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सीएसआर की मदद से हेल्थ टूरिज्म का हब बनता भारत

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नाइजीरियन मूल की अफलाबी, भारत आई और फिर भारत की मुरीद हो गई, चेहरे पर ख़ुशी और मन में सुकून, अपने पैरों पर खड़ी है, लेकिन अगर 10 साल पीछे जाए तो अफलाबी बिलकुल ऐसे नहीं थी, अफलाबी का जीना दुश्वार हो गया था, चलना फिरना तो दूर की बात, बैठे बैठे जैसे जिंदगी एक कमरे में सिमट सी गयी, पिछले 10 सालों से अफलाबी ऐसी बिमारी से ग्रस्त थी कि वो चल फिर भी नहीं पाती, 2 साल पहले नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति ने भारत से कुछ डॉक्टर्स को एक सिकल सेल से जुडी बीमारी के लिए कांफ्रेंस के लिए बुलाया फिर क्या, वहां पहुंच अफलाबी ने भारत में अपना इलाज करवाने की ठानी, भारत में आने के बाद स्टेमआरएक्स ने अफलाबी का ना सिर्फ इलाज किया बल्कि वो अब चल सकती है, दौड़ सकती है।

सीएसआर से बढ़ेगा हेल्थ टूरिज्म

अफलाबी भारत में हेल्थ टूरिज्म के लिए आयी और अब वो सुनहरी यादों के साथ स्वदेश लौट गयी। लेकिन भारत की बात करें तो देश अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मेडिकल टूरिज्म का एक बड़ा हब बनता जा रहा है, भारत एक हेल्थ टूरिज्म को लेकर एक बड़ा बाज़ार है जहां विदेशों से आकर मरीज अपना इलाज करवा रहे है। इस मेडिकल टूरिज्म में सीएसआर महत्वपूर्ण भूमिका में है, बड़े पैमाने पर हेल्थ सेक्टर में सीएसआर के तहत काम हो रहे है जिससे ना सिर्फ देश के नागरिकों को फायदा हो रहा है बल्कि विदेशी मरीज भी यहां आकर ठीक हो रहे है। इस बार स्वास्थ पर बजट की बात करें तो वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोगों को सरकार की तरफ से बेहतर स्वास्थ सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 69,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसी कड़ी में सीएसआर का भी निवेश लगातार बढ़ रहा है जिससे देश की स्वास्थ सेवाएं बढ़ रही है जिसका सीधा फायदा मेडिकल टूरिज्म को भी हो रहा है। सीएसआर के तहत देश की सरकारी और निजी अस्पतालों में देश के कॉर्पोरेट्स काम कर रहे है।
बेंगलुरु के अल अमीन इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च फाउंडेशन की प्रिंसिपल डॉ बी ए अनुराधा का मानना है कि अगर सीएसआर के तहत देश में हेल्थ सेक्टर में निवेश हुआ तो मेडिकल टूरिज्म को बूस्ट मिलेगा, विदेशी मुद्रा भण्डार में इजाफा होगा जो की देश की आर्थिक निति के लिए बेहतर होगा। डॉ प्रदीप महाजन ने The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बताया कि साल 2015 में मेडिकल टूरिज्म 3 बिलियन यूएस डॉलर का था, लेकिन इस साल 200 फीसदी की बढ़ोतरी होकर ये आंकड़ा 9 बिलियन यूएस डॉलर पहुंच गया है, ये भारत की पोटेंशियल है। आकड़ों की माने तो साल 2017 में 495,056 मरीज भारत आये और सफल इलाज कराकर अपने स्वदेश सुनहरी यादों के साथ लौट गए। वैश्विक स्तर की बात करें तो 16 मिलियन मरीज दूसरे देशों में जाकर अपना इलाज करवातें है, और वैश्विक स्तर पर ये मार्केट 72 बिलियन यूएस डॉलर का है।

हेल्थ टूरिज्म को लेकर क्यों है भारत दुनिया का बेस्ट डेस्टिनेशन

दुनिया के कुछ ऐसे गरीब और पिछड़े देश है जहां इलाज और तकनीक है ही नहीं और अगर है तो वो इलाज बेहद ही महंगे है, ये पाकिस्तान, इराक़, केन्या, नाइजीरिया, ओमान ये ऐसे देश है जहां के मरीज भारत में आकर अपना इलाज करवाते है, भारत की हेल्थ टूरिज्म को निति भी बेहतर है, 6 महीने के लिए विदेश नागरिक को वीजा आसानी से मिल जाता है, भारत में हर एक मर्ज का इलाज संभव है, अत्याधुनिक तकनीक, वर्ल्ड क्लास अस्पतालों और हाईली क्वालिफाइड डॉक्टरों द्वारा इलाज वो भी अफोर्डेबल खर्चे पर। यहां विदेशी मरीजों को कम्युनिकेशन की दिक्कत नहीं होती क्योंकि यहां यूनिवर्सल लैंग्वेज इंग्लिश बड़े पैमाने पर बोली जाती है। भारत एक ऐसा देश है जहां संस्कृति, भोजन, मौसम और आनंद के लिए विदेशी आते है, लेकिन हाल के वर्षों में, विदेशियों को आकर्षित करने वाला एक और कारण बन गया है हेल्थ केयर।