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October 15, 2025

हमास की कैद में एकमात्र हिंदू बंधक बिपिन जोशी की मौत, इजरायल को लौटाया शव

The CSR Journal Magazine
हमास ने जब हमला किया, तब 22 वर्षीय बिपिन जोशी नेपाल से गाजा सीमा के पास किबुत्ज अलुमिम गए थे। यहां वह खेती-किसानी को लेकर ट्रेनिंग कार्यक्रम के लिए आए थे। जोशी गाजा में जीवित माने जाने वाले एकमात्र गैर-इजरायली और हिंदू बंधक थे।

हमास की क़ैद में नेपाली छात्र बिपिन जोशी की हत्या

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की अगुवाई में इजरायल और हमास के बीच शांति वार्ता चल रही है। हमास ने 20 बंधकों को रिहा किया, लेकिन नेपाली हिंदू छात्र बिपिन जोशी उनमें शामिल नहीं थे।

हैरानी की बात ये है कि पिछले महीने ही हमास ने इजरायली बंधकों की जो तस्वीरें जारी की थी, उनमें विपिन जोशी की तस्वीर भी थी। इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि अगर वो 21 सितंबर तक जिंदा थे, तो फिर अचानक उनकी मौत कैसे हो गई? आखिर हमास ने एकमात्र हिन्दू बंधक की हत्या क्यों कर दी, जिसका इजरायल-हमास युद्ध से कोई लेनादेना भी नहीं था और वो सैकड़ों किलोमीटर दूर किसी और देश नेपाल का रहने वाला था। इजरायल में नेपाल के राजदूत ने इसकी पुष्टि की है कि हमास ने बिपिन का शव इजरायली सेना को सौंप दिया है। इजरायल में नेपाल के राजदूत धन प्रसाद पंडित ने इस खबर पुष्टि की है। उनका कहना है कि हमास ने बिपिन का शव इजरायल को सौंप दिया है। धन प्रसाद पंडित के अनुसार, “हमास ने बिपिन जोशी का शव इजरायली सेना को सौंपा है, उसे तेल अवीव (इजरायल की राजधानी) लाया जा रहा है।”

हमास ने इसराइल को बिपिन जोशी समेत 4 शव सौंपे

इजरयाली सेना के प्रवक्ता के अनुसार, हमास ने 4 बंधकों के शव दिए हैं, जिनमें बिपिन जोशी का शव भी शामिल है। हमास ने इन सभी बंधकों को मौत के घाट उतार दिया। सोमवार तक बिपिन के परिवार को उनके सुरक्षित लौटने की थोड़ी उम्मीद थी, लेकिन जब 20 जीवित बंधकों की सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया, तो उनकी यह उम्मीद टूट गई। इजरायली अधिकारियों ने सोमवार को नेपाल के राजदूत धन प्रसाद पंडित और बिपिन के परिवार को उनकी मौत की जानकारी दी। नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश सचिव अमृत बहादुर राय और उनके इजरायली समकक्ष ईडन बार ताल के बीच फोन पर हुई बातचीत में भी बिपिन की मौत की पुष्टि की गई।
बिपिन के शव को नेपाली अधिकारियों को सौंपने से पहले DNA टेस्टिंग की जाएगी। नेपाली दूतावास की देखरेख में बिपिन का अंतिम संस्कार भी इजरायल में ही किया जाएगा।

पढ़ाई के लिए गया था इजरायल, कई जानें बचाई

बिपिन जोशी नेपाल के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते थे। सितंबर 2023 में वो 16 अन्य छात्रों के साथ इजरायल गए थे। सभी छात्र गाजा बॉर्डर के पास किबुत्ज अलुमिम कृषि से जुड़ी पढ़ाई के लिए पहुंचे थे। इसी दौरान हमास ने इजरायल पर हमला करते हुए बिपिन को बंधक बना लिया। 7 अक्टूबर 2023 की रात जब हमास ने इजरायल के दक्षिणी हिस्से पर बमबारी शुरू की, तो सायरन बजने लगे। सभी छात्र अपनी जान बचाने के लिए बंकरों में छिप गए। तभी हमास के लड़ाकों ने बंकर में 2 ग्रेनेड फेंक दिए। पहला ग्रेनेड फटने से कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। बिपिन ने बहादुरी दिखाते हुए दूसरा ग्रेनेड उठाकर बाहर फेंक दिया, जिससे कई लोगों की जान बच गई। हालांकि, हमास के बंधकों ने उसे बंधक बना लिया और अपने साथ गाजा लेकर चले गए। हमास के द्वारा कैद किए गए लोगों में बिपिन इकलौते हिंदू थे।

25वें जन्मदिन से पहले हुई मौत

इजरायली सेना ने गाजा की एक वीडियो जारी की थी, जिसमें बिपिन को घसीटकर गाजा के अस्पताल में ले जाते देखा गया था। इसके बाद उसका कोई पता नहीं चला। 26 अक्टूबर को बिपिन का 25वां जन्मदिन है। हालांकि, इसके पहले ही बिपिन इस दुनिया से जा चुके हैं। गाजा में इजरायल के साथ शांति समझौते के बाद हमास ने सभी बंधकों को रिहा कर दिया है। लेकिन रिहा हुए बंधकों में विपिन जोशी का नाम कहीं नहीं था। बेटे को रिहा हुए बंधकों में नहीं देखकर नेपाल के रहने वाले उनके माता-पिता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पिछले दो सालों से वो उम्मीद लगाकर बैठे थे कि एक ना एक दिन उनका बेटा वापस घर आ जाएगा। बिपिन की मां और बहन, जो न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में उनका मामला उठाने के लिए अमेरिका गई थीं, अब घर लौटने की तैयारी कर रही हैं। IDF ने कहा है कि वह शव को सम्मानजनक दफन के लिए परिवार को सौंपने की आवश्यक व्यवस्था करेगा।
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