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आदिवासी बच्चों का भविष्य निखार रही है सीसीएल का ये सीएसआर प्रोजेक्ट

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हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बस इन प्रतिभाओं को तलाशने और उन्हें निखारने की जरूरत है। ऐसे ही होनहार बच्चों के प्रतिभाओं को निखारने के लिए सीएसआर बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (Central Coalfields Limited-CCL) की सीएसआर पहल फुटबॉल का शौक रखने वाले होनहार खिलाडिय़ों खासकर आदिवासी बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। Coal India की Subsidiary कंपनी Central Coalfields Limited अपने CSR Initiatives से आदिवासी बच्चों के फुटबॉल के ना सिर्फ हुनर को निखार रही है बल्कि उनके लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म खड़ा कर रही है जहां ये बच्चे अपने मेहनत के बल पर राष्ट्रीय स्तर पर फूटबाल खेलने की क्षमता रखते है।

सीसीएल के सीएसआर प्रोजेक्ट से मिल रहा है फुटबॉल ट्रेनिंग

Central Coalfields Limited का ये CSR Initiatives रांची के आदिवासी इलाके में चलाया जा रहा है। ऐसा बहुत कम होता है कि आप झारखंड के सुदूर क्षेत्रों में जाएं और स्पोर्टवियर में युवा लडक़े और लड़कियों को पूरे डिसिप्लिन के साथ पेशेवर तरीके से प्रशिक्षण लेता देखें। लेकिन पिछले कुछ महीनों से Jharkhand News राज्य के दो जिलों के कई ब्लॉकों में ऐसे नजारे आम हो गए हैं। यहां आपको हर जगह युवा अपने प्रोफेशनल ट्रेनर की निगरानी में फुटबॉल की ट्रेनिंग करते हुए दिख जाएंगे। CCL एनजीओ आशा के साथ मिलकर ‘प्रोजेक्ट फुटबॉल’ के तहत रांची और रामगढ़ जिलों से चुने गए 100 फुटबॉल खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहा है।

CCL के CSR से फुटबॉल की ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार आदिवासी बच्चे

इस प्रोग्राम को देश की दिग्गज कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सहायक कंपनी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम कंपनी का कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) का हिस्सा है। सीसीएल के CSR से ये प्रोजेक्ट पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ, इसे रांची और रामगढ़ में लागू किया गया। इसमें 10 से 18 वर्ष के उम्र के 50 लडक़ों और 50 लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहां बेहतर से बेहतर सुविधाओं के साथ इन बच्चों के कौशल को निखारने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशिक्षण के लिए चयनित खिलाड़ियों में खेल के प्रति जबरदस्त जुनून देखने को मिल रहा है। वे इस खेल के माध्यम से अपना, अपने परिवार, राज्य और देश का नाम रोशन करने का सपना लेकर आगे बढ़ रहे हैं। यह सीएसआर की परियोजना झारखंड में खेल संस्कृति विकसित करने की दिशा में मजबूत कदम माना जा रहा है।