि मेडिकल ऑक्सीजन कोरोना के ट्रीटमेंट में एक वरदान है। इस प्राण वायु को देश की जनता को समर्पित करते हुए 200-300 टन Liquid Medical Oxygen देश के तमाम राज्य सरकारों को दे रही है।

अंबानी ने दी इंदौर को ऑक्सीजन

रिलायंस इंडस्ट्रीज के गुजरात के जामनगर प्लांट से 60 टन की पहली खेप एमपी को रवाना हुई। रिलायंस ग्रुप के मुकेश अंबा के बेटे अनंत अंबानी ने इंदौर के लिए अलग से ऑक्सीजन देने का निर्णय लिया और रोजाना जामनगर से 100 टन ऑक्सीजन इंदौर आएगी। इसके पहले 90 टन ऑक्सीजन भिलाई स्टील प्लांट से मध्यप्रदेश भेजने की व्यवस्था की गई है।

एनएमडीसी ने जिला प्रशासन को दिए 150 ऑक्सीजन सिलेंडर

कोरोना पीड़ित मरीजों के इलाज में ऑक्सीजन  की कमी बाधा न बने इसके लिए एनएमडीसी ने जिला प्रशासन को आक्सीजन के 150 सिलेंडर उपलब्ध कराए हैं। एक सिलेंडर की क्षमता 46.7 लीटर है, जो भंडारण क्षमता के मामले में बाजार में मिलने वाले साधारण सिलेंडर की तुलना में तीन गुना अधिक है। एनएमडीसी द्वारा ऑक्सीजन सिलेंडर कोविड आपदा काल में बड़ी सहायता बताया है। एनएमडीसी का ये कदम शासन प्रशासन का हाथ मजबूत करने वाला है।

स्टील प्लांट कैसे कर सकते हैं मदद

औसत स्टील प्लांट को हर रोज औसतन 60 सिलेंडर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऑक्सीजन आयरन प्लेट्स और ऐसे ही दूसरे मैटेरियल को काटने के लिए प्रमुख एलीमेंट है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोना के लगभग 15 फीसदी मरीजों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर 100 मरीज कोविड-19 से संक्रमित हैं तो 10 लोग ऐसे हो सकते हैं, जिन्हें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़े।

एक कोरोना मरीज को 24 घंटे में औसतन 3-4 सिलेंडर लगते हैं

एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती ऐसे एक मरीज को 24 घंटे में औसतन तीन से चार सिलेंडर लगते हैं। पूरे देश में तकरीबन 500 फैक्ट्रियां हैं, जो हवा से ऑक्सीजन बनाती हैं। कोविड से पहले इसमें से 15 फीसदी का इस्तेमाल अस्पतालों के लिए होता था। बाकी का मुख्य तौर पर इस्तेमाल स्टील और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में ब्लास्ट फरनेस चलाने के लिए होता था। लेकिन कोरोना काल में अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ी है।
हम आपको बता दें कि जब से कोरोना महामारी ने देश को अपनी चपेट में लिया है तब से लेकर अब तक सरकारी और प्राइवेट स्टील कंपनीज ने 1,30,000 MT Medical Oxygen की सप्लाई की है। और जब से देश में दूसरी लहर आयी है और जब से ऑक्सीजन की भारी कमी हुई है तब से स्टील प्लांट अपना प्रोडक्शन कम करके 24×7 Medical Oxygen की आपूर्ति करने में स्टील प्लांट और कॉर्पोरेट्स लगे हुए है।