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September 14, 2025

दवाओं के वितरण में बिहार देश में अव्वल, लगातार 11वें महीने भी मिला पहला स्थान

The CSR Journal Magazine
बिहार ने एक बार फिर देश को दिखा दिया है कि समर्पित योजनाओं और बेहतर क्रियान्वयन से स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में भी शीर्ष स्थान हासिल किया जा सकता है। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एवीडीएमएस (AVDMS) केंद्रीय डैशबोर्ड की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने में बिहार लगातार 11वें महीने पहले स्थान पर रहा है। अगस्त 2025 की रैंकिंग में बिहार को 82.13 अंकों के साथ पहला स्थान मिला है, जबकि राजस्थान 78.61 अंकों के साथ दूसरे और पंजाब 73.28 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा। यह उपलब्धि न केवल राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि जमीनी स्तर पर योजनाओं का निष्पादन कितना प्रभावी हो सकता है।

पिछले वर्ष अक्टूबर से बना हुआ है पहला स्थान

बिहार ने अक्टूबर 2024 में 79.34 स्कोर के साथ राजस्थान को पीछे छोड़ते हुए देशभर में पहला स्थान हासिल किया था। उसके बाद से अब तक यानी 11 महीनों तक राज्य का यह स्थान बरकरार है। एवीडीएमएस रैंकिंग देश के सभी राज्यों की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में मुफ्त दवाओं की उपलब्धता और वितरण व्यवस्था पर आधारित होती है। यह एक औसत स्कोरिंग प्रणाली है, जिसमें विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों की दवा आपूर्ति, उपलब्धता और उपयोग को मूल्यांकित किया जाता है।

बिहार के अस्पतालों में मरीजों को मिल रही 611 प्रकार की दवाएं

बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग इस सफलता के पीछे अहम भूमिका निभा रहा है। प्रदेश के मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पतालों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित सभी स्तरों के अस्पतालों में कुल 611 प्रकार की दवाएं मरीजों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस व्यापक दवा वितरण प्रणाली से यह सुनिश्चित किया गया है कि हर स्तर पर, हर मरीज को उसकी जरूरत की दवा निःशुल्क और समय पर मिले।

सरकार की प्रतिबद्धता और मैदानी अमले की मेहनत का नतीजा

राज्य स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों का कहना है कि यह सफलता राज्य सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति, नीतिगत स्पष्टता और प्रभावी निगरानी का परिणाम है। सरकारी अस्पतालों में अब न केवल गंभीर बीमारियों बल्कि सामान्य रोगों की भी दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इससे गरीब व वंचित वर्ग को सबसे अधिक लाभ मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ड्रग इन्वेंटरी मैनेजमेंट प्रणाली (Drug Inventory Management System) और रियल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग जैसी तकनीकी व्यवस्थाएं भी इस उपलब्धि के पीछे अहम कड़ी रही हैं। बिहार की यह उपलब्धि सिर्फ एक रैंकिंग नहीं, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की नई पहचान है। यह मॉडल अब देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा बन रहा है कि सीमित संसाधनों में भी इच्छाशक्ति और योजना के बेहतर क्रियान्वयन से कैसे परिणाम बदले जा सकते हैं।

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