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सीएसआर से लाइब्रेरी, किताबों की ओर खींचने की कोशिश

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ज्ञान के सबसे बड़े सोर्स किताबों के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए मुंबई की महानगर पालिका ने एक अनोखा प्रयोग किया है। मोबाइल, कंप्यूटर और टीवी के वर्चुअल दुनिया में खोए युवाओं को किताबों की दुनिया की ओर खींचने के लिए बीएमसी ने सीएसआर (CSR) की मदद से मुंबई के 24 उद्यानों में मुफ्त लाइब्रेरी (Free Library by BMC) शुरू करने जा रही है। यहां आकर कोई भी प्राकृतिक वातावरण में किताबें पढ़ने का आनंद उठा सकता है। इसके लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) के तहत निधि जुटाई जा रही है।

मुंबई के 24 उद्यानों में सीएसआर पहल से शुरू होगी लाइब्रेरी

The CSR Journal से ख़ास बातचीत करते हुए बीएमसी के उद्यान अधीक्षक जितेंद्र परदेशी ने कहा कि ”मुंबई के सभी 24 वार्डों में एक-एक उद्यान में प्रायोगिक तौर पर गार्डन लाइब्रेरी शुरू किया जा रहा है। अगले तीन महीनों में सभी उद्यानों में मुफ्त लाइब्रेरी शुरू कर दी जाएगी। सीएसआर योजना के तहत कई लोग मदद के लिए आगे आए हैं। जिन उद्यानों में छोटी इमारत बनी हुई है वहां किताबें रखने के लिए अलमारी बनाई जाएगी। यहां आकर लोग किताबें निकालकर पढ़ेंगे और वापस जाते समय फिर उसे रख देंगे”।

सीएसआर से बनी लाइब्रेरी से किताबों के प्रति रुझान बढ़ाने की कोशिश

गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान घरों में कैद रहने को मजबूर लोग लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब बड़ी संख्या में मुंबईकर उद्यानों (Library in Gardens) में आने लगे हैं। ऐसे लोगों को मुफ्त लाइब्रेरी के जरिए समय के बेहतर सदुपयोग का विकल्प देने की बीएमसी की ये कोशिश है। सीएसआर की मदद व बीएमसी की इस पहल से जो पहले मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स की तरह झुकाव था अब बच्चे और युवा पीढ़ी किताबों के प्रति रूचि बढ़ेगी। बीएमसी की अतिरिक्त आयुक्त (पूर्वी उपनगर) अश्विनी भिडे के मुताबिक इससे पहले उद्यानों में व्यायाम के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना, संगीतमय कार्यक्रमों का आयोजन करने जैसे कदम उठाए गए हैं।

पढ़ाई की लुप्त होती जा रही संस्कृति को नई संजीवनी मिलेगी

सीएसआर निधि का इस्तेमाल कर उद्यानों के सौंदर्यीकरण, पेड़ लगाने जैसे काम भी किए गए हैं। अब कई कॉरपोरेट कंपनियों ने लोगों को पढ़ने के लिए मुफ्त किताबें और लाइब्रेरी सुविधा उपलब्ध कराने में दिलचस्पी दिखाई है जिसके बाद यह योजना शुरू की जा रही है। बीएमसी और Corporate कंपनियों के CSR पहल से उम्मीद है कि इससे पठन पाठन की लुप्त होती जा रही संस्कृति को नई संजीवनी मिलेगी।